ईरान सामूहिक विनाश के हथियारों से मुक्त दुनिया का प्रबल समर्थक है
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ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास इराक़ची
पार्स टुडे - ईरान के विदेश मंत्री ने कहा: "इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान, समकालीन इतिहास में रासायनिक हथियारों का सबसे बड़ा शिकार होने के साथ-साथ, सामूहिक विनाश के हथियारों से मुक्त दुनिया का एक प्रबल समर्थक देश है।
साथ ही ईरान के विदेशमंत्री ने कहा कि परमाणु हथियारों से मुक्त मध्य पूर्व का प्रस्ताव देने वाले देश के होने के नाते, ईरान हमेशा इन हथियारों के खिलाफ़ लड़ाई में अग्रणी रहा है।
पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार ईरान के विदेश मंत्रालय के सूचना और प्रवक्ता विभाग के हवाले से, ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने एक संदेश में सद्दाम के बासी शासन द्वारा निर्दोष और रक्षाहीन शहर सरदश्त पर किए गए भयावह रासायनिक हमले के 38वें सालगिरह और रासायनिक एवं जैविक हथियारों के खिलाफ़ राष्ट्रीय संघर्ष दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
ईरानी विदेश मंत्री का संदेश:
सरदश्त रासायनिक हमले की वर्षगांठ और रासायनिक एवं जैविक हथियारों के खिलाफ़ राष्ट्रीय संघर्ष दिवस के अवसर पर
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इस्राइली शासन और अमेरिका द्वारा हमारे देश पर किए गए आपराधिक आक्रमण, बड़ी संख्या में नागरिकों - महिलाओं, बच्चों, वैज्ञानिकों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और हमारे गौरवशाली कमांडरों की शहादत और घायल होने के दुखद संदर्भ में, हम सद्दाम के बासी शासन द्वारा निर्दोष शहर सरदश्त पर किए गए भयावह रासायनिक हमले की 38वीं वर्षगांठ और रासायनिक एवं जैविक हथियारों के खिलाफ़ राष्ट्रीय संघर्ष दिवस को स्मरण करते हुए, मातृभूमि के सभी शहीदों की पवित्र आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
तीस साल बीत चुके हैं उस दर्दनाक दिन को, जो पवित्र रक्षा युद्ध के सबसे कड़वे दिनों में से एक था। वो दिन जब बासी इराक़ी शासन ने पश्चिमी देशों - अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस - के सीधे समर्थन या पूर्ण समर्थन से रासायनिक हथियारों का निर्ममता से उपयोग कर निर्दोष लोगों को निशाना बनाया। इस भयावह अपराध का कलंक हमेशा के लिए इसके कर्ता-धर्ताओं और समर्थकों के माथे पर रहेगा।
सरदश्त दुनिया का पहला आबाद शहर था जिसे 7 तीर 1366 (28 जून 1987) को सद्दाम के बासी शासन द्वारा रासायनिक हमले का शिकार बनाया गया। आज भी इस शहर की हवा में सरसों गैस की बू महसूस की जा सकती है। वो शहर जहां बच्चों ने हर प्रकार के ज्ञान से पहले अपनी माताओं के फ़फोले पड़े चेहरों पर 'मौत' शब्द पढ़ा। सरदश्त मध्य पूर्व का हिरोशिमा बन गया। इतिहास ये कभी न भूले कि सरदश्त के आसमान पर छाए रासायनिक बादल यूरोप के मानवाधिकार के ठेकेदारों के कारखानों से आए थे।
इतिहास के मार्ग में, ईरान की प्राचीन भूमि - सभ्यता और संस्कृति, मानवता और नैतिकता का पालना - गर्व और राष्ट्रीय गौरव से भरे हुए, सीना ताने खड़ी है, जबकि उन घावों और पीड़ाओं को सह रही है जिनका भरना कठिन, यदि असंभव नहीं तो। ये पीड़ाएँ रासायनिक हथियारों की विषैली और बर्फ़ीली साँस से पैदा हुई हैं। इस पवित्र भूमि की मिट्टी चीखों से भरी चुप्पी में हजारों निर्दोष बच्चों के शरीर पर अंकित पीड़ा की कहानी कहती व सुनाती है।
सरदश्त, गौरवशाली ईरानी राष्ट्र की तरह, एक देवदार है जो झुका तो, पर टूटा नहीं। सरदश्त पर रासायनिक हमला - जो समकालीन इतिहास में नागरिकों और आवासीय क्षेत्रों के खिलाफ़ रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का प्रतीक बन गया और हाल ही में इज़राइली शासन द्वारा आवासीय क्षेत्रों, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों और नागरिकों पर किए गए बर्बर हमले, जो पश्चिमी देशों की मौन सहमति और समर्थन के साथ हुए, ने एक बार फिर महान ईरानी राष्ट्र की मासूमियत को साबित कर दिया और मानवाधिकार के झूठे दावेदारों तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के स्वघोषित रक्षकों की पोल खोलकर इतिहास के पन्नों पर दर्ज कर दिया।
सरदश्त की प्रतिरोध क्षमता केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि उन सभी राष्ट्रों के लिए एक मिसाल है जो अत्याचार के आगे झुकने से इनकार करते हैं।
सरदश्त के रासायनिक बमबारी का जघन्य अपराध, जो प्रतिबंधित हथियारों के इस्तेमाल और सद्दाम को रासायनिक हथियारों से लैस करने में कुछ वैश्विक शक्तियों के प्रत्यक्ष समर्थन तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की चुप्पी के साथ अंजाम दिया गया, न केवल सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान ले बैठा, बल्कि हजारों लोगों को जीवन भर के लिए असहनीय पीड़ा में छोड़ दिया। यह कड़वा अनुभव अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विवेक पर एक झटका था और 1993 में रासायनिक हथियार निषेध संधि (CWC) के अंतिम मसौदे और वार्ताओं में तेजी लाने का कारण बना। यह संधि शांतिप्रिय ईरानी जनता, विशेषकर सरदश्त के मासूम नागरिकों के न्याय के लिए संघर्ष का परिणाम है।
प्रमाणिक दस्तावेज और ठोस सबूत इस बात की गवाही देते हैं कि कुछ पश्चिमी सरकारों, विशेषकर अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने रासायनिक पदार्थों, प्रौद्योगिकी और आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति कर सद्दाम शासन की मदद की, ताकि वह ईरानी जनता के खिलाफ़ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर सके। उस समर्थन और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की घिनौनी चुप्पी ने सद्दाम शासन को अपने अपराधों को जारी रखने और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने के लिए और भी उत्साहित किया। आज अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा दवाओं पर प्रतिबंध लगाना और रासायनिक हमलों के पीड़ितों के लिए चिकित्सा उपकरणों तक स्वतंत्र पहुंच को रोकना, उसी युद्ध अपराध की निरंतरता और नई अभिव्यक्ति है।
हाल के दिनों में, जब हम तेल अवीव में स्थित इतिहास के सबसे कुशल और क्रूर आतंकवादियों द्वारा महिलाओं, बच्चों, सामान्य नागरिकों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, परमाणु वैज्ञानिकों और ईरान के सैन्य व नागरिक अधिकारियों की हत्या के साक्षी हैं, तो वही पश्चिमी देश आक्रमणकारी का पक्ष लेते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उल्लंघन का समर्थन कर रहे हैं।
साथ ही, इस्राइली शासन द्वारा हमारे देश के बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से औद्योगिक रासायनिक सुविधाओं पर हमले एक मानवीय और पर्यावरणीय तबाही को जन्म दे सकते हैं। दुर्भाग्यवश, यह कुछ पश्चिमी देशों की स्पष्ट और अंतर्निहित चुप्पी व समर्थन के साथ हो रहा है।
इस संबंध में, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ने रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) की कार्यकारी परिषद की एक आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग की है, ताकि देश की बुनियादी सुविधाओं, विशेषकर औद्योगिक रासायनिक संयंत्रों पर अमानवीय हमलों की जांच और उनकी निंदा की जा सके।
इस्लामिक रिपब्लिक ईरान, समकालीन इतिहास में रासायनिक हथियारों का सबसे बड़ा शिकार होने के नाते, सामूहिक विनाश के हथियारों से मुक्त दुनिया का प्रबल समर्थक और परमाणु हथियारों से मुक्त मध्य पूर्व का प्रस्तावक होने के कारण हमेशा से इन हथियारों के खिलाफ संघर्ष में अग्रणी रहा है। ईरान ने कभी भी रासायनिक हथियारों के पीड़ितों के अधिकारों की मांग को नहीं छोड़ा है और मानता है कि न्याय की स्थापना सरदश्त जैसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए एक अनिवार्य शर्त है। मैं आशा करता हूं कि सामूहिक प्रयासों और संकल्प से वह दिन जल्द आएगा जब कोई भी मनुष्य सामूहिक विनाश के हथियारों का शिकार नहीं होगा और शांति व मित्रता युद्ध व हिंसा का स्थान ले लेगी।
एक बार फिर, मैं हाल ही में इज़राइली शासन और अमेरिका की आक्रामकता का मुकाबला करने में गौरवशाली ईरानी राष्ट्र की धैर्य, दृढ़ता, एकजुटता और संघर्षशीलता को सलाम करता हूं और सभी ईरानियों के साथ मिलकर देश की सशस्त्र सेनाओं के समक्ष सिर झुकाता हूं जिन्होंने आक्रमणकारियों को उचित जवाब दिया। MM