ख़र्राज़ी: ईरान बातचीत के लिए तैयार है, मगर ज़बरदस्ती स्वीकार नहीं
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पार्स टुडे - ईरान की विदेश संबंधों की रणनीतिक परिषद के अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि ईरान बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन ज़बरदस्ती स्वीकार नहीं करेगा।
(last modified 2025-10-19T10:31:29+00:00 )
Oct १६, २०२५ १८:५३ Asia/Kolkata
  • ख़र्राज़ी: ईरान बातचीत के लिए तैयार है, मगर ज़बरदस्ती स्वीकार नहीं
    ख़र्राज़ी: ईरान बातचीत के लिए तैयार है, मगर ज़बरदस्ती स्वीकार नहीं

पार्स टुडे - ईरान की विदेश संबंधों की रणनीतिक परिषद के अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि ईरान बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन ज़बरदस्ती स्वीकार नहीं करेगा।

पार्स टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान की विदेश संबंधों की रणनीतिक परिषद के अध्यक्ष 'कमाल ख़र्राज़ी' ने कहा: अगर बातचीत तार्किक सिद्धांतों पर आधारित हो और ईरानी जम्हूरी की इज़्ज़त का ख्याल रखा जाए, तो हम बातचीत के लिए तैयार हैं, अभी भी हम बातचीत के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि बातचीत के मूल सिद्धांतों का पालन किया जाए और हम इस बात का ध्यान रखें कि हम पर कुछ थोपा न जाए, और अगर थोपने की कोशिश की गई, तो हम उसका विरोध करें।

 

श्री कमाल ख़र्राज़ी ने KHAMENEI.IR के साथ बातचीत में आगे कहा: बातचीत के दौरान, हमने हमेशा ईरान की इज़्ज़त को ध्यान में रखा, हमने कोई ऐसा समझौता नहीं किया जो ईरान की इज़्ज़त के खिलाफ हो, और हमने हमेशा 'ईरान के समृद्धिकरण के अधिकार' पर जोर दिया; हालांकि, साथ ही, बातचीत में कुछ लचीलापन भी दिखाया गया ताकि कोई नतीजा निकल सके। इसलिए, इन परमाणु वार्ताओं में 'इज़्ज़त' (गरिमा), 'हिकमत' (बुद्धिमत्ता) और 'मस्लहत' (हितसाधन) के तीन सिद्धांतों का अनुभव साफ देखा जा सकता है।"

 

ख़र्राज़ी ने यह भी बताया: "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बातचीत के दौरान सैन्य हमला किया, जो बातचीत के सिद्धांतों के खिलाफ है; या फिर यूरोपीय लोगों ने अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं किया, और हालांकि वे खुद इस नतीजे पर पहुंचे थे कि ईरान को शून्य समृद्धिकरण स्वीकार करना चाहिए, फिर भी उन्होंने दावा किया कि हमें जेसीपीओए (ईरान परमाणु समझौता) का इस्तेमाल करना चाहिए और उन्होंने स्नैपबैक तंत्र लागू किया। ये बातें कूटनीति में प्रचलित सिद्धांतों के विपरीत हैं।

 

विदेश संबंधों की रणनीतिक परिषद के अध्यक्ष और ईरान की एक्सपेडिएंसी काउंसिल के सदस्य ने आत्मनिर्भरता की नीति को ईरानी जम्हूरी की मुख्य नीतियों में से एक बताया और जोर देकर कहा: यूरेनियम समृद्धिकरण हमारे देश का एक 'स्पष्ट अधिकार' है और यह ऐसी चीज नहीं है जिससे समझौता किया जा सके या सिर्फ दूसरों पर निर्भर रहा जा सके, यह देश के हित में है।"

 

ख़र्राज़ी ने युद्धविराम स्वीकार करने के संबंध में बताया: इजरायल पर भारी दबाव डाला गया था और हमारे मिसाइल हमले प्रभावी साबित हुए थे, और इजरायल को अधिकृत क्षेत्रों के अंदर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अनुमान लगाया गया था कि इस 12-दिवसीय युद्ध के कारण उन पर लगभग 2.4 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष युद्ध खर्च आया, जबकि अप्रत्यक्ष लागत अलग है। इसलिए, ये दबाव, आर्थिक दबाव और अधिकृत क्षेत्र के अंदर मनोवैज्ञानिक दबाव, प्रभावी साबित हुए। इसके अलावा, अमेरिकी भी नहीं चाहते थे कि युद्ध जारी रहे और यह क्षेत्र में फैल जाए और वे और उलझ जाएं, क्योंकि यह उनके हित में नहीं था। इस तरह, उन्होंने युद्धविराम का अनुरोध किया। हमने भी शुरू से कहा था कि अगर वे हमला नहीं करते हैं, तो हम जारी नहीं रखेंगे; इसलिए, हमने भी युद्ध रोक दिया। (AK)

 

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