ईरान पर लगाए गए तेल प्रतिबंध क्यों नाकाम हुए?
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वैश्विक बाजारों में ईरानी तेल निर्यात जारी
पार्स टुडे - तेल टैंकरों पर नजर रखने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था 'टैंकर ट्रैकर्स' ने अपनी नई रिपोर्ट में घोषणा की है कि ईरानी कच्चे तेल का निर्यात पिछले सात साल में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।
संस्था ने कहा कि सितंबर 2025 में ईरानी कच्चे तेल का निर्यात लगभग 2 मिलियन बैरल प्रति दिन तक पहुंच गया, जो 2018 के मध्य के बाद से अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है.
यह आंकड़े ऐसे समय में सामने आए हैं जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध संबंधी धाराएं (Snapback) सितंबर 2025 में एक बार फिर से ईरान के खिलाफ सक्रिय हुईं। अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों को उम्मीद थी कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की वापसी चीन जैसे बाजारों को ईरान से तेल आयात करने पर असर डालेगी, लेकिन नए आंकड़े और ईरानी अधिकारियों के आकलन इस बात की पुष्टि करते हैं कि इन प्रतिबंधों का ईरान के तेल निर्यात पर कोई असर नहीं हुआ है।
ईरान के तेल मंत्री मोहसिन पाक नेजाद ने इससे पहले कहा था कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की वापसी ईरान के तेल निर्यात पर कोई नया दबाव नहीं डालेगी। पाक नेजाद ने पिछले वर्षों के अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि ईरान तेल उद्योग के खिलाफ अमेरिका के कुछ सबसे कठोर प्रतिबंधों को पार करने में सक्षम रहा है।
चीन के राजदूत जोंग पीवू ने भी कहा कि ईरान और चीन के बीच संबंध अमेरिका के कार्यों से प्रभावित नहीं होंगे और दोनों देश अपने काम को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि चीन ईरान का समर्थन करता है और प्रतिबंधों को दोनों देशों के बीच कारोबार में बाधा नहीं आने देगा।
पिछले कुछ वर्षों में ईरान पर लगाए गए तेल प्रतिबंध अप्रभावी रहे हैं, क्योंकि ईरान स्वतंत्र देशों के साथ सहयोग, कूटनीतिक और तकनीकी उपायों सहित विभिन्न तरीकों से तेल निर्यात के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाने और चीन जैसे प्रमुख खरीदारों के बाजारों को बनाए रखने में सफल रहा है। चीन, भारत और कुछ अरब देशों ने भी अमेरिकी एकतरफा प्रतिबंधों को मान्यता नहीं दी है और ईरान से तेल आयात जारी रखा है।
वैश्विक ऊर्जा बाजार को ईरानी तेल की आवश्यकता है, क्योंकि प्रतिबंधों के बावजूद ईरान वैश्विक ऊर्जा बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति में एक प्रमुख खिलाड़ी बना हुआ है। सितंबर 2025 में प्रतिदिन 2 मिलियन बैरल ईरानी तेल का निर्यात इसकी स्थिति को दर्शाता है.
स्वतंत्र देशों द्वारा ईरान के साथ सहयोग को लेकर उत्साह पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है। चीन ने अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी करते हुए ईरान से तेल आयात जारी रखा है और इसे अपनी ऊर्जा रणनीति का हिस्सा मानता है. ऊर्जा और आर्थिक क्षेत्र में रूस के साथ ईरान का सहयोग भी मजबूत हुआ है, जिससे पश्चिम पर निर्भरता कम करने में मदद मिली है।
अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के कई देश सस्ते और विश्वसनीय ऊर्जा स्रोतों की तलाश में हैं और ईरान को एक उपयुक्त साझेदार मानते हैं। प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान अपने उत्पादन और रिफाइनिंग ढांचे को बनाए रखने और विकसित करने में सफल रहा है।
ईरान का वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक अनूठा स्थान है, जहां दुनिया के चौथे सबसे बड़े तेल भंडार और दूसरे सबसे बड़े प्राकृतिक गैस भंडार हैं, जो इसे एक रणनीतिक ऊर्जा स्रोत बनाते हैं. फारस की खाड़ी और अरब सागर तक अपनी पहुंच और एशियाई बाजारों के निकट होने के कारण ईरान में विभिन्न देशों को निर्यात करने की क्षमता है।
साल 2025 में ईरान के खिलाफ तेल प्रतिबंध विफल रहे, क्योंकि ईरान तकनीकी, कूटनीतिक और परिचालन उपायों का उपयोग करके अपना निर्यात बनाए रखने और यहां तक कि बढ़ाने में सफल रहा. यह सफलता वैश्विक ऊर्जा बाजार में आर्थिक सुदृढ़ता, रणनीतिक सूझबूझ और ईरान की भू-राजनीतिक स्थिति को दर्शाती है।
ईरान ने एक सफल विदेश नीति, विभिन्न देशों द्वारा ईरान से तेल खरीदने की इच्छा और अमेरिका एवं पश्चिम के एकतरफा प्रतिबंधों से बचने के अपने प्रभावी अनुभव के साथ, वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपनी स्थिति सफलतापूर्वक मजबूत की है। (AK)
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