सऊदी अरब मुसलमानों की पीठ में छुरा घोंप रहा है
अब रियाज़ ने खुलकर मुसलमानों के दुश्मनों के साथ सहयोग का एलान कर दिया है और उनके साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने शनिवार को रमज़ान मुबारक के पहले दिन क़ुरानी महफ़िल को संबोधित करते हुए कहा, ईश्वर ने इंसानों को आपस में प्रेम और भाईचारे के साथ रहने के लिए पैदा किया है, लेकिन आज दुनिया में हर जगह युद्ध, हिंसा और भय का माहौल है।
उन्होंने कहा, इन समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए क़ुरान के मार्गदर्शन में आगे बढ़ने की ज़रूरत है, लेकिन दुर्भाग्यवश आज इस्लामी जगत, अन्य समाजों की भांति समस्या ग्रस्त है और कुछ अयोग्य लोगों ने सऊदी अरब की तरह इस्लामी राष्ट्रों के शासन पर क़ब्ज़ा कर रखा है।
आले सऊद कि जो ख़ुद को मुसलमानों के दो सबसे पवित्र स्थलों का सेवक कहलाते हैं, इस्लाम विरोधी कार्य करते हैं। सऊदी अरब मुसलमानों की रक्षा के नाम पर इस्लाम के दुश्मनों के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। यहां तक कि अब रियाज़ ने खुलकर मुसलमानों के दुश्मनों के साथ सहयोग का एलान कर दिया है और उनके साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
सऊदी अरब इस्लामी जगत में दोहरी नीति अपनाए हुए है, एक ओर वह सीरिया में आतंकवादी गुटों का समर्थन कर रहा है, यमनी जनता का जनसंहार कर रहा है, बहरैनी जनता के शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने के लिए आले ख़लीफ़ा शासन से सहयोग कर रहा है, देश के पूरब में शिया बाहुल्य इलाक़ों में अत्याचार के पहाड़ तोड़ रहा है तो दूसरी ओर आतंकवाद से लड़ाई का दावा करते हुए अमरीका के नेतृत्व में अरब-इस्लामी सैन्य गठबंधन के गठन के लिए प्रयास कर रहा है।
इस्राईल के साथ सऊदी अरब का सहयोग, इस्लामी जगत के साथ एक बड़ा विश्वासघात है। आले सऊद ऐसी हालत में फ़िलिस्तीनी जनता के समर्थन का दावा कर रहे हैं जब वे ज़ायोनी अत्याचारियों के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सऊदी अरब की नीतियां किसी भी तरह से इस्लामी जगत के हित में नहीं हैं, बल्कि इस्लाम विरोधी शक्तियों के पक्ष में हैं। sms