फ़िलिस्तीन की मुक्ति, पूरे इस्लामी जगत का दायित्वः वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने हाजियों के नाम अपने अहम संदेश में फ़िलिस्तीन की रक्षा और उसकी मुक्ति को पूरे इस्लामी जगत का अहम दायित्व बताया है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने गुरुवार की सुबह जारी हुए अपने इस संदेश में इस्लामी देशों के राष्ट्राध्यक्षों और इस्लामी जगत के सभी बुद्धिजीवियों का दायित्व, मुसलमानों के बीच एकता पैदा करना, उन्हें षड्यंत्रों की ओर से सचेत करना और इस्लामी देशों में उत्पन्न होने वाले कटु संकटों को तुरंत रुकवाना बताया और कहा कि लगभग सत्तर साल से अपने अतिग्रहित देश को वापस पाने के लिए संघर्ष करनेवाले राष्ट्र का समर्थन इस्लामी जगत का सबसे अहम दायित्व है। उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन, इस्लामी जगत के बीचों-बीच, दुष्टता की आग फैला रहा है और इस्लामी जगत फिलिस्तीन की मुक्ति के अपने मूल्यवान कर्तव्य की ओर से निश्चेत हो कर सीरिया, इराक़, यमन, लीबिया, बहरैन के गृहयुद्धों में और अफ़ग़ानिस्तान व पाकिस्तान में आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध में फंसा हुआ है।
कई साल से इस्लामी जगत शत्रुओं के पूर्व नियोजित षड्यंत्रों के कारण विभिन्न प्रकार के राजनैतिक व सुरक्ष संकटों में ग्रस्त है। इस्लामी समुदाय के बीच मतभेद पैदा करना और इस्लाम की शिक्षाओं की ग़लत व्याख्या पेश करना, इस्लामी जगत में दुश्मनों के प्रमुख हथकंडे हैं। इसी ग़लत व्याख्या के परिप्रेक्ष्य में सीरिया, यमन, लीबिया से लेकर अफ़ग़ानिस्तान तक आतंकवादी गुटों को अस्तित्व प्रदान किया गया है जिन्होंने इन देशों को आतंकवाद व अशांति के संकट में ग्रस्त कर दिया है। इस आतंकवाद का स्रोत अमरीका व ज़ायोनी शासन की गुप्तचर सेवाएं हैं।
इन्हीं गुप्तचर संस्थाओं के आदेश पर आतंकी गुट दाइश ने पश्चिमी एशिया के सीरिया व इराक़ जैसे और फिर अफ़ग़ानिस्तान में आतंक मचा रखा है ताकि इस्लामी जगत के सबसे अहम मामले अर्थात फ़िलिस्तीन समस्या की ओर से ध्यान हट जाए। जो भी बात, सात दशक से चली आ रही इस समस्या की ओर से ध्यान हटने का कारण बनेगी वह इस्लामी जगत के बीच में स्थित अतिग्रणकारी ज़ायोनी शासन के हित में होगी। इस बात के दृष्टिगत इस्लामी समुदाय की एकता को मज़बूत बना कर ही दुश्मनों की चालों को विफल किया जा सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में इस्लामी जगत के सबसे बड़े जमावड़ों में से एक के रूप में हज में इस बात की भरपूर और बेजोड़ क्षमता पाई जाती है कि मुसलमान आपसी मतभेदों को दूर करके एकजुट हो जाएं और इस्लामी जगत की समस्याओं का मिल कर समाधान करें। (HN)