अमरीका, वचन तोड़कर अपनी विश्वसनीयता पर बट्टा लगा रहा है
राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के 72वें अधिवेशन में भाषण देते हुए जेसीपीओए के क्रियान्वयन के मार्ग में अमरीकी उल्लंघनों की ओर संकेत करते हुए कहा कि वाशिंग्टन, वादे तोड़कर और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन करके केवल अपनी विश्वासनीयता पर बट्टा लगा रहा है।
उन्होंने कहा कि ईरान परमाणु समझौता तोड़ने में पहल नहीं करेगा किन्तु दूसरे पक्ष की ओर से इसके उल्लंघन का ठोस और मज़बूत जवाब देगा। राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि यदि परमाणु समझौता, राजनीति के क्षेत्र के अयोग्य लोगों के हाथों तबाह होता है तो यह बहुत खेदजनक होगा किन्तु इससे ईरान की प्रगति और विकास की प्रक्रिया कभी भी प्रभावित नहीं होगी। राष्ट्रपति रूहानी ने दो टूक शब्दों में कहा कि अमरीकी सरकार वैश्विक समझौतों का उल्लंघन करके केवल अपनी वैश्विक साख को प्रभावित करेगी और वार्ता तथा समझौतों के हवाले से दुनिया के समस्त राष्ट्रों और सरकारों का विश्वास अमरीका से उठ जाएगा।
राष्ट्रपति रूहानी ने एक बार फिर तेहरान के इस दृष्टिकोण को दोहराया कि समग्र कार्य योजना दो वर्ष की वार्ता के परिणाम में अंजााम पाया है और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद और विश्व समुदाय ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव क्रमांक 2231 द्वारा इसका समर्थन किया है। राष्ट्रपति का कहना था कि समग्र परमाणु योजना केवल एक या दो देशों से संबंधित नहीं है बल्कि यह सुरक्षा काउंसिल की एक दस्तावेज़ है और इसका संबंध पूरे विश्व समुदाय से है।
डाक्टर हसन रूहानी ने ईरान की रक्षा क्षमताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरान का मीज़ाइल कार्यक्रम केवल प्रतिरक्षा प्रवृत्ति का है और इसका लक्ष्य क्षेत्र की शांति और स्थिरता को सुरक्षित रखना और मूर्खों के अभियानों को रोकना है।
क्षेत्रीय संकटों का उल्लेख करते हुए डाक्टर हसन रूहानी ने कहा कि हमारे क्षेत्र में विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप के परिणाम में अस्थिरता पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि विदेशी शक्तियां क्षेत्र में हस्तक्षेप और विध्वंसक हथियार बेचने के लिए ईरान पर अशांति फैलाने का आरोप लगा रही हैं। राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि विदेशी हस्तक्षेप और क्षेत्र के लोगों पर अपनी मर्ज़ी थोपने के परिणाम में संकट फैलेगा और जारी रहेगा।
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उन्होंने कहा कि सीरिया, यमन और बहरैन के संकटों का कोई सैन्य हल नहीं है बल्कि हिंसा की रोकथाम, जनता की राय का सम्मान करते हुए इन संकटों को समाप्त किया जा सकता है। राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि आज की दुनिया में देश की सुरक्षा, स्थिरता और विकास एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। उनका कहना था कि फ़िलिस्तीन की जनता एक उपद्रवी और नस्लभेदी सरकारर के हाथों निम्नतम मानवाधिकारों से वंचित हो और इस धरती पर अवैध क़ब्ज़ा करने वाले सुरक्षित रहें।
राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि यह कैसे संभव है कि यमन, सीरिया, इराक़, बहरैन, अफ़ग़ानिस्तान, म्यांमार और बहुत से दूसरे देशों की जनता, निर्धनता, युद्ध और झड़पों में जीवन व्यतीत करे और कुछ लोग यह समझते रहें कि वह अपने देश में शांति और सुरक्षा और विकास ला सकेंगे। (AK)