क्षेत्रीय विकास की ओर एक क़दम
ईरान की चाबहार बंदरगाह के बारे में होने वाले समझौतों के क्रियान्वयन पर नज़र रखने वाली समिति की पहली बैठक, ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और भारत के प्रतिनिधियों के मध्य दक्षिणपूर्वी ईरान चाबहार में आयोजित हुई।
चाबहार समझौते पर मई सन 2016 में इस्लामी गणतंत्र ईरान, भारत, और अफगानिस्तान के राष्ट्रध्यक्षों की उपस्थिति में हस्ताक्षर हुए थे। ईरान, भारत और अफगानिस्तान की सरकारों द्वारा इस समझौते की मंज़ूरी के बाद उसके क्रियान्वयन के लिए काम आरंभ हुआ और इस सिलिसिले में पहली बैठक अक्तूबर 2018 में हुई।
ईरान के सीस्तान व बलोचिस्तान प्रान्त में बंदरगाहों और नौकायान विभाग के प्रमुख बेहरुज़ आक़ाई ने इर्ना से एक वार्ता में कहा कि इस बैठक में ईरान, भारत , अफ़ग़ानिस्तान के कस्टम, रेलवे का काम शुरु होने तथा कार्गो आदि के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि भारत की आईपीजीएल कंपनी की इमारत का भी सोमवार को चाबहार में उद्धाटन हो गया और भारत सरकार की ओर से चाबहार बंदरगाह का संचालन औपचारिक रूप से आरंभ हो गया। उन्होंने बताया कि माल चढ़ाना और उतारना, आवश्यक मशीनों और उपकरणों की व्यवस्था और मार्केटिंग भारत की कंपनी, आईपीजीएल की ज़िम्मेदारियों में शामिल है।
भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदर के विस्तार के लिए 15 करोड़ डाॅलर के निवेश पर सहमति हुई थी। चाबहार - ज़ाहेदान रेल मार्ग के पूरा हो जाने से यह बंदरगाह, देश के रेलनेटवर्क से जुड़ जाएगा। आर्थिक क्षेत्र में ईरान को अलग थलग करने के लिए अमरीकी प्रयासों के बावजूद बहुत से देश यथावत ईरान में पूंजीनिवेश के इच्छुक हैं। क्षेत्र का रणनैतिक और ढांचागत महत्व इतना अधिक है कि अमरीका प्रतिबंधों के बारे में अपने फ़ैसले से पीछे हटने पर मजबूर हो गया।
अमरीका के विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने पिछले महीने चाबहार बंदरगाह के विस्तार को अमरीकी प्रतिबंधों की सूची से अलग कर दिया था। बहरहाल ईरान भौगोलिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण देश है और इसको दुनिया के सभी लोग स्वीकार भी करते हैं। चाबहार बंदरगाह के विस्तार से क्षेत्र में आर्थिक विकास में और अधिक रौनक़ पैदा होगी जिससे क्षेत्र एक नये रास्ते की ओर अग्रसर होगा। (AK)