पोम्पियो का भाषण, ईरान के खिलाफ निराधार दावे और अमरीकी सपने!
अमरीका ने ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद से लेकर अब तक हमेशा ईरान के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाया है जो ट्रम्प के काल में अधिक स्पष्ट रूप से नज़र आ रहा है और ट्रम्प की सरकार ने खुल कर कहा है कि वह इस्लामी गणतंण ईरान की व्यवस्था बदलने की इच्छा रखती है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जेसीपीओए से निकल कर और ईरान के खिलाफ परमाणु प्रतिबंध पुनः लागू करके एक आर्थिक युद्ध का शंखनाद कर दिया था जिसका उद्देश्य ईरान में निर्धनता और अशांति फैलाना है। इसके साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर ट्रम्प सरकार ने ईरान को क़ाबू में करने के लिए व्यापक स्तर पर मतभेद और अन्य देशों से ईरान के संबंध खराब करने की नीति अपनायी है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के विश्लेषक सैयद अहमद हुसैनी के अनुसार, वर्तमान समय में अमरीका की नीतियों में विश्व को जिस प्रकार से व्यापारिक दृष्टि से देखा जा रहा है उसके दृष्टिगत क्षेत्र में चिंता फैलाने और खतरा पैदा करने की अमरीकी नीति में ईरान एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। यही वजह है कि अमरीकी विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने गुरुवार को क़ाहिरा में अपने भाषण के दौरान ईरान के खिलाफ निराधार आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने सीरिया से अमरीकी सैनिकों की वापसी के ट्रम्प के फैसले पर अपने घटकों को संतुष्ट करने के बजाए ईरान को खतरा बना कर पेश किया ताकि अमरीकी नीतियों का औचित्य दर्शाया जा सके। पोम्पियो ने ईरान पर क्षेत्र में अपने प्रभाव बढ़ाने का आरोप लगाया लेकिन शायद वह यह भूल गये कि ईरान की भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रीय शक्ति तथा उसे प्राप्त जन समर्थन इस सीमा तक है कि ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव को खत्म करने का अमरीकी सपना कभी पूरा नहीं हो सकता इस लिए उन्हें अपने युरोपीय मित्रों से यह सीखना चाहिए कि किस प्रकार वह ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव का लोहा मानते हैं। (Q.A.)