ईरान और ओमान के बीच सैन्य सहयोग की बैठक मसक़त में
ईरान और ओमान सैन्य मित्रता समिति की ग्यारहवीं बैठक 13 अप्रैल को ओमान की राजधानी मसक़त में आरंभ हुई।
इस संयुक्त बैठक में तेहरान का प्रतिनिधित्व ईरान की सशस्त्र सेना के अन्तर्राष्ट्रीय मामलों के प्रभारी मेजर जनरल क़दीर नेज़ामी कर रहे हैं। ओमान में यह द्विपक्षीय बैठक 19 अप्रैल तक जारी रहेगी। जलमार्गों के महत्व के दृष्टिगत इनकी सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना बहुत ज़रूरी है। फ़ार्स की खाड़ी, ओमान सागर और हिंद महासागर में जलमार्गों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना, मसक़त बैठक का केन्द्रीय बिंदु है। इस काम के लिए क्षेत्रीय स्तर पर क्षेत्रीय देशों के बीच सहकारिता आवश्यक है। स्ट्रैटेजिक दृष्टि से ईरान को क्षेत्र में विशेष महत्व प्राप्त है। तेहरान के भीतर शत्रु के हर प्रकार की धमकियों का मुक़ाबला करने की क्षमता पाई जाती है। जल क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए भी ईरान के भीतर क्षमता पाई जाती है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान को अपनी कुछ विशेषताओं के कारण क्षेत्र की एक शक्ति के रूप में पहचाना जाता है। इस वास्तविकता को समझने के लिए आतंकवाद से संघर्ष के उद्देश्य से इराक़ में ईरानी सैन्य सलाहकारों की सेवा को देखा जा सकता है जिसने आतंकवादी गुट दाइश के विनाश में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। ईरान की सशस्त्र सेना के उप संयोजक एडमिरल हबीबुल्लाह सय्यारी का कहना है कि ईरान कभी भी पड़ोसियों पर अतिक्रमण करने या दूसरे देशों के हितों को क्षति नहीं पहुंचाना चाहता है लेकिन यदि कभी इस प्रकार का अवसर आए तो शत्रु की धमकियों के मुक़ाबले के लिए वह पूरी तरह से तैयार है। यह क्षमता दिखाती है कि ईरान, सैन्य क्षेत्र में सहकारिता करने की पूरी क्षमता रखता है। ईरान और ओमान ने हुरमुज़ जल डमरू मध्य के दो तटीय देशों के रूप में परस्पर सहयोग किया है। दोनो देशों के बीच पाबंदी से होने वाली सैन्य बैठकों ने क्षेत्र को विदेशी हस्तक्षेप से रोके रखा है। क्षेत्र की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के बहाने विदेशी हस्तक्षेप, क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सदैव ही एक चुनौती रहा है। इन परिस्थितियों में ईरान और ओमान के बीच संयुक्त सैन्य बैठक को इसी परिप्रेक्षय में देखा जा सकता है।