हथियारों की पाबंदियां बढ़ाने पर ईरान के विकल्प, कड़े होंगेः ज़रीफ़
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विदेश मंत्री ने इस बात पर बल देते हुए कि प्रस्ताव नंबर 2231 के बारे में सुरक्षा परिषद की ओर से किसी भी तरह की नई सीमितता, ईरान राष्ट्र से किए गए वादों के ख़िलाफ़ होगी, कहा है कि हथियारों की पाबंदी बढ़ने पर ईरान के ऑपशन ठोस होंगे।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Jul ०१, २०२० १०:०८ Asia/Kolkata
  • हथियारों की पाबंदियां बढ़ाने पर ईरान के विकल्प, कड़े होंगेः ज़रीफ़

विदेश मंत्री ने इस बात पर बल देते हुए कि प्रस्ताव नंबर 2231 के बारे में सुरक्षा परिषद की ओर से किसी भी तरह की नई सीमितता, ईरान राष्ट्र से किए गए वादों के ख़िलाफ़ होगी, कहा है कि हथियारों की पाबंदी बढ़ने पर ईरान के ऑपशन ठोस होंगे।

परमाणु समझौते से संबंधित सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव नंबर 2231 के क्रियान्वयन के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव अंटोनियो गुटेरस की रिपोर्ट की समीक्षा के लिए आयोजित होने वाली सुरक्षा परिषद की ऑनलाइन बैठक में मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा कि इस प्रस्ताव में प्रतिबंधों की समाप्ति का जो समय दिया गया है, वह बड़ी मुशकिलों से होने वाले इस समझौते का अटूट हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अगर सुरक्षा परिषद फिर इस मामले में हिचकिचाती है तो यह बहुपक्षवाद और क़ाूनन के शासन के संबंध में एक पीढ़ी पीछे चले जाने के अर्थ मेें होगा। ज़रीफ़ ने कहा कि सुरक्षा परिषद ने परमाणु समझौते के निरंतर उल्लंघन के चलते अमरीकी सरकार की निंदा या इस मामले की समीक्षा के लिए एक भी बैठक आयोजित नहीं की जबकि उसके कुछ यूरोपीय सदस्य प्रस्ताव और परिषद दोनों की छवि बिगाड़ने की कोशिश में हैं जबकि वे परमाणु समझौते के तहत किए गए अपने वादों का पालन भी नहीं कर रहे हैं।

 

ईरान के विदेश मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि अमरीका ने दबाव डाल कर राष्ट्र संघ के सचिवालय को प्रस्ताव नंबर 2231 के बारे में ग़लत नीति अपनाने पर विवश किया और उसे मजबूर कर दिया कि वह अपने अत्यंत ग़ैर पेशेवराना रिपोर्ट में झूठ दस्तावेज़ शामिल करे। ज़रीफ़ ने प्रस्ताव 2231 के बारे में राष्ट्र संघ के सचिवालय की रिपोर्ट के बारे में कहा कि ईरान ने सद्भावना दिखाते हुए इस रिपोर्ट के ख़िलाफ़ कोई जवाबी कार्यवाही नहीं की ताकि परमाणु समझौते के बाक़ी बचे सदस्य अपने वादों को पूरा कर सकें। उन्होंन कहा कि ईरान पूरे एक साल तक, परमाणु समझौते को पूरी तरह लागू करता रहा और उसके द्वारा कम अपनी सीमितताएं कम किए जाने के बावजूद आईएईए की देख-रेख और निगरानी की कार्यवाहियों में आज तक कोई रुकावट नहीं आई है जबकि ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम की इतिहास की सबसे कड़ी निगरानी की जा रही है। (HN)

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