क़तर के विदेशमंत्री की पहल, स्वागत योग्य है, क्षेत्र विदेशियों की उपस्थिति के बिना अधिक सुरक्षित हैः जवाद ज़रीफ़
(last modified Wed, 20 Jan 2021 17:06:52 GMT )
Jan २०, २०२१ २२:३६ Asia/Kolkata
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विदेशमंत्री मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने ईरान और अरब देशों के बीच वार्ता पर आधारित क़तर के विदेशमंत्री के प्रस्ताव का स्वागत किया है।

ईरान की हमेशा से परस्पर सम्मान की नीति रही है।  वह पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबन्धों का पक्षधर है।  ईरान हमेशा से ही अपने पड़ोसियों के साथ तार्किक, उचित और संतुलित संबन्ध बनाए रखना चाहता है।  इसी संदर्भ में ईरान के विदेशमंत्री जवाद ज़रीफ़ ने कहा है कि हमारा देश क्षेत्र में व्यापक वार्ता शुरू करने के लिए क़तर के विदेशमंत्री मुहम्मद बिन अब्दुर्रहमान के निमंत्रण का स्वागत करता है।  क़तर के विदेशमंत्री ने एक इन्टरव्यू में फ़ार्स की खाड़ी के तटवर्ती अरब देशों से ईरान से वार्ता करने की अपील की थी।  जवाद ज़रीफ़ ने ट्वीट किया है कि क़तर के विदेशमंत्री की पहल, स्वागत योग्य है।

ईरान ने इससे पहले भी क्षेत्रीय देशों के एकजुट होने और शांति के लिए गठबंधन करने का आह्वान किया था।  राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा के वार्षिक अधिवेषन में उन सभी देशों से शांति गठबंधन बनाने की मांग की थी जो फ़ार्स की खाड़ी और हुरमुज़ जलडमरू मध्य के परिवर्तनों से प्रभावित होते हैं। ईरान के राष्ट्रपति ने कहा था कि Hormoz Peace Endeavor शीर्षक के अन्तर्गत यह गठबंधन दूसरे देशों की संप्रभुता के सम्मान, सभी मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान, हमला न करने और दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के आधार पर है।

ईरान के विदेशमंत्री का हालिया ट्वीट क्षेत्रीय देशों को महत्व देने और फ़ार्स की खाड़ी में सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर आधारित है।  अन्तर्राष्ट्रीय मामलों के एक जानकार अब्दुल्लाह बिन सालेह का मानना है कि फ़ार्स की खाड़ी के देशों के साथ ईरान की वार्ता और सहयोग, क्षेत्र के लिए शांति एवं स्थिरता को उपहार स्वरूप ला सकता है।  वे मानते हैं कि इस काम से क्षेत्र में विदेशियों की उपस्थिति और हथियारों की होड़ में भी कमी आएगी।  सीधी सी बात है कि क्षेत्र में विदेशियों की उपस्थिति और शस्त्रों की प्रतिस्पर्धा से यहां पर शांति तो स्थापित नहीं हो सकती।

अमरीका और अवैध ज़ायोनी शासन, ईरानोफ़ोबिया के मुद्दे को हवा देकर क्षेत्र में संकट उत्पन्न करने के प्रयास में हैं।  उनकी इस नीति ने क्षेत्र को अस्थिर करके आतंकवाक को विस्तृत किया है।  शांति स्थापित करने के बहाने अफ़ग़ानिस्तान, इराक़ और फ़ार्स की खाड़ी में अमरीका और उसके घटकों की उपस्थिति भी शांति की स्थापना में विफल रही है।  इसका मुख्य कारण यह है कि उनका लक्ष्य कभी भी क्षेत्र में शांति स्थापित करना या आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष नहीं रहा है।

डोनाल्ड ट्रम्प ने अरब शासकों को दूध देने वाली गाय बताते हुए ईरानोफोबिया की आड़ में अरब देशों को अरबों डाॅलर के हथियार बेचे।  ईरान के विदेशमंत्री जवाद ज़रीफ़ ने 8 दिसंबर के अपन ट्वीटर में फ़ार्स की खाड़ी के पड़ोसी देशों को संबोधित करते हुए लिखा था कि आप क्यों संयुक्त राज्य अमरीका और तीन यूरोपीय देशों से अनुरोध कर रहे हैं कि ईरान के साथ वार्ता में वे उपस्थित रहें।  हम उनके साथ क्षेत्र के बारे में कोई भी वार्ता नहीं करेंगे।  इसका मुख्य कारण यह है कि वे हमारे क्षेत्र की समस्या हैं समाधान नहीं हैं।

यह बाते बताती हैं कि ईरान हमेशा ही अपने पड़ोसियों के साथ वार्ता के लिए तैयार रहा है।वर्तमान समय में क्षेत्र को पहले की तुलना में बहुत अधिक शांति एवं स्थिरता की आवश्यकता है जो वार्ता के माध्यम से ही संभव है विदेशियों की सहायता से नहीं।

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