जब हम दिल को अल्लाह को सौंप देते हैं
जीवन की चुनौतियों और चिंताओं के बीच, ईश्वर पर भरोसा करने से हृदय को शांति और आराम मिलता है।
मनुष्य का जीवन चुनौतियों, चिंताओं और अस्थिरताओं से भरा है जो कभी-कभी दिलों को बेचैनी और संदेह में डाल देता है। ऐसी परिस्थितियों में, ईश्वर पर भरोसा एक दिव्य उपाय के रूप में मनुष्य के हृदय में गहरी शांति और विश्वास पैदा कर सकता है। कुरान करीम की कई आयतों में व्यक्तिगत नैतिकता और आत्मिक सुदृढ़ता के मूल स्तंभ के रूप में तवक्कुल अर्थात महान ईश्वर पर भरोसा के महत्व पर ज़ोर दिया गया है। उदाहरण स्वरूप सूरे तलाक़ की आयत नंबर 3 में कहा गया है:
"और जो कोई अल्लाह पर भरोसा करे, तो वही उसके लिए काफी है।"
यह आयत का छोटा टुकड़ा है किन्तु गहन व्यक्तिगत नैतिकता का एक मौलिक सिद्धांत बताता है: अल्लाह पर तवक्कुल अर्थात भरोसा का अर्थ है जीवन के सभी मामलों में उसकी शक्ति और बुद्धिमत्ता पर हृदय से विश्वास करना।
तवक्कुल का मतलब प्रयास छोड़ देना नहीं है, बल्कि यह है कि इंसान अपना कर्तव्य पूरा करने और पूरी कोशिश करने के बाद परिणाम को अल्लाह पर छोड़ दे और भविष्य या काम के अंजाम की चिंता न करे।
"वही उसके लिए काफी है" इस वाक्य का अर्थ है कि तवक्कुल करने वाला व्यक्ति दूसरों पर निर्भरता और अपनी असमर्थता से उत्पन्न चिंता से मुक्त हो जाता है और केवल अल्लाह की ओर देखता है। यही तवक्कुल उसे गहन शांति और हृदय का विश्वास प्रदान करता है।
यह आयत इस बात पर ज़ोर देती है कि ईमानदार नैतिकता तवक्कुल अर्थात ईश्वर पर भरोसा के साथ जुड़ी हुई है। तवक्कुल करने वाला व्यक्ति न केवल आत्मिक रूप से मज़बूत और शांत होता है बल्कि वह ईर्ष्या, लालच, भय और लोभ से भी मुक्त रहता है। क्योंकि वह जानता है कि ईश्वर ही उसके लिए पर्याप्त है और उसकी रोज़ी और जीवन की नियति उसी के हाथ में है।
तवक्कुल मुश्किलों में स्थिर रहने और अनिश्चितता में शांति पाने की एक आंतरिक शक्ति है। ऐसा व्यक्ति जीवन की परेशानियों के सामने नहीं घबराता, क्योंकि उसकी शरण सबसे मजबूत शरण महान ईश्वर है। MM