जमकरान मस्जिदः वह जगह जहाँ दुआ सामाजिक कार्रवाई में बदल जाती है
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पार्स टुडे – जमकरान मस्जिद विश्वव्यापी आशा का प्रतीक है जो महामुक्तिदाता के आगमन, न्याय के विस्तार, करुणा, और मानव के आध्यात्मिक एवं बौद्धिक विकास का प्रतीक है।
(last modified 2025-09-23T11:57:47+00:00 )
Sep २३, २०२५ १७:२३ Asia/Kolkata
  • ईरान के क़ुम प्रांत की जमकरान मस्जिद 
    ईरान के क़ुम प्रांत की जमकरान मस्जिद 

पार्स टुडे – जमकरान मस्जिद विश्वव्यापी आशा का प्रतीक है जो महामुक्तिदाता के आगमन, न्याय के विस्तार, करुणा, और मानव के आध्यात्मिक एवं बौद्धिक विकास का प्रतीक है।

क़ुम शहर के बाहरी क्षेत्र में और हज़रत मासूमा (स.) के रौज़े के निकट स्थित जमकरान मस्जिद केवल उपासना स्थल नहीं बल्कि एक आदर्श मंच है जो मानव को उज्जवल और उच्चतर भविष्य की ओर आमंत्रित करता है। यह मस्जिद, हज़रत इमाम महदी (अज.) के आदेशानुसार और हसन बिन मसलह जमकरानी की रिवायत के आधार पर बनाई गई, उस आशा का प्रतीक है जो प्रतीक्षा की गहराई में धड़कती है वह आशा कि महामुक्तिदाता के आगमन से दुनिया अन्याय, अज्ञानता और विभाजन से मुक्त होगी और मानव के उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त होगा।

 

इस दृष्टिकोण में, जमकरान केवल उपासना का स्थान नहीं बल्कि मानव की आत्मा और मन के पोषण का आधार है। न्याय, जो आगमन के मूल हैं, इस स्थान पर एक सृजनात्मक शक्ति के रूप में काम करते हैं यह शक्ति करुणा, सहानुभूति और बौद्धिक विकास के लिए समाजों में अवसर उत्पन्न करती है। इस मस्जिद में उपस्थिति एक आध्यात्मिक पहल है, जो ऐसी दुनिया में प्रवेश का प्रतीक है जहाँ मनुष्य शक्ति के बजाय, सद्गुण और बुद्धि के आधार पर एक-दूसरे के साथ संपर्क करते हैं।

 

जमकरान में नमाज़ अदा करने का महत्व, जैसा कि हज़रत इमाम महदी अलै. की एक हदीस में आया है, अत्यधिक विशेष है। इसका महत्व केवल स्थान की पवित्रता को नहीं दर्शाता, बल्कि उपासना और चेतना के गहरे संबंध को भी बयान करता है। जमकरान में नमाज़, जीवन पथ पर पुनर्विचार करने, आत्मा की शुद्धि करने और उस सत्य से जुड़ने का अवसर है जो अंतिम न्याय फैलाने वाले महामुक्तिदाता के आगमन में प्रकट होता है।

 

जमकरान वह स्थल भी है जहाँ अहल-ए-बैत से प्रेम व निष्ठा रखने वाले और आगमन के उत्सुक लोग इकट्ठा होते हैं ऐसी भीड़ जो अपनी दुआ और उत्साह के माध्यम से न केवल व्यक्तिगत मुक्ति, बल्कि मानवता को ऐतिहासिक अंधकार से मुक्त करने का प्रयास करती है। यह एकजुटता समाज में करुणा और सहानुभूति के बीज बो सकती है और मनुष्यों को एक बेहतर दुनिया की ओर प्रेरित करती है, ऐसी दुनिया जहाँ बुद्धिमत्ता, नैतिकता और प्रेम, हिंसा और भेदभाव की जगह लेते हैं।

 

अंततः जमकरान मस्जिद को केवल एक पवित्र स्थल नहीं, बल्कि एक प्रतिज्ञा स्थल मानना चाहिए एक ऐसा आधार जहाँ चिंतन, संवाद और आगमन के युग के लिए तैयारी होती है। यह मस्जिद मानव को ईश्वरीय वादे की प्राप्ति में सहभागिता के लिए आमंत्रित करती है, वह वादा जिसमें न्याय न केवल एक कानूनी सिद्धांत के रूप में बल्कि मानवों के बौद्धिक, नैतिक और सामाजिक विकास के लिए एक सजीव शक्ति के रूप में कार्य करता है। जमकरान इस अर्थ में वह बिंदु है जहाँ मानव अपनी दुआ और उपस्थिति के माध्यम से एक उच्चतर भविष्य से जुड़ता है ऐसा भविष्य जिसमें सुख और समृद्धि केवल एक इच्छा नहीं, बल्कि वास्तविक अनुभव बन जाती है। mm