Pars Today
अमरीकी समाज में भेदभाव की खाई गहराती जा रही है और अश्वेत नागरिकों के विरुद्ध अत्याचार निरंतर हो रहे हैं।
अमरीका में 3 अश्वेत नागरिकों को 36 साल बाद हत्या के आरोप से बरी करके जेल से रिहा कर दिया गया है।
पूरी दुनिया को मानवाधिकार का पाठ पढ़ाने वाला अमेरिका, आज एक ऐसे देश के रूप में पहचाना जाता है जहां प्रतिदिन मानवाधिकार की खुले आम धज्जियां उड़ाई जाती हैं।
नस्लभेद के विरुद्ध प्रदर्शन करने वाले अमरीकी नागरिकों ने साइलेंट सैम की प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया है।
अमरीका के पेन्सेल्वानिया राज्य में ग्रांड ज्यूरी की रिपोर्ट में 300 से अधिक पादरियों को 1000 से अधिक बच्चों के यौन शोषण का आरोप लगाया गया है।
अमेरिका की एक अदालत ने पुलिस द्वारा मारे गए एक अश्वेत नागरिक की जान की क़ीमत केवल 4 डॉलर लगाई है और पुलिस विभाग को आदेश दिया है कि मृतक के परिवार वालों को चार डॉलर हर्जाना दिया जाए।
इस्राईल के वरिष्ठ धर्मगुरु ने गुरुवार को अपने एक बयान में अश्वतों को नस्लभेदी शब्द से याद किया।
फ़ेक न्यूज़ इस समय एक वैश्विक समस्या बन गई है और इसके गहरे प्रभाव देखने में आ रहे हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि फ़ेक न्यूज़ के कारण हत्या जैसे जघन्य अपराध भी हुए हैं।
अमेरिका में लगातार अश्वेतों पर हो रहे नस्लभेदी हमलों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए गए। इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हो गई हैं।
अमरीका में पुलिस के हाथों अश्वेत व्यक्ति की हत्या के मुक़द्दमे का फ़ैसला न हो पाने पर सिनसिनैटी शहर में प्रदर्शन फूट पड़ा।