यहूदी धर्मगुरु ने अश्वेत को " बंदर" कहा
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गैर कानूनी बस्तियां बढ़ती ही जा रही हैं।
इस्राईल के वरिष्ठ धर्मगुरु ने गुरुवार को अपने एक बयान में अश्वतों को नस्लभेदी शब्द से याद किया।
" इस्हाक़ युसुफ" ने इबरी भाषा में एक अश्वेत को " बंदर " कहा
समाचार पत्र इंडिपेंडेंट के अुनसार नस्लभेद के विरुद्ध काम करने वाली संस्थाओं ने इस बयान को नस्लभेदी और अस्वीकारीय बताया है।
याद रहे इस्राईली नेता अतीत में भी कई बार इस प्रकार के नस्लभेदी बयान दे चुके हैं।
इस्राईली अधिकारी पहले ही अश्वेतों को बाहर निकालने का प्रयास कर चुके हैं।
फ़िलिस्तीन की धरती पर साठ वर्षों से क़ब्ज़ा जमाए बैठे ज़ायोनी अधिकारी इस धरती से अफ़्रीक़ी पलायनकर्ताओं को निकालने की नीति रहे हैं।
ज़ायोनी शासन ने जनवरी 2018 को एरीटेरिया और सूडान के लगभग 38 हज़ार शरणार्थियों को प्रस्ताव और दो विकल्प दिया कि या तो वह 3500 डॅालर और हवाई जहाज़ का टिकट लेकर किसी दूसरे अफ़्रीक़ी देश चले जाएं या जेल में सड़ने के लिए तैयार रहें।
इसी मध्य इस्राईली सैनिकों ने " नेगब" मरुस्थल के " अलअराक़ीब " गांव को 26वीं बार वीरान कर दिया।
नेगब मरुस्थल में लगभग ढाई लाख फिलिस्तीनी रहते हैं और इस्राईल कई दशकों से कोशिश कर रहा है कि उन्हें इस इलाके से निकाल कर वहां यहूदी बस्तियों का निर्माण करे।
अंतरराष्ट्रीय नियमों के अुनसार इस्राईल इन क्षेत्रों में बस्ती नहीं बना सकता लेकिन इस्राईल अमरीका के समर्थन के कारण धड़ल्ले से न केवल यह कि इन क्षेत्रों में बस्तियां बना रहा है बल्कि इन क्षेत्रों में मौजूद फिलिस्तीनयों को क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर भी कर रहा है।(Q.A.)