रमज़ान-18
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हे ख़ुदा, मुझे उसकी सुबह की बरकतों से लाभान्वित कर और मेरे दिल को उसके प्रकाश से प्रबुद्ध कर दे और मेरे सभी अंगों को उसके कार्यों का पालन करने का अवसर प्रदान कर, सत्यवादियों के हृदयों को प्रकाशित करने वाले अपने प्रकाश से मुझे भी प्रकाशमय कर दे।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Apr १९, २०२२ १४:०९ Asia/Kolkata

हे ख़ुदा, मुझे उसकी सुबह की बरकतों से लाभान्वित कर और मेरे दिल को उसके प्रकाश से प्रबुद्ध कर दे और मेरे सभी अंगों को उसके कार्यों का पालन करने का अवसर प्रदान कर, सत्यवादियों के हृदयों को प्रकाशित करने वाले अपने प्रकाश से मुझे भी प्रकाशमय कर दे।

ख़ुदा के प्रिय बंदो, रमज़ान का आधा महीना बीत चुका है। ख़ुदा के अलावा कोई नहीं जानता है कि हम में से कौन, अगले रमज़ान में ज़िंदा रहेगा। यहां यवाल यह है कि हमने ख़ुदा की नेमतों से कितना लाभ उठाया है? रमज़ान माफ़ी और क्षमा का महीना है, ख़ुदा की ओर लौट जाने का महीना है।

अगर हमें इस महीने में क्षमा प्राप्त नहीं होगी, तो फिर कब होगी। कहीं ऐसा न हो कि यह महीना ख़त्म हो जाए और हमारे गुनाह माफ़ नहीं हों, कहीं ऐसा न हो कि जब रोज़ेदारों को उनके रोज़े का फल मिले, तो हमारी गिनती गुनहगारों में हो।

आज, 19वीं रमज़ान की पूर्व रात्रि है। यह ऐसी रात है जिसके बारे में शबे क़द्र होने की संभावना है। इस्लाम धर्म में शबे क़द्र पवित्र शबों अर्थात रातों में से एक है। ख़ुदा ने क़ुराने मजीद में इसे महान शब क़रार दिया है और उसके नाम पर क़ुरान में एक सूरा, सूरए क़द्र नाज़िल किया है। कोई भी रात शबे क़द्र के समान महत्वपूर्ण नहीं है। इस रात, क़ुरान नाज़िल हुआ और इसी रात में फ़रिश्ते और रूह उतरते हैं। शबे क़द्र में इबादत करना एक हज़ार महीनों से बेहतर है। इस रात में इंसान की एक वर्ष की आजीविका निर्धारित की जाती है, आयु एवं अन्य चीज़ों का निर्धारण भी किया जाता है।

पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने शाबान के अंत में पवित्र रमज़ान के महत्व के बारे में जो ख़ुतबा दिया था, उसमें फ़रमाया है, तुम्हारी पीठ गुनाहों के बोझ से भारी हो गई है। उसे लम्बे सजदों द्वारा हल्का करो।

वास्तविक मोमिन जब इबादत और उपासना का मीठा स्वाद चखता है तो वह सबसे अधिक सजदे की ज़रूरत का एहसास करता है। उनका मानना है कि सजदा ख़ुदा के निकट होने का सबसे बेहतरीन माध्म है और जितना यह अधिक लम्बा होगा उतना ही अधिक मोमिन ख़ुदा से निकट होगा। शैतान सबसे अधिक घृणा लम्बे सजदों से करता है, इसलिए कि लम्बा सजदा पापों को उस तरह नष्ट कर देता है, जिस तरह हवा पेड़ के पत्तों को झाड़ देती है। इमाम सादिक़ (अ) ने फ़रमाया है, अगर इंसान किसी ऐसी जगह कि उसे कोई नहीं देख रहा होता है, सजदे को लम्बा करता है, तो शैतान कहता है, मेरे लिए अफ़सोस की बात है कि लोग ख़ुदा का अनुसरण कर रहे हैं और सजदा कर रहे हैं, लेकिन मैंने पाप किया और इनकार किया।

ख़ुदा के लिए लम्बे सजदों का सच्चे इंसानों को मूल्यवान प्रतिफल मिलता है। ख़ुदा के निकट होने का सबसे छोटा मार्ग वह समय है जब इंसान अपने पालनहार के सामने सिर झुकाता है और अपनी बंदगी का इज़हार करता है। एक दिन पैग़म्बरे इस्लाम (स) अपने घर के निर्माण में व्यस्त थे और एक व्यक्ति उधर से गुज़र रहा था। वह निकट आया और हज़रत से कहा, हे ईश्वरीय दूत मैं राज हूं, क्या मैं आपकी सहायता कर सकता हूं? पैग़म्बरे इस्लाम ने उसे इसकी अनुमति प्रदान कर दी। काम समाप्त होने के बाद हज़रत ने उससे कहा, तुम अपने श्रम का क्या बदला चाहते हो? राज ने तुरंत कहा, स्वर्ग चाहता हूं। पैग़म्बरे इस्लाम ने उसकी बात स्वीकार कर ली। जब वह ख़ुशी ख़ुशी वहां से जाने लगा तो पैग़म्बरे इस्लाम ने उसे आवाज़ दी और फ़रमाया, हे ख़ुदा के बंदे, तू भी लम्बे सजदों द्वारा हमारी सहायता कर।

सजदा ख़ुदा की श्रेष्ठा का बेहतरीन प्रतीक है। सजदा जब होता है जब इंसान ज़मीन पर बैठता है और अपनी पेशानी ख़ाक पर रखता है। वास्तव में यह स्थिति ख़ुदा के सामने स्वयं को कुछ नहीं समझना और उसकी बंदगी का स्वीकार करना है। हज़रत अली (अ) फ़रमाते हैं, शारीरिक सजदा, दिल की गहराई से ज़मीन पर सात अंगों को टिकाना है, लेकिन हार्दिक सजदा दुनिया और उसकी चीज़ों से दिल को हटाकर परलोक, एवं बाक़ी रहने वाली चीज़ों के प्रति आशा रखना और ईश्वरीय दूत के आचरण से अपने जीवन को सुसज्जित करना है।

रमज़ान क्षमा के स्वीकार होने और ख़ुदा की ओर पलटकर जाने का महीना है। जिन लोगों ने अपने जीवन में पाप किए हैं, वे रोज़े द्वारा अपना शुद्धिकरण कर सकते हैं। पैग़म्बरे इस्लाम (स) के परिजनों के अनुसार, इस महीने में पाप माफ़ कर दिए जाते हैं और यह उन लोगों के लिए बड़ी शुभ सूचना है कि जिनसे ग़लतियां हुई हैं। निःसंदेह जो पापी अपने पापों पर शर्मिंदा है अगर वह इस महीने में ख़ुदा के लिए रोज़ा रखे और अपने कृत्यों के लिए तोबा करे तो ख़ुदा  उसके पापों को माफ़ कर देगा।

पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमाया है, रमज़ान मुबारक में ख़ुदा पापियों के इतने पापों को क्षमा कर देता है कि उसके अलावा कोई और उसका हिसाब नहीं जानता है और रमज़ान की अंतिम रात जितने पापों को उसने पूरे महीने में क्षमा किया होता है उतने ही लोगों को नरक से मुक्ति प्रदान करता है और जो कोई रमज़ान में रोज़ा रखता है और जिन चीज़ों को ख़ुदा ने हराम किया है उनसे परहेज़ करता है तो स्वर्ग को उसके लिए अनिवार्य कर देता है।

इन रातों की विशेषता ख़ुदा से क्षमा याचना और तोबा करना है। इन रातों में क्षमा याचना और तोबा की सिफ़ारिश इसलिए की गई है, क्योंकि पाप और गुनाह इंसान के दिल को काला और दूषित कर देते हैं, दूषित बर्तन की भांति दूषित दिल भी ख़ुदा के प्रकाश का स्थान नहीं बन सकता। यही कारण है कि उसकी कोई इबादत और दुआ क़बूल नहीं होती।

रमज़ान का महीना बरकत, रहमत और क्षमादान का महीना है। ख़ुदा इस महीने में अपने बंदों के पापों को माफ़ कर देता है और अच्छे कामों के बदले जैसे कि रोज़ा रखना, इबादत करना, क़ुरान की तिलावत करना और दान देना, स्वर्ग प्रदान करता है। इसलिए जिन लोगों पर उनके पुण्य के कारण ख़ुदा की कृपा होती है, उनके लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। लेकिन अगर कोई इस प्रकार का पुण्य नहीं कर रहा है तो वह ख़ुद पर स्वर्ग के द्वार को बंद कर रहा है।

इमाम बाक़िर (अ) ने फ़रमाया है, पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने जब रमज़ान के महीने के चांद की ओर देखा तो काबे की ओर रुख़ करके फ़रमाया, हे अल्लाह इस महीने को हमारे लिए नया बना दे, सुरक्षा के रूप में, ईमान के रूप में, स्वास्थ्य के रूप में, कल्याण के रूप में, आजीविका के रूप में, बीमारियों से बचने के रूप में, क़ुरान की तिलावत करने और नमाज़ व रोज़े के रूप में, हे ख़ुदा हमें रमज़ान के लिए स्वस्थ रख और रमज़ान को हमारे लिए और हमसे स्वीकार कर ले, यहां तक कि रमज़ान का महीना पूरा हो जाए और तू हमें क्षमा कर चुका हो। उसके बाद, लोगों की ओर देखकर कहा, हे मुसलमानो, जब रमज़ान का चांद निकल आता है, तो शैतानों को ज़ंजीर में बांधकर खींचा जाता है, आसमान, स्वर्ग और रहमत के द्वार खुल जाते हैं और नरक के द्वार बंद हो जाते हैं।

क़ुराने मजीद की व्याख्या करते हुए अल्लामा तबातबायी कहते हैं, ख़ुदा का ज़िक्र करने से दिलों को शांति प्राप्त होती है। इसलिए कि इंसान के जीवन का उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति और कल्याण प्राप्ति के अलावा कुछ नहीं है और उसे किसी अचानक आने वाली आफ़त का कोई भय नहीं होता है। एकमात्र वह हस्ती कि जिसके हाथ में उसका कल्याण और अभिशाप है, वह वही ईश्वर है। समस्त मामले उसकी ही ओर पलटकर जाते हैं, वह वही है जो पालनहार है, जो चाहता है वह करता है और मोमिनों का स्वामी और उन्हें शरण देने वाला है। इसलिए उसका ज़िक्र और गुणगान ऐसे व्यक्ति के लिए जो मुसीबतों में घिरा हुआ है और किसी मज़बूत सहारे की तलाश में है कि जो उसका कल्याण कर सके, वह उसकी ख़ुशी और शांति का कारण है।

रमज़ान के महीने में ईश्वर का ज़िक्र और गुणगान हो रहा है, यह आत्मनिर्माण और बंदगी का महीना है, इस महीने में रोज़ेदार ख़ुदा की मेज़बानी और प्रेम का लुत्फ़ उठाते हैं। इस महीने में उन लोगों को इस मूल्यवान दावत का फल मिलता है। इसका मूल्यवान फल, स्वयं से संपर्क, ख़ुदा से संपर्क और उसके बंदों से संपर्क करना है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) के मुताबिक़, यह महानता, गौरव और सम्मान का महीना है और इसे अन्य महीनों पर प्राथमिकता दी गई है। बेहतर होगा प्रेम और शुद्ध नीयत के साथ इससे लाभान्वित हों और उसके सुन्दर दिनों और आध्यात्मिक सुबहों को ख़ुदा से बातचीत एवं प्रेमपूर्वक दुआओं के लिए लाभ उठाएं और कल्याण प्राप्त करें।