अत्याचार के विरोध में बहरैनियों को मिली फांसी की सज़ा
नस्र अश्शेमरी कहते हैं कि अत्याचार के विरोध के कारण बहरैनियों को फांसी दी जा रही है।
इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन "नोजबा" के प्रमुख ने कहा है कि बहरैन वासियों को अत्याचार का विरोध करने के कारण फांसी दी जा रही है।
नस्र अश्शेमरी ने कहा है कि मानवाधिकारों की रक्षा का दावा करने वालों की ओर से बहरैन और यमन के बारे में जहां पश्चिमी देश मौन धारण किये हुए हैं वहीं पर अत्याचार का विरोध करने के कारण बहरनै के लोगों को फांसी की सज़ा सुनाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि बहरैनियों का गुनाह, अत्याचार का विरोध करना है। नोजबा के प्रमखु ने कहा कि संयुक्त राष्ट्रसंघ और उसकी सुरक्षा परिषद ने यमन और बहरैन की घटनाओं के बारे में कोई प्रभावी काम नहीं किया है।
उनका कहना था कि अगर पूरी दुनिया यमनियों और बहरैनियों पर ढाए जाने वाले अत्याचारों को भुलादें फिर भी ईरान, इराक़ और लेबनान के शिया मुसलमान इसको कभी भी नहीं भूलेंगे।
याद रहे कि सऊदी अरब के एक न्यायालय ने मिलक फहद नामक एक पुल को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए बहरैन के दो युवाओं को हाल ही में फांसी का आदेश सुनाया है।
मानवाधिकार संगठनों ने इस आदेश का विरोध किया है। उनका मानना है कि सऊदी अरब के भीतर मानवाधिकारों का सम्मान नहीं किया जाता और वहां पर इसका हनन स्पष्ट रूप में दिखाई देता है।
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