इराक़ ने छोड़ा एक नया शोशा, सुनकर दुनिया है हैरान
(last modified Sun, 03 Jul 2022 08:33:09 GMT )
Jul ०३, २०२२ १४:०३ Asia/Kolkata

सऊदी अरब के चैनल अलअरबिया के साथ इराक़ के विदेशमंत्री का हालिया बयान बहुत ही ध्यानयोग्य है जिसमें उन्होंने ईरान, मिस्र और जार्डन के बीच बग़दाद की मध्यस्थता की बात कही।

उन्होंने ने यह बयान एसी हालत में दिया है कि इन तीनों देशों में से किसी एक ने भी इस बारे में कोई बात नहीं की और इससे पहले भी इराक़ की ओर से इस तरह के प्रयास किए जाने के बारे में कोई समाचार सामने नहीं आया था।

मूल रूप से मिस्र और जार्डन के साथ हालिया कुछ वर्षों में ईरान के साथ एसे नहीं थे कि जिसके लिए मधस्थ्यता की ज़रूरत पड़े लेकिन साथ ही इतने भी ज़्यादा तनावग्रस्त नहीं थे कि टकराव की नौबत आ गयी हो, वास्तव में तीनों ही देशों के राजनैतिक दृष्टिकोण और विदेश नीति अलग अलग है और इसको इस प्रकार से आगे बढ़ाया गया कि तनाव व टकराव की नौबत नहीं आई।

इस तरह के अतीत को देखते हुए अलअरबिया चैनल के साथ इराक़ के विदेशमंत्री की ओर से इस तरह का बयान ध्यान योग्य है और इस पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। यहां पर यह बात ध्यान देने की ज़रूरत है कि अलअरबिया के साथ साक्षात्कार हुआ जिसे बीबीसी और रेडियो फ़रदा जैसे मीडिया चैनल्ज़ से इसे दोबारा प्रसारित किया गया।

इस आधार पर एक तरफ़ तो यह मामला सऊदी अरब की राजनैतिक आवश्यकताओं के अनुरूप है जबकि दूसरी ओर उस भूमिका पर भी बल है जिस की कोशिश मुस्तफ़ा काज़मी सत्ता में आने के बाद से कर रहे हैं लेकिन उन्हें देश के भीतर आंतरिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है।

सऊदी अरब की राजनैतिक मांग के संबंध में यह कहा जा सकता है कि रियाज़ पर इस्राईल के साथ गुप्त संबंधों को उजागर करने के लिए बहुत ज़्यादा दबाव है और संभव है कि यह मामला जो बाइडन की सऊदी अरब और इस्राईल की यात्रा के दौरान सामने आ सकता है लेकिन रियाज़ को चिंता है कि इस काम से इस्लामी जगत में उसकी छवि धूमिल हो जाएगी और यही वजह है कि वह मिस्र और जार्डन के साथ ईरान की मध्यस्थता का मामला सामने लाकर इसको दबाने और इससे फ़ायदा उठाने के प्रयास में है। (AK)

 

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