यमनी संसाधनों की लूटपाट, रिपोर्ट में अहम बात सामने आई
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यमन के तेल संसाधनों की लूट का इतिहास कई वर्षों पुराना है और यमन की नेश्नल साल्वेशन सरकार के तेल मंत्री द्वारा विस्तृत विवरण देखने के बाद पता चलता है कि केवल 2018 से अब तक, चार वर्षों के भीतर लगभग साढ़े नौ अरब डॉलर के देश के तेल संसाधनों को हमलावर सरकारों ने लूट लिया।
(last modified 2023-11-29T09:15:15+00:00 )
Aug २२, २०२२ १३:०४ Asia/Kolkata

यमन के तेल संसाधनों की लूट का इतिहास कई वर्षों पुराना है और यमन की नेश्नल साल्वेशन सरकार के तेल मंत्री द्वारा विस्तृत विवरण देखने के बाद पता चलता है कि केवल 2018 से अब तक, चार वर्षों के भीतर लगभग साढ़े नौ अरब डॉलर के देश के तेल संसाधनों को हमलावर सरकारों ने लूट लिया।

यमन की राष्ट्रीय मुक्ति सरकार के तेल और खदान मंत्री अहमद दारस के अनुसार सिर्फ़ 2018 में सऊदी हमलावर गठबंधन ने 130 करोड़ डॉलर मूल्य के लगभग 1 करोड़ 80 लाख 80 हज़ार बैरल तेल की चोरी की जिसमें से हर बैरल की क़ीमत 72 डॉलर थी।

2019  में यह संख्या 230 करोड़ डॉलर मूल्य के 2 करोड़ 96 लाख  92 हज़ार बैरल से अधिक तक पहुंच गई जिसकी क़ीमत 77 डॉलर प्रति बैरल थी। 2021 में 49 डॉलर प्रति बैरल समेत 2 अरब 24 लाख 149 हज़ार डॉलर मूल्य के 31 लाख 627 हज़ार बैरल तेल की लूट हुई।

साथ ही जनवरी से जुलाई 2022 के अंत तक सऊदी हमलावर गठबंधन ने 1.7 बिलियन डॉलर मूल्य के लगभग एक करोड़ 91 लाख 41 हज़ार बैरल यमनी तेल लूट लिया। इस साक्षात्कार में यमन की राष्ट्रीय मुक्ति सरकार के तेल और खदानन मंत्री ने यमनी तेल की लूट में पश्चिमी तेल कंपनियों की भूमिका का रहस्योद्धाटन किया, विशेष रूप से उन्होंने दो कंपनियों शलम्बरगर और टोटल का नाम खरीदने और बेचने के क्षेत्र में लिया।

हालांकि इससे पहले, यमन में युद्ध का समर्थन करने में अमरीका और पश्चिमी सरकारों की भूमिका साबित हुई थी लेकिन यूक्रेन में युद्ध के बाद जिसके कारण ईंधन और ऊर्जा की कीमत में वृद्धि हुई और परिणाम स्वरूप पश्चिमी देशों में आर्थिक समस्याएं बढ़ीं। यमन में अमरीका सहित पश्चिमी देशों की भूमिका और उपस्थिति इस तरह से बढ़ी कि न केवल ये देश यमन के कुछ क्षेत्रों में सीधे प्रवेश कर चुके हैं, बल्कि उन्होंने हमलावर सरकारों के हाथ भी लूटपाट के लिए खुले छोड़ दिए हैं ताकि वे इसका कम से कम हिस्सा ले सकें। यूरोप में खपत बाज़ारों के साथ रूसी तेल और ऊर्जा की कटौती और कमी के कारण पैदा होने वाले शून्य को भरने के लिए यूरोपीय कंपनियों का सहयोग, यमन पर  हमलावर सरकारों के साथ काफी सार्थक लगता है।

यमन के तेल संसाधनों की लूट ऐसी स्थिति में हुई है, जहां विशाल ऊर्जा भंडार होने के बावजूद, इस देश को विभिन्न कारणों से एक गरीब और अविकसित देश माना जाता था जिसमें नेश्नल साल्वेशन सरकार के के गठन तक जन व्यवस्था की कमी भी शामिल थी। इस ग़रीब देश की स्थिति सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात के हमले के बाद और भी बदतर हो गयी जिसमें लगभग 4 लाख लोग मारे गये जबकि कई लाख घायल हुए हैं और कई मिलियन विस्थापित लोगों के अलावा अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है, इस देश का अब यह हाल हो गया है कि देश की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी विदेशी सहायता पर निर्भर है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार, यमन में विस्थापितों की संख्या 43 लाख तक पहुंच गई है, जिनमें से करीब 20 लाख बच्चे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने यमन में स्थिति के बिगड़ने के बारे में चेतावनी देना जारी रखा है और पहले घोषणा की थी कि लगभग 20 लाख यमनी बच्चों को गंभीर कुपोषण के इलाज की आवश्यकता है जबकि 3 लाख 60 हज़ार  बच्चों को मौत का ख़तरा है। (AK)

 

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