कृषि के क्षेत्र में अग्रणी देश हुआ भुखमरी का शिकार
पश्चिमी एशिया में कृषि उत्पादों में महत्वपूर्ण माना जाने वाला देश सीरिया इस समय भुखमरी से जूझ रहा है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट में बताया गया है कि भुखमरी की दृष्टि से सीरिया की हालत बहुत ख़राब है। सीरिया में जो गंभीर मानवीय संकट पैदा हुए हैं उनमें से एक भुखमरी की भी समस्या है।
राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट के अनुसार सीरिया के 12 मिलयन अर्थात एक करोड़ बीस लाख लोगों को यह नहीं पता है कि अगला खाना उनको कम मिलेगा या कहां से आएगा। सीरिया में दो करोड़ नौ लाख लोगों को गंभीर भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। भोजन के बारे में असुरक्षा की दृष्टि से सीरिया इस समय विश्व में छठे नंबर पर पहुंच गया है। युद्ध के कारण सीरिया में लाखों लोग बेरोज़गार हो चुके हैं। वहां पर लाखों की संख्या में लोग अपने ही देश में शरणार्थियों का जीवन गुज़ार रहे हैं। सीरिया में लड़ने वाले आतंकी गुटों के आतंक के कारण भी इस देश के बहुत से लोग खाद्य पदार्थों की पहुंच से दूर हो चुके हैं।
सीरिया में सन 2011 से आरंभ होने वाले संकट से पहले तक यह देश पश्चिमी एशिया में कृषि उत्पादों में महत्वपूर्ण माना जाता था। इस देश के 40 प्रतिशत लोग कृषि तथा पशुपालन से जुड़े हुए थे। युद्ध के कारण कृषि और पशुपालन दोनों को ही भारी क्षति पहुंची जो इस देश में अब भुखमरी का कारण बन चुकी है। लंबे समय तक गृहयुद्ध का साक्षी यह देश अब मंहगाई का सामना कर रहा है। सीरिया में इस समय खाद्य पदार्थों की क़ीमत पिछले तीन वर्षों की तुलना में 12 बराबर हो चुकी है। वहां पर लोगों की क्रय शक्ति घट रही है और खाने-पीने की चीज़ों के दाम तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
इन विकट समस्याओं के साथ ही सीरिया को अमरीकी प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि सीरिया में बढ़ती भुखमरी का एक कारण अमरीकी प्रतिबंध भी हैं। सीरिया में गृहयुद्ध के दौरान अमरीका और पश्चिमी देशों ने वहां पर सरकार के विरुद्ध युद्ध करने वाले आतंकी गुटों का समर्थन किया जिन्होंने इस देश में खुलकर लूटपाट की।
सीरिया में सन 2011 में सरकार के विरोध में प्रदर्शन आरंभ हुए थे। सीरिया सरकार के विरोधी तत्वों ने इन प्रदर्शनों को हवा देकर उसमें आतंकी गुटों को शामिल कर दिया। आतंकी गुटों के प्रवेश से सीरिया में आतंकी कार्यवाही आरंभ हो गईं जिन्होंने गृहयुद्ध का रूप धारण कर लिया। इसी युद्ध के चलते जो अब भी किसी सीमा तक जारी है और पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है, सीरिया के भीतर गंभीर आर्थिक एवं मानवीय संकट को जन्म दिया। खेद की बात यह है कि इस युद्ध के जन्म लेने वाली भुखमरी का शिकार अधिकांश सीरिया के बच्चे और महिलाएं हो रहे हैं। मानवाधिकारों की सुरक्षा का दावा करने वाले देश सीरिया की स्थति पर चुप्पी साधे बैठे हैं।
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