ईरान-सऊदी संबंधों का असर, सीरिया मुख्यधारा में आने वाला है....आडियो
सऊदी अरब, अरब लीग की बैठक में सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार अल-असद को आमंत्रित करने की योजना बना रहा है।
यह बैठक 19 मई को रियाज़ द्वारा आयोजित की जाएगी और सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फ़ैसल बिन फ़रहान दमिश्क की यात्रा करेंगे और बश्शार अल-असद को आधिकारिक निमंत्रण पेश करेंगे। इससे पहले यह घोषणा की गई थी कि रियाज़ और दमिश्क़ रमजान के बाद अपने दूतावासों को फिर से खोलने पर सहमत हो गए हैं।
अरब लीग के शिखर सम्मेलन में सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद की उपस्थिति 2011 के बाद से अरब दुनिया में दमिश्क़ को अलग थलग करने की प्रक्रिया को ख़त्म करने में सबसे महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है यानी जबसे इस संगठन से सीरिया की सदस्यता निलंबित कर दी गई थी। 22 सदस्यों वाले इस संगठन में सीरिया की वापसी सीरिया के प्रति क्षेत्रीय दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत देती है।
फ़रवरी के महीने में तुर्की और सीरिया में आने वाले घातक और विनाशकारी भूकंप के कारण सऊदी विदेश मंत्री की दमिश्क़ यात्रा या सीरिया के विदेश मंत्री फ़ैसल मेक़दाद की रियाज़ की यात्रा के लिए प्रारंभिक वार्ता स्थगित कर दी गई थी। उस समय सऊदी अरब ने सीरियाई भूकंप के पीड़ितों को मानवीय सहायता भेजी थी।
सीरिया और सऊदी अरब के बीच संबंधों के बारे में एक सवाल के जवाब में सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार अल-असद की सलाहकार बुसैना शाबान ने कहा कि हालिया वर्षों में सीरिया संकट में जो कुछ भी हुआ उसके बावजूद बश्शार अल-असद अभी भी अरब देशों के साथ संबंधों में विश्वास रखते हैं।
मिस्र ने भी बश्शार असद के साथ संपर्क फिर से शुरू कर दिया है और दोनों पक्षों ने शनिवार को सीरिया के विदेश मंत्री की एक दशक से अधिक समय में क़ाहिरा की पहली आधिकारिक यात्रा के दौरान सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की है।
मिस्र के एक सुरक्षा स्रोत के अनुसार, यह यात्रा मिस्र और सऊदी अरब की मध्यस्थता से सीरिया को अरब लीग में वापस लाने के उद्देश्य से हुई थी।
मार्च के महीने में संबंधों को बहाल करने के लिए सऊदी अरब और ईरान के बीच ऐतिहासिक समझौते के बाद सऊदी और सीरियाई अधिकारियों के बीच संपर्क बढ़ गया।
तेहरान-रियाज़ संबंधों की बहाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चीन ने दूतावासों को फिर से खोलने के लिए सऊदी अरब और सीरिया के बीच समझौते का स्वागत किया और अरब देशों के समन्वय और रणनीतिक स्वतंत्रता को मजबूत करने का पुरजोर समर्थन किया जो अमेरिकी प्रयासों के बिल्कुल ही विपरीत है क्योंकि वाशिंग्टन मध्य पूर्व में क्षेत्रीय सुलह को नाकाम बनाने में सबसे आगे रहा है। (AK)
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