Jun २८, २०२३ १९:५३ Asia/Kolkata
  • हज की गहराइयां महसूस कीजिए!

इस समय सऊदी अरब में हज का अमल जारी है। आज के दिन हाजी शैतान के तीन प्रतीकों को कंकरियां मारकर क़ुरबानी कर रहे हैं।

क़ुरबानी कर लेने और दूसरे अमल अंजाम दे लेने के बाद हाजी मक्के में काबे का तवाफ़ करते हैं और सई नाम का अमल अंजाम देते हैं इस तरह हज का अमल मुकम्मल हो जाता है। हज कई चरणों पर आधारित इबादत है और यह सारे चरण क्रमबद्ध रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

हज दुनिया के हर मुसलमान की दिली आरज़ू होती है। हज तो ज़िंदगी में एक बार ही वाजिब होता है और उस पर वाजिब होता है जो हज के लिए ज़रूरी समृद्धि तक पहुंच जाए लेकिन बहुत से आशिक़ एसे हैं जो अपने जीवन में कई कई बार हज करते हैं।

इस पवित्र धरती पर क़दम रखते ही हाजियों का मनोभाव बिलकुल निराला हो जाता है। हाजियों को न तो अब धन दौलत की फ़िक्र रहती है, न सामाजिक पोज़ीशन और पदवी की, न शोहरत की लालच रहती है और न नाम कमाने की। बस एक ही चिंता रहती है कि अल्लाह इस इबादत को क़ुबूल करे। हाजी अपने लिए मक़बूल हज की दुआ करने के साथ ही एक दूसरे के लिए भी मक़बूल हज की दुआ करते हैं।

हज वैसे तो चंद दिनों में अंजाम पा जाने वाला अमल है लेकिन इन्हीं चंद दिनों मं इंसान को हज यह सिखा देता है कि ज़िंदगी की हक़ीक़त क्या है और अल्लाह ने उन्हें पैदा किया है तो उनके लिए किस प्रकार का जीवन निर्धारित किया है।

हज यह सीख देता है कि इंसान के जीवन में अध्यात्म और धर्म का महत्व बहुत ज़्यादा है। अध्यात्म में डूब कर इंसान ख़ुद को बहुत सारी बुराइयों और अनेकों समस्याओं से निजात दिला सकता है।

हज अमली तौर पर यह सीख देता है कि इलाक़ों के आधार पर, रंग के आधार पर, नस्ल और जाति के आधार पर इसी तरह मससक के आधार पर किसी तरह का भी भेदभाव स्वीकार करने के योग्य नहीं है। हज यह सिखाता है कि इंसान ख़ुद को दूसरों के समान समझे, दूसरों से बड़ा और श्रेष्ठ समझना ग़लत है।

हज में मुसलमानों के लिए यह सीख है कि वे आपस में मिलजुल कर जीवन गुज़ारें। एक दूसरे को उसकी ईमान की दौलत के आधार पर पहचानें और इसी आधार पर एक दूसरे का सम्मान करें। हज यह सीख देता है कि अगर दुनिया में कहीं भी मुस्लिमानों के बीच, मुस्लिम परिवारों के बीच, मुस्लिम क़ौमों के बीच, मुस्लिम समाजों और देशों के बीच अगर मतभेद है या फिर इससे एक क़दम आगे जाकर उनके बीच टकराव और झड़पों का सिलसिला है तो यह अल्लाह को हरगिज़ पसंद नहीं है।

हज में मुसलमानों को यह सिखाया जाता है कि वे एक दूसरे को पहचानें, एक दूसरे के लिए अच्छा भाव रखें और दुश्मनों का जब सामना हो तो एकजुट रहें।

दूसरी तरफ़ यह भी सच्चाई है कि बड़ी ताक़तों ने हमेशा से इस्लाम की इन तमाम विशेषताओं और शिक्षाओं को निशाना बनाया है और उन्हें अमली जामा पहनने से रोका है। इस्लामी जगत के हालात पर एक नज़र डाली जाए तो जहां जहां टकराव और झड़पों की स्थिति नज़र आती है वहां विश्व साम्राज्यवाद और ज़ायोनीवाद की दख़लअंदाज़ी भी ज़रूर दिखाई पड़ती है।

हज से उन सभी को अच्छा सबक़ मिल सकता है जो अपनी समस्याओं से बाहर निकलना चाहते हैं और सुंदर जीवन गुज़ारने की इच्छा मन में रखते हैं।

 

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