दाइश के आतंकियों का स्वामी बना है अमरीका
तुर्किए के एक मीडिया ने लिखा कि आतंकवादी गुट दाइश के गठन और आतंकवादी गुटों में बच्चों के इस्तेमाल में अमेरिका पूरी तरह से लिप्त है।
तुर्की के अख़बार येनी शफ़क़ ने 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सैनिकों के रूप में इस्तेमाल करने के संबंध में तुर्किए के ख़िलाफ़ अमेरिकी आरोपों के जवाब में एक रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका, आईएसआईएस या आतंकी गुट दाइश के गठन और आतंकवादी गुटों में बच्चों के उपयोग का मुख्य कारण है।
इस रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि सीरिया के कुर्दों के लिए सहायता इकाइयों के अलावा, आईएसआईएस गुट को अमेरिका के विशेष उत्पादों में माना जाता है और उसने आतंकवादी अभियानों में बच्चों का व्यापक उपयोग किया है, और इस ग्रुप द्वारा सीरिया और इराक़ में बच्चों का इस्तेमाल किसी से छिपा नहीं है।
रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि विभिन्न मीडिया में प्रकाशित जानकारी के आधार पर, सीरिया और इराक़ में हालिया आतंकवादी हमले 75 प्रतिशत किशोर लड़कों और लड़कियों द्वारा किए गए थे जिनमें से अधिकांश दाइश के अनाथ बच्चे थे।
बताया जाता है कि क़ानूनी उम्र से कम के लगभग 7 हज़ार बच्चे और किशोर वर्तमान समय में अमेरिका की स्पेशल फ़ोर्स की देखरेख में सीरिया और इराक़ में कुर्द और आईएसआईएस आतंकवादी गुटों के कैंप्स में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
येनी शफ़क़ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि बच्चों को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया दो चरणों में होती है, पहला चरण 45 दिनों का है जिसके दौरान बच्चे आग्नेयास्त्रों का उपयोग करने के सामान्य नियम और कौशल सीखते हैं और दूसरे चरण में, जो 3 महीने तक चलता है और इसमें झूठे नारों के साथ भविष्य में आतंकी कार्यवाही के दौरान अपनी जान दे देना होता है।
इस तुर्क मीडिया ने यह भी स्वीकार किया कि सीरिया में सैन्य युद्ध ने साबित कर दिया कि अमेरिका भरोसेमंद नहीं है क्योंकि यह आतंकवादी गुटों का समर्थन करता है और इराक और सीरिया के विभिन्न क्षेत्रों में आत्मघाती और सैन्य अभियानों को अंजाम देने के लिए बच्चों का उपयोग करता है।
बहरहाल हालिया दिनों में तुर्किए की विदेश नीति की वजह से उसे आतंकी हमलों का सामना है जिसने तुर्किए को अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है। अरब जगत के प्रसिद्ध टीकाकार अब्दुल बारी अतवान ने अंकारा में हुए हालिया आतंकी हमले की ओर इशारा करते हुए कहा कि अंकारा का हमला, कोई पहला और आख़िरी हमला नहीं होगा बल्कि तुर्किए को और भी आतंकी हमलों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। (AK)
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