रिपोर्टः ग़ज़्ज़ा में चार दिवसीय युद्धविराम हुआ आरंभ, नेतन्याहू का अहंकार मिट्टी में मिला!
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास और अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन की ज़ायोनी सरकार के बीच 48 दिनों के बाद चार दिवसीय युद्धविराम का कार्यान्वयन शुरू हो गया है।
सात अक्तूबर 2023 शनिवार के दिन फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास द्वारा 75 वर्षों से अवैध आतंकी इस्राईली शासन द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों और अवैध क़ब्ज़ों के ख़िलाफ़ आरंभ किए गए सफलतापूर्वक अलअक़्सा तूफ़ान ऑपरेशन के बाद से ज़ायोनी शासन ने अपना बर्बरतापूर्ण चेहरा दिखाते हुए एक बार फिर आम फ़िलिस्तीनियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों पर अपनी शर्मनाक हार की खीझ निकाली। 48 दिनों तक लगातार आतंकी इस्राईली सेना द्वारा किए गए पाश्विक हमलों में 14 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए, जिसमें सबसे अधिक बच्चों और महिलाओं की संख्या है। इस बीच इस युद्ध के 49वें दिन युद्धविराम लागू हो सका है। वैसे तो युद्धविराम को गुरुवार को, यानी 23 नवंबर को लागू होना था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से यह समझौता शुक्रवार यानी 24 नवंबर की सुबह से लागू किया गया। इस समझौते के आधार पर, इन चार दिनों के दौरान किसी भी प्रकार की कोई सैन्य कार्यावही नहीं की जाएगी और प्रत्येक ज़ायोनी क़ैदी के बदले में तीन फ़िलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों को रिहा किया जाएगा, जबकि चार दिवसीय युद्धविराम के दौरान कुल पचास ज़ायोनी क़ैदियों को रिहा किया जाएगा। इसके अलावा इस अवधि के दौरान चिकित्सा सहायता सहित मानवीय सहायता के तौर पर दो सौ ट्रकों के माध्यम से ग़ज़्ज़ा के विभिन्न क्षेत्रों में मदद पहुंचाई जाएगी।
इससे पहले, ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम लागू होने से कुछ ही घंटे पहले, अलअक़्सा तूफ़ान ऑपरेशन के 49वें दिन, शुक्रवार की सुबह और अवैध आतंकी ज़ायोनी शासन ने ग़ज़्ज़ा के विभिन्न आवासीय क्षेत्रों पर भारी बमबारी की, जिसमें 20 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए और दसियों अन्य घायल हो गए। ज़ायोनी सरकार के युद्धक विमानों ने शुक्रवार की सुबह तड़के उत्तरी ग़ज़्ज़ा में जबालिया शिविर सहित ग़ज़्ज़ा के विभिन्न क्षेत्रों को निशाना बनाया। आतंकी इस्राईली सेना का यह हमला युद्ध विराम से कुछ ही घंटे पहले किया गया। उसके द्वारा की जाने वाली इस तरह की कार्यवाही तेलअवीव के अमानवीय चेहरे को और ज़्यादा स्पष्ट करती है। इस बीच अवैध ज़ायोनी सरकार के युद्धपोतों ने ग़ज़्ज़ा के दक्षिण में तटीय शहर रफ़ह पर भी हमला किया। यह हमले दर्शाते हैं कि ज़ायोनी शासन किसी भी स्थिति में ग़ज़्ज़ा के पीड़ित जनता तक मानवता प्रेमी सहायता पहुंचने नहीं देना चाहता है। साथ ही युद्धविराम समझौते ने एक बार फिर इस्राईल को शर्मनाक हार की याद दिला दी है। क्योंकि यह समझौता उसकी शर्तों पर न होकर फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध आंदोलन हमास की शर्तों में ज़्यादा हुआ है। माना जा रहा है कि नेतन्याहू पहले तो युद्धविराम के पक्ष में बिल्कुल नहीं थे, और उन्होंने जिस प्रकार दावे किए थे वह दावे उनके खोखले साबित हुए, इसलिए उन्हें युद्धविराम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। साथ ही इस सच्चाई से अब कोई इंकार नहीं कर सकता है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध के इस इस चरण तक ज़ायोनी शासन को भारी सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक नुक़सान हुआ है। घरेलू मोर्चे पर, नेतन्याहू अल-अक़्सा तूफ़ान ऑपरेशन के सामने विफलता के पहले आरोपी हैं और ग़ज़्ज़ा पर क़ब्ज़ा करने और हमास को नष्ट करने का उनका सपना, डरावने सपने में बदल चुका है। (RZ)
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