इस मासूम बच्ची को किस तरह से क़त्ल कर दिया गया?
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इस्राईल ने कैसे सारा को क़त्ल किया
4 साल की फ़िलिस्तीनी बच्ची "सलमा जाबिर" उन हज़ारों शहीद बच्चों में से एक है, जो ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी शासन के नए दौर के हमलों में शहीद हुए हैं।
सलमा के पिता ने कहा कि दिसंबर 2023 में "सलमा" जब ग़ज़्ज़ा शहर से भागने की कोशिश कर रही थी, तब इस्राईली सैनिकों की गोलीबारी की वजह से उसकी गर्दन में जख़्म हो गया और वह उसकी गोद में ही शहीद हो गई।

"हुसैन जाबिर" ने अपनी बेटी की शहादत का ब्योरा देते हुए कहा कि मेरा परिवार रिहायशी इलाके से भाग रहा था, मैंने अपनी आंखों के सामने सलमा को गर्दन में गोली लगते हुए देखा, वह दर्द से कराह रही थी, लेकिन फिर भी दौड़ती रही, मैं उसे गले लगाने और कार तक ले जाने के लिए उसकी तरफ़ दौड़ा जबकि मेरी पत्नी और मेरे बच्चे उमर और सारा दौड़ते रहे।

हुसैन जाबिर ने यह कहते हुए कि सलमा जहां भी जाती थी, वहां ख़ुशियां भर जाती थी, मेरा तीन साल का बेटा उमर अब भी मुझसे पूछता है कि सलमा कहां है।


संयुक्त राष्ट्र संघ के बाल कोष यूनिसेफ़ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर ने सोमवार को ग़ज़्ज़ा पट्टी में युद्ध, भूख और कुपोषण से बच्चों को सबसे अधिक पीड़ित बताते हुए कहा कि ग़ज़्ज़ा में त्रासदियों का वर्णन करने के लिए कोई उपयुक्त शब्द नहीं हैं।
अक्टूबर 2023 से पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से इस्राईली ने ग़ज़्ज़ा पट्टी और जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट पर असहाय और मज़लूम फ़िलिस्तीनी जनता के खिलाफ बड़े पैमाने पर नरसंहार शुरू किया है।
ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों में 31 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं जबकि 72 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं।
ज़ायोनी शासन का गठन 1917 में ब्रिटिश साम्राज्यवादी योजना पर अमल करने और विभिन्न देशों से फ़िलिस्तीनी भूमि पर यहूदियों के आप्रवासन के माध्यम से की गई थी। ज़ायोनी शासन के अस्तित्व का एलान 1948 में किया गया था।
ज़ायोनी शासन के गठन से फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार करने और उनकी पूरी ज़मीन पर कब्ज़ा करने के लिए अनेक तरह के अत्याचार और सामूहिक हत्याओं की योजनाएं चलाई गईं। (AK)
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