शहीद हनिया, प्रतिरोध व संघर्ष के शूरवीर
हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शहीद इस्माईल हनिया एक ऐसे संघर्षकर्ता थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन इस्लाम के दुश्मनों से मुक़ाबले में समर्पित कर दिया था।
इस्माईल हनिया फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के एक वरिष्ठ नेता थे जिन्हें 6 मई 2017 को हमास के राजनीतिक कार्यालय का नया प्रमुख बनाया और ख़ालिद मिशअल का स्थान उन्हें सौंपा गया।
इस्माईल हनिया का जन्म 23 मई 1963 को ग़ज़ा के एक शरणार्थी शिविर अश्शाती में हुआ था और उन्हें अबू अब्दिस्सलाम की उपाधि दी गयी थी। उनके परिजनों को ताक़त के बल पर वर्ष 1948 में अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में स्थित अस्क़लान क्षेत्र के जूरा गांव से ग़ज़्ज़ा पट्टी में भगा दिया गया था। उन्हें वर्ष 2009 में ग़ज़ा इस्लामी युनिवर्सिटी से पीएचडी की मानद डिग्री प्रदान की गयी थी और वह विवाहित थे और उनकी 13 संताने थीं।
इस्माईल हनिया ने अपनी आरंभिक व माध्यमिक शिक्षा फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों को सहायता पहुंचाने वाली और रोजगार उपलब्ध कराने वाली ऑनरवा संस्था के स्कूलों में हासिल की थी और डिप्लोम की डिग्री मिस्र के अलअज़हर के एक कालेज से हासिल की थी और उसके बाद वर्ष 1981 में ग़ज़ा नगर के इस्लामी विश्वविद्यालय में दाख़िल हुए और अरबी साहित्य में अपनी पढ़ाई पूरी की।
इस्माईल हनिया ने वर्ष 1997 में ग़ज़ा विश्वविद्यालय का मिम्बर ऑफ़ द बोर्ड होने से पहले इस विश्वविद्यालय में कई ज़िम्मेदारियों को संभाल रखा था।
ज़ायोनी सरकार की जेलों से शैख़ अहमद यासिन की रिहाई के बाद वह उनके कार्यालय के अध्यक्ष थे।
इसी प्रकार इस्माईल हनिया दूसरे इंतेफ़ाज़ा के दौरान हमास की उच्च वार्ता समिति के सदस्य थे।
ज़ायोनी सरकार ने पहली बार वर्ष 1987 में और प्रथम इंतेफ़ाज़ा की आग भड़कने के बाद इस्माईल हनिया को गिरफ़्तार किया और 18 दिनों तक वह जेल में रहे।
इस्माईल हनिया दूसरी बार वर्ष 1988 में 6 महीनों तक ज़ायोनी सरकार की जेल में रहे। इसी प्रकार वर्ष 1989 में इस्माईल हनिया को हमास की सदस्यता के आरोप में ज़ायोनी सरकार ने गिरफ़्तार कर लिया और तीन साल तक वे इस्राईल की जेल में बंद रहे और उसके बाद फ़िलिस्तीन के 415 नेताओं विशेषकर हमास और जेहादे इस्लामी के नेताओं के साथ लेबनान के मरजुज़्ज़ुहूर क्षेत्र में निष्कासित कर दिये गये और एक साल के बाद दोबारा ग़ज़ा लौट आये।
6 सितंबर वर्ष 2003 में ज़ायोनी सरकार ने इस्माईल हनिया पर जानलेवा हमला किया और ज़ायोनी सरकार शैख़ अहमद यासिन के साथ उनकी भी हत्या करना चाहती थी।
जनवरी 2006 में ग़ज़ा में होने वाले संसदीय चुनाव में हमास को संसद की अधिकांश सीटों पर सफ़लता मिली थी और फ़रवरी 2006 में उन्हें फ़िलिस्तीन के प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया था।
20 अक्तूबर 2006 को ग़ज़ा में अशांति के दौरान इस्माईल हनिया और उनके साथ प्रतिनिधिमंडल पर फ़ायरिंग की गयी जिसमें उनका एक साथी शहीद हो गया।
ज़ायोनी सरकार के युद्धक विमानों ने गर्मी के मौसम में 51 दिवसीय युद्ध के दौरान शाती शिविर में स्थित इस्माईल हनिया के घर पर बमबारी की थी।
अंततः बुधवार की सुबह 31 जुलाई 2024 को तेहरान में इस्माईल हनिया के आवास पर हमला हुआ जिसमें वह शहीद हो गये। MM
हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए
हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए