सऊदी चैनल "अल-हदस" ईरान और प्रतिरोध के ख़िलाफ़ इज़राइली नीतियों को कैसे आगे बढ़ाता है?
(last modified Tue, 07 Jan 2025 12:03:38 GMT )
Jan ०७, २०२५ १७:३३ Asia/Kolkata
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    सऊदी चैनल \"अल-हदस\" ईरान और प्रतिरोध के ख़िलाफ़ इज़राइली नीतियों को कैसे आगे बढ़ाता है?

पार्सटुडे- पिछले वर्ष के दौरान अल-हदस चैनल की कुछ रिपोर्टें ऐसी थीं कि कुछ टिप्पणीकारों ने इस चैनल पर ज़ायोनी शासन का मुखपत्र होने और यहां तक ​​कि इस शासन की सेना के साथ सीधे कोआरडीनेश्न का आरोप लगाया है।

मीडिया पर्यवेक्षकों और विश्लेषकों का मानना ​​है कि अल-अरबिया और अल-हदस जैसे कुछ सऊदी चैनलों का पश्चिम एशिया के कुछ घटनाक्रमों पर इज़राइल की नीतियों के साथ विशेष तालमेल है।

मेहर समाचार एजेंसी ने इसी विषय पर ख़ास रिपोर्ट में अल-हदस चैनल के व्यवहार पर रोशनी डाली है। यह चैनल पश्चिम एशिया क्षेत्र में सऊदी अरब के सॉफ्ट पावर के हथकंडों में एक है।

अल-अरबिया जैसे चैनल्स के साथ इस मीडिया को इस्लामी दुनिया में और क़तर जैसे अन्य देशों के मुक़ाबले में रियाज़ के मीडिया और वैचारिक आधिपत्य और वर्चस्व को पुन: दुनिया के सामने लाने के लिए एक विशेष हथकंडे के रूप में देखा जाता है। इस चैनल का प्रसारण 12 जनवरी 2012 को शुरू हुआ था।

अल-हदस चैनल वास्तव में अल-अरबिया का एक ब्रांच-चैनल है जिसका ध्यान अपनी स्थापना के बाद से अरब क्रांतियों और सीरियाई संकट के समर्थन सहित क्षेत्र की राजनीतिक ख़बरों पर व्यापक रूप से रहा है।

यह चैनल, अल अरबिया के साथ, 2012 से क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों और हालत को कवर करने में क़तर के अल जज़ीरा का मुख्य प्रतिस्पर्धी रहा है।

अल-हदस चैनल एक दशक से भी अधिक समय में सबसे विवादास्पद अरब चैनल्ज़ में रहा है और इसने बारम्बार फ़र्ज़ी ख़बरें प्रसारित की हैं और मीडिया विवाद पैदा किए हैं।

इस इलाक़े का हर देश इस चैनल के मीडिया विवादों का निशाना रहा है। मिसाल के तौर पर, यमन पर सऊदी अरब के सैन्य हमलों के शुरुआती दौर में, अल-अरबिया चैनल के साथ इस चैनल ने अंसारुल्लाह आंदोलन के नेता अब्दुल मलिक अल-हूसी की शहादत का दावा किया था जबकि प्रतिरोध को कमजोर करने के लिए यह ख़बर प्रकाशित की गयी थी।

इस समाचार के प्रसारित किए जाने की वजह से आख़िरकार अन्य मीडिया में इन दोनों चैनल्ज़ का जमकर मज़ाक़ उड़ाया गया, यहां तक ने चैनल्ज़ ने यह तक कह डाला कि: अल-हूसी को अल-अरबिया और अल-हदस ने शहीद कर दिया था। हदस की मीडिया शरारत इराक़ में भी फैल गई।

नवम्बर 2019 में, इराक़ सरकार ने आवश्यक लाइसेंस की कमी की वजह से अल-हदस और अल-अरबिया चैनल्ज़ की गतिविधियों को ख़त्म कर दिया और उनके समाचारों के कवरेज को रोक दिया।

 इराक़ सरकार इस वर्ष आंतरिक विरोध प्रदर्शनों का शिकार थी और पेशेवर सिद्धांतों के उल्लंघन और प्रदर्शनकारियों को उकसाने की वजह से 3 महीने के लिए इन चैनल्ज़ के लाइसेंस रद्द कर दिए गये थे ।

एक अजीब और ग़लत क़दम उठाते हुए हदस चैनल ने हाल ही में कथित पश्चिमी स्रोतों का हवाला देते हुए एलान किया था कि ईरान, महान एयर की एक विशेष उड़ान के माध्यम से तेहरान से बेरूत तक एक विशेष कार्गो पहुंचाने की योजना बना रहा है।

इस ख़बर से प्रभावित होकर लेबनान के सुरक्षा अधिकारियों ने इस फ्लाइट के यात्रियों और कार्गो का निरीक्षण किया। लेबनान के गृहमंत्री के मुताबिक, बैग और विमान में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।

बेशक, सुरक्षा अधिकारियों की इस कार्रवाई का कुछ लेबनानी लोगों ने विरोध भी किया।

ऐसे समय में जब हिज़्बुल्लाह और ज़ायोनी शासन के बीच युद्धविराम चल रहा है, अल-हदस की फ़र्ज़ी ख़बरों का जाएज़ा, दर्शकों को धोखा देने के इरादे से जानबूझकर प्रकाशित किए जाने की एक मिसाल के तौर पर किया जा सकता है।

यह ख़बर हिजबुल्लाह के साथ इस चैनल की दुश्मनी और ज़ायोनी शासन के साथ संबंधों की अगली कड़ी को ज़ाहिर करती है।

हालिया वर्षों के दौरान, अल- हदस चैनल हिजबुल्लाह के बारे में एक शत्रुतापूर्ण समाचारिक गाइड लाइन का अनुसरण कर रहा है। मिसाल के तौर पर, लेबनान में 2019-2020 के दौरान,  जन प्रदर्शनों के बीच, हदस चैनल ने लोगों की आर्थिक मुद्दे पर होने वाले प्रदर्शनों को हिज़्बुल्लाह के खिलाफ दिखाने की कोशिश की।

इसके अलावा, अक्टूबर 2024 में लेबनान पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बीच में, अल-हदस चैनल ने हिज़्बुल्लाह के दाख़िली सूत्रों का हवाला देते हुए, अल-बतरुन क्षेत्र पर ज़ायोनी हमले की सूचना दी थी।

लेकिन लेबनान के हिजबुल्लाह ने इस खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और एलान किया कि: हिज़्बुल्लाह में कोई स्रोत नहीं है या हिज़्बुल्लाह के करीब कोई स्रोत नहीं है।

ये कथित स्रोत इस चैनल या गठबंधन नेटवर्क को जानकारी प्रदान नहीं कर सकते हैं जो खुले तौर पर और छुपे दुश्मन की भूमिका अदा कर रहे हैं जबकि यह चैनल दुश्मनी का प्रदर्शन करते हुए प्रतिरोध और लेबनानी राष्ट्र के खिलाफ ज़ायोनी प्रचार मशीन का हिस्सा बने हुए हैं।

दूसरी मिसाल शहीद हाशिम सफीउद्दीन से जुड़ी हुई है। 3 अक्टूबर 2023 को ज़ायोनी शासन ने बेरूत पर हमला कर दिया। उस घटना के एक दिन बाद, हदस चैनल ने एलान किया कि इज़राइल ने हाशिम सफ़ीउद्दीन की मौत की पुष्टि कर दी है। यह तब था जब इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने 8 अक्टूबर को सफ़ीउद्दीन की हत्या का दावा किया था।

दूसरी ओर, पिछले वर्ष के दौरान अल-हदस चैनल की कुछ रिपोर्टें ऐसी थीं कि कुछ टिप्पणीकारों ने इस चैनल पर ज़ायोनी शासन का मुखपत्र होने और यहां तक ​​कि इस शासन की सेना के साथ सीधे कोआरडीनेश्न का आरोप लगाया है।

अक्टूबर 2024 में इस चैनल के रिपोर्टर ने इज़राइली हथियारों की प्रदर्शनी में हिस्सा लिया था।

17 दिसम्बर, 2024 को "अगर आप वास्तव में जानना चाहते हैं कि इज़राइल में क्या चल रहा है, तो इन दो सऊदी टीवी चैनलों को देखें" शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में हारेत्ज़ ने ज़ायोनी शासन और अल-अरबिया तथा हदस चैनल के बीच घनिष्ठ संबंध के बारे में बात कही थी।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, जब युद्ध के अलग-अलग मोर्चों से खबरें आती रहती हैं तो ज़ायोनी मीडिया अक्सर सऊदी मीडिया का हवाला देता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के विश्लेषक थॉमस फ्रीडमैन ने कहा कि युद्ध के दौरान, सऊदी मीडिया ने युद्धक विमानों द्वारा टेरगेटेड लोगों के नाम उजागर करने के लिए इजराइल के आधिकारिक स्रोतों के लिए जानकारी के एक विशेष स्रोत के रूप में काम किया।

इज़राइली सूत्रों ने तो इन मीडिया को इज़रायली मीडिया से भी अधिक तरजीह दी। हारेत्ज़ द्वारा साक्षात्कार किए गए ज़ायोनी पत्रकारों का मानना ​​है कि इज़राइल के स्रोतों और हदस और अल-अरबिया टीवी चैनलों के बीच संपर्क हैं।

हारेत्ज़ की रिपोर्ट में, यह कहा गया है कि तेल अवीव के चैनल- 11 के अरबी संवाददाता, वी. कैस, कहते हैं: अब्राहम समझौते का सऊदी मीडिया तक पहुंच पर बहुत प्रभाव पड़ा है और तेल अवीव कोशिश कर रहा है कि अरब जगत तक अपनी बात पहुंचाता रहे है और यह काम सऊदी मीडिया और अमीरात के माध्यम से होता रहा है।

सऊदी चैनलों के पास क्षेत्र में स्रोत हैं और मुझे लगता है कि उनके और इज़राइली स्रोतों के बीच मीडिया सहयोग काफ़ी मज़बूत हैं। (AK)

 

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