वह दरवाज़ा जो फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की जीत के लिए खुला
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वह दरवाज़ा जो फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की जीत के लिए खुला
पार्सटुडे- ज़ायोनी शासन और हमास आंदोलन के बीच युद्धविराम समझौते से पता चला कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध, दुश्मन को घुटनों पर ला सकता है, चाहे यह पूरी तरह से असमान परिस्थितियों में और कम से कम हथियारों के साथ हो, और भले ही सैन्य संतुलन इसके विरुद्ध हो।
एक राजनीतिक विशेषज्ञ सादुल्लाह ज़ारेई ने एक लेख में लिखा: "हमास यह तय करता है कि किन क़ैदियों को और कब रिहा किया जाएगा... हमास के साथ युद्ध की तुलना बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं है और इज़राइल एक भयानक और बुरी पोज़ीशन में है, यह हारेत्ज़ अखबार में "अमोस हरियल" के लेख का हिस्सा है और ग़ज़ा में 471 दिनों के युद्ध के बाद पिछले रविवार शाम को जो हुआ उसका सबसे बेहतरीन नमूना और उदाहरण है।
पार्सटुडे के अनुसार, इस लंबे युद्ध को शुरू करने वाले आपराधी शासन के लिए ये हालात इतने नाज़ुक और भयानक हैं कि ज़ायोनी विदेशमंत्री गेदऊन सायर ने दावा किया कि ग़ज़ा पट्टी में युद्धविराम अस्थायी है!
आख़िरकार, चाहे यह समझौता इस युद्ध को समाप्त कर दे या चाहे इज़राइल युद्धविराम के पहले, दूसरे या तीसरे चरण के बाद किसी बहाने से या बिना किसी बहाने से युद्ध फिर से शुरू कर दे, इससे यह रणनीतिक समीकरण नहीं बदलेगा कि इज़राइल अपने क़ैदियों की आज़ादी हासिल नहीं कर सका, 471 दिनों के युद्ध के बाद एक मोर्चाबंदी में, उन्हें एक आंदोलन के प्रतिनिधि के साथ हमास के समर्थक देश में एक मेज पर बैठना पड़ा जिसको पूर्ण रूप से तबाह करना, इस भीषण युद्ध को शुरू करने के लिए इज़राइल के मुख्य घोषित लक्ष्यों में शामिल था।
इससे ज़्यादा युद्ध में पराजित पक्ष के लिए जानना आवश्यक नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि 21 दिसम्बर के दिन, यानी ठीक एक महीने पहले, ग़ज़ा में युद्ध की चिंगारी भड़काने वाले बेन्यामीन नेतन्याहू ने अनगिनत बार घोषणा की थी कि हमास को नष्ट किए बिना ग़ज़ा में युद्ध समाप्त नहीं होगा लेकिन जब आपराधी इस्राईल का प्रधानमंत्री "समझौते पर पहुंचने की कोशिश के लिए" बाइडेन को धन्यवाद देता है, तो इसका मतलब है कि इज़राइल पर बमबारी और विनाश के साथ समझौता नहीं हुआ था।
युद्धविराम के मामले में हमास ने यह साबित कर दिया कि हालात पर उसका पूरा कंट्रोल है। इसके अलावा, 23 सितम्बर 2023 को तूफ़ान अल-अक़्सा आप्रेशन की शुरुआत से लेकर 19 जनवरी 2025 को समझौते के दिन तक, सैन्य कंट्रोल पूरी तरह से हमास के हाथ में था। यह हमास के सशस्त्र प्रतिरोध और ग़ज़ा के निवासियों के प्रतिरोध की ताकत थी जिसने इज़राइली सेना की रणनीति को नाकारा बना दिया।
इस रिपोर्ट के मुताबिक़, इज़राइली कैबिनेट के एक वरिष्ठ सदस्य " बेज़लाइल स्मोट्रिच" ने युद्धविराम की शुरुआत के दिन ही कहा था कि अगर मुद्दा यहीं खत्म हो जाता है, तो इज़राइल को एक भयानक और बड़ी हार का सामना करना पड़ा है।
दरअसल, अमेरिका और इज़राइल की तरफ़ से संघर्ष विराम समझौता उस वक्त हुआ जब इजराइली सेना, हमास और जिहादे इस्लामी के सामने गतिरोध की स्थिति में पहुंच गई थी। युद्धविराम शुरू होने के बाद शुरुआती घंटों में हमास के लड़ाकों का पैदल और मोटर साइकिलों से सड़कों पर सशस्त्र प्रदर्शन किए जो इज़राइली शासन के लिए बहुत ही दर्दनाक और दुखद था।
फ़िलिस्तीनी जनता में पायी जाने वाली ख़ुशी की लहर और हमास के लड़ाकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति का ज़िक्र करते हुए, इज़राइली रेडियो ने रिपोर्ट दी कि हमास, जिसने किसी भी बिंदु पर ग़ज़ा पट्टी के किसी भी हिस्से पर नियंत्रण या प्रभुत्व नहीं खोया, युद्ध के इन घंटों का उपयोग नियंत्रण और संप्रभुता को मज़बूत करने के लिए किया जा रहा है।
15 महीने से अधिक समय तक चले युद्ध के बाद भी इज़राइल, ग़ज़ा पर हमास के शासन को नहीं हटा सका और न ही उसका कोई विकल्प ढूंढ सका, यह कैसे संभव है कि इस अवधि के बाद भी हमास की फ़ौजी गाड़ी ग़ज़ा पट्टी में मौजूद हैं? यह सचमुच इजराइल की सैन्य हार है। (AK)
कीवर्ड्ज़: इस्राईल के अपराध, इस्राईल, ज़ायोनी शासन, हमास,अमेरिका,
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