एक विश्लेषक की अरब नेताओं पर आपत्ति: आपको वाशिंगटन और तेल अवीव द्वारा अपमानित किया जाता है, लेकिन आप जवाब तक नहीं देते
(last modified Wed, 26 Mar 2025 13:10:19 GMT )
Mar २६, २०२५ १८:४० Asia/Kolkata
  • एक विश्लेषक की अरब नेताओं पर आपत्ति: आपको वाशिंगटन और तेल अवीव द्वारा अपमानित किया जाता है, लेकिन आप जवाब तक नहीं देते
    एक विश्लेषक की अरब नेताओं पर आपत्ति: आपको वाशिंगटन और तेल अवीव द्वारा अपमानित किया जाता है, लेकिन आप जवाब तक नहीं देते

पार्सटुडे - अरब जगत के एक विश्लेषक अब्दुल बारी अतवान ने एक विश्लेषण में अरब देशों के नेताओं की आलोचना और फिलिस्तीनी प्रतिरोध की प्रशंसा करते हुए कहा: जीत के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है और इंशा अल्लाह यह क़रीब है।

अब्दुल बारी अतवान ने राय अल-यौम में एक विश्लेषण में, ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के हमलों में वृद्धि और हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य सलाह अल-बर्दवेल की शहादत का जिक्र करते हुए लिखा है कि हमास के एक सीनियर नेता "अल-बर्दवेल", "यासिर हर्ब" और "एसाम अल-दअलीस" पांच सितारा होटल और राज महल में शहीद नहीं हुए थे, बल्कि ग़ज़ा के अन्य लोगों की तरह एक तंबू में शहीद हुए थे जिसमें न तो बिजली थी और न ही पानी था।

इन कैंपों में पीने और नहाने के लिए पानी नहीं है। पार्सटुडे के अनुसार, उन्होंने कहा: "क्रॉसिंग बंद होने और मानवीय सहायता बंद होने के कारण ग़ज़ा में भूखमरी फैली हुई है।

इन कार्रवाइयों का लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है, ग़ज़ा को छोड़ने के लिए मजबूर करने के लिए एक निर्जन क्षेत्र बनाना।

बेन्यामीन नेतन्याहू कहते हैं: आप ख़ुद ही कहते हैं कि ग़ज़ा एक बड़ी खुली जेल है, हम इसके दरवाजे खोल देंगे ताकि आप दुनिया के विकसित क्षेत्रों में जा सकें!

इस विश्लेषक ने कहा: हमास के नेताओं की शहादत, जब वे रोज़े रखे हुए हैं, कैंप में उनके लोगों के बीच एसाम अल-दअलीस, शहीद जनरलों यहिया अल-सिनवार और मुहम्मद अल-ज़ैफ़ और अन्य शहीदों की याद दिलाती है, जो अपनी सैन्य रैंक की परवाह किए बिना शहादत तक लड़ते रहे, और यह उनके डेढ़ साल तक इज़राइल के नरसंहार युद्ध के ख़िलाफ़ डटे रहे।

ज़ायोनी शासन के अपराधों पर अरब जगत की निष्क्रिय प्रतिक्रिया जारी रहने पर अत्यंत क्रोधित होते हुए अतवान ने आगे लिखा: ग़ज़ा में शहीदों की संख्या 50 हज़ार से अधिक हो गई है और यह स्पष्ट नहीं है कि अरब नेताओं के लिए, मैं राजदूत नहीं बल्कि इजराइली दूतावास से एक अंगरक्षक को निकालने के लिए कितने शहीदों और घायलों का बलिदान देना होगा।

राय अल-यूम के संपादक ने मिस्र के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ की टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए लिखा: विटकोफ ने मिस्र, उसकी जनता, नेताओं और सेना का अपमान किया और वह भी ऐसे वक़्त में कि जब मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़त्ताह सीसी की सत्ता के जाने के बारे में चेतावनी दी गयी है कि मिस्र में दीवालियापन, आर्थिक संकट और 25 साल से कम उम्र के नौजवानों में बेरोज़गारी की 54 प्रतिशत से ज़्यादा हो गयी है।

अब्दुल बारी अतवान कहते हैं: अमेरिकी सरकार कमज़ोंरों का सम्मान नहीं करती है और उन्हें महत्व नहीं देती है और अरबों और मुसलमानों को अपमानित करती है। यह दुखद है कि इस निर्लज्ज, उत्तेजक और अपमानजनक कार्यवाही का कोई जवाब नहीं मिल रहा है, और जो सबसे अधिक खतरनाक है वह यह है कि फिलिस्तीनी प्रतिरोध पर इज़राइली और अमेरिकी निरस्त्रीकरण की मांगों को मानने के लिए अरब दबाव तेज हो गया है।

इस विश्लेषक ने अंत में लिखा: फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध हथियार नहीं डालेगा। अश्कलोन और तेल अवीव पर मिसाइल हमलों के समय ही यमनी मिसाइल हमले और लाखों सेटेलर्ज़ का आश्रयों की ओर भागना और बेन-गुरियन हवाई अड्डे का बंद होना, विटकॉफ़ और ट्रम्प के लिए एक कड़ी प्रतिक्रिया है। जीत के लिए सब्र की ज़रूरत होती है और यह इंशा अल्लाह क़रीब है। (AK)

 

कीवर्ड्ज़: ग़ज़ा, ग़ज़ा पट्टी, फ़िलिस्तीन, इस्राईल, क़स्साम, यमन, अंसारुल्लाह,

 

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