अत्वान: अमेरिका अंसार अल्लाह से युद्ध करने से क्यों भागा?
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अब्दुलबारी अत्वान, प्रसिद्ध अरब विश्व विश्लेषक
पार्स टुडे- प्रसिद्ध अरब विश्लेषक ने यमनियों द्वारा अतिग्रहित फ़िलिस्तीनी भूमि पर रोज़ाना हो रहे मिसाइल हमलों का उल्लेख करते हुए भविष्य में इस्राइली शासन के बड़े आश्चर्यों का खुलासा किया है।
पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुलबारी अत्वान, जो अरब दुनिया के प्रसिद्ध विश्लेषक हैं, ने रविवार को राय अल-यौम में लिखा कि यमन के मिसाइल हमले जो ज़ायोनी शासन के अंदर तक हो रहे हैं, वे सुपरसोनिक मिसाइलों से किए जा रहे हैं और लगभग रोज़ाना अतिग्रहित फ़िलिस्तीन के याफ़ा शहर पर हमला जारी है।
बेन गुरियन हवाई अड्डा लंबे समय तक बंद रहा है और आने वाले हफ़्तों और महीनों में इसकी ज़्यादातर अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द हो गई हैं। इस्राइल की प्रतिक्रिया में यमन की बंदरगाहों पर हवाई हमले किए गए हैं।
उन्होंने कहा: यह दो बातों व विषयों का प्रमाण है पहला, अमेरिका और अंसार अल्लाह के बीच अस्थायी युद्धविराम, जो अमेरिका के अनुरोध पर हुआ है और यह युद्धविराम अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन पर लागू नहीं होता है। यमन के मिसाइल और ड्रोन हमले इस शासन की बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर जारी रहेंगे और तीव्र भी होंगे।
दूसरी बात यह है कि यह समझौता यमनी पक्ष की सूझ-बूझ का शिखर है कि उन्होंने अमेरिका को अस्थायी रूप से मैदान से बाहर कर दिया है ताकि उनका सारा ध्यान अपने विरोधी इस्राइल के साथ टकराव पर केंद्रित हो सकें। यह लड़ाई ग़ाज़ा में ज़ायोनी सैनिकों की ज़मीनी कार्यवाही और हमलों में तेज़ी के साथ और भी तेज़ होगा।
अतवान ने लिखा: वर्तमान में एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि ट्रंप यमनी बलों के साथ आमने-सामने की टक्कर से ओमान की मध्यस्थता में क्यों बच रहे हैं, जो इस ज़ायोनी शासन में डर और आतंक पैदा कर रहा है और इसे एक लंबे और थकाऊ मिसाइल युद्ध में धकेल रहा है, जिससे बाहर निकलना भारी कीमत और शायद बड़ी हार के साथ हो सकता है।
इस विश्लेषक ने याद दिलाया: ट्रंप के अंसारुल्लाह के साथ लड़ाई से बचने के कारणों के जवाब में निम्न बातों का उल्लेख करना आवश्यक है।
सबसे पहले, इस बात का एक मजबूत जवाब अमेरिका के सैन्य मामलों के विशेषज्ञ हैरिसन कास ने दिया है। उन्होंने अमेरिका की प्रसिद्ध पत्रिका नेशनल इंटरेस्ट में एक लेख में खुलासा किया कि यमन की मिसाइल रक्षा प्रणाली ने एक F-35 लड़ाकू विमान की ओर मिसाइल दागी थी और वह लगभग उसे गिरा ही देती।
यह लड़ाकू विमान अमेरिकी वायु सेना का अत्यंत उन्नत विमान है और अगर पायलट की कुशलता नहीं होती और मिसाइल से बच नहीं पाता, तो यह यमन के लिए एक अभूतपूर्व जीत होती, जो अमेरिका की वैश्विक वायु श्रेष्ठता को तहस-नहस कर देती और यह जीत उस अंसारुल्लाह की ओर से होती जिसे अमेरिका छोटा आंकता व समझता है।
दूसरे, सैन्य विशेषज्ञ ग्रेगरी बैरो ने यह बताया कि कैसे सात आधुनिक और उन्नतअमेरिकी MQ-9 ड्रोन, जिनमें से हर एक की क़ीमत लगभग 30 मिलियन डॉलर है, गिरा दिए गए। उन्होंने एक और करीब आने वाली आपदा का खुलासा किया, यानी अमेरिकी F-16 लड़ाकू विमान का गिरना और इसके पायलट की मौत से अमेरिकी सेना को भारी क्षति होने का खतरा।
ग्रेगरी ने अपने लेख में यमन के सशस्त्र बलों की मिसाइल और रक्षा प्रणाली की ताक़त का भी उल्लेख किया जिसमें अपग्रेड किए गए SAM मिसाइलें शामिल हैं, जिनकी मारक क्षमता बढ़ाई गई है और जो अधिक प्रभावी हो गई हैं।
तीसरा अमेरिका द्वारा ट्रूमैन युद्धपोत को लाल सागर से वापस बुला लेना वह भी उसके स्थान पर किसी दूसरे युद्धपोत को तैनात किया बिना युद्धविराम की वजह से नहीं है, बल्कि यमनी बलों द्वारा उस युद्धपोत पर किए गए मिसाइल हमलों और दो F-18 लड़ाकू विमानों के नष्ट हो जाने के कारण है। इनमें से एक विमान युद्धपोत के डेक पर था और दूसरा आसमान में उड़ान भर रहा था।
इस विश्लेषक ने आगे कहा कि बेन गोरियन हवाई अड्डे और अमेरिकी युद्धपोत के डेक पर लगी बैलिस्टिक मिसाइलें हैफ़ा और अशदूद बंदरगाहों के केन्द्र को भी निशाना बना सकती हैं विशेषकर इसलिए क्योंकि यमनी नेतृत्व ने आने वाले दिनों में बड़े सैन्य हमलों की ख़बर व चेतावनी दी है। MM