जूलानी राष्ट्रीय एकता चाहता है या फ़िर सांप्रदायिक नरसंहार व हत्या
(last modified Thu, 03 Jul 2025 10:15:07 GMT )
Jul ०३, २०२५ १५:४५ Asia/Kolkata
  • जूलानी राष्ट्रीय एकता चाहता है या फ़िर सांप्रदायिक नरसंहार व हत्या
    जूलानी राष्ट्रीय एकता चाहता है या फ़िर सांप्रदायिक नरसंहार व हत्या

पार्स टुडे - रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी ने एक विस्तृत जांच रिपोर्ट में सीरिया में अल-जूलानी शासन द्वारा अलवी समुदाय के नागरिकों की हत्या की जानकारी दी है।

अल-जूलानी के सीरिया में सत्ता संभालने के छह महीने बाद, रॉयटर्स ने मार्च महीने में अपनी जांच रिपोर्ट में खुलासा किया कि इस अंतरिम शासन के समर्थकों द्वारा 1,500 अलवी नागरिकों की हत्या कर दी गई।

 

पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इन पीड़ितों में अधिकांश महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे, जिन्हें उनके नाम या धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया।

 

प्रारंभ में पीड़ितों की संख्या लगभग 1,000 बताई गई थी, जबकि सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने उसी महीने 745 नागरिकों, 125 सीरियाई सुरक्षा बलों के सदस्यों और 148 असद समर्थकों की मौत की पुष्टि की थी। आंकड़ों में अंतर के बावजूद, दोनों रिपोर्ट्स एक बात पर सहमत हैं: ये हत्याएँ सांप्रदायिक या क्षेत्रीय विवादों के आधार पर की गईं।

 

रॉयटर्स की गहन जांच से अल-जूलानी शासन से जुड़े कई सशस्त्र गुटों की सीधी भागीदारी का खुलासा हुआ है। यह शासन अब हय्यत तहरीर अल-शाम (HTS) के पूर्व सदस्यों के नियंत्रण में है, एक संगठन जो अल-कायदा से अलग हुआ था और हालांकि अब भंग हो चुका है फिर भी संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल है। इस समूह के नेता अहमद अल-शरा ने जनवरी में दमिश्क सरकार को उखाड़ फेंकने और सत्ता पर कब्ज़ा करने में सफलता प्राप्त की थी।

 

ये अत्याचार कम से कम चालीस गाँवों या मुख्य रूप से अलवी बहुल इलाकों में हुए हैं और इनके अपराधी विभिन्न समूहों का एक अस्थायी गठबंधन था: HTS के पूर्व सदस्य, नवशामिल सुन्नी ब्रिगेड और सीरियाई आंतरिक मंत्रालय की कुछ इकाइयाँ। इनमें से कुछ बल, जैसे कि उस्मान ब्रिगेड और यूनिट 400, पहले भी मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के आरोपों का सामना कर चुके हैं।

 

कई क्षेत्रों में, हमलावर नामों की सूचियाँ लेकर घुसे और असद के प्रति वफादार पूर्व सुरक्षा बलों के सदस्यों को निशाना बनाया - यहाँ तक कि उन्हें भी जिन्हें हाल ही में माफ़ी मिली थी। रॉयटर्स द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ परिवारों को केवल एक विशिष्ट उपनाम होने के आधार पर समूचे के समूचे मार डाला गया। ये हत्याएँ अत्यंत क्रूर तरीक़ों से की गईं: गोलीबारी, अंग-भंग, सार्वजनिक अपमान और घटनाओं की वीडियोग्राफ़ी। दर्जनों महिलाओं, बच्चों, वृद्धों और विकलांग व्यक्तियों को भी इन अत्याचारों में मार डाला गया।

 

कुछ इलाक़ों में, अलवी बहुल गाँवों को पूरी तरह खाली करवाकर तुरंत सुन्नी परिवारों को बसा दिया गया। हमलावरों द्वारा पूछा जाने वाला एक सवाल इस त्रासदी की गहराई को दर्शाता है: "क्या आप सुन्नी हैं या अलवी?"

 

इन नरसंहारों के समय, अल-जूलानी ने अलवी विद्रोहियों से "बहुत देर होने से पहले" हथियार डालने और आत्मसमर्पण करने का आह्वान किया था। संघर्ष समाप्त होने के बाद उन्होंने "राष्ट्रीय एकता" की बात भी की। हालाँकि, रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अलवियों की हत्याएँ अभी भी जारी हैं। mm