ग़ाज़ा में एक फ़िलिस्तीनी बच्ची का अपने शहीद पिता से विदाई
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पार्स टुडे – ग़ाज़ा की एक फ़िलिस्तीनी बच्ची ने अपने शहीद पिता से विदाई ली और उनके पैरों को चुमते हुए "मैं आपसे प्यार करती हूँ" कहा जिसने विश्वभर में सोशल मीडिया पर व्यापक प्रतिक्रिया पैदा की।
(last modified 2025-08-28T11:38:18+00:00 )
Aug २६, २०२५ १७:३९ Asia/Kolkata
  • ग़ाज़ा में एक फ़िलिस्तीनी बच्ची का अपने शहीद पिता से विदाई
    ग़ाज़ा में एक फ़िलिस्तीनी बच्ची का अपने शहीद पिता से विदाई

पार्स टुडे – ग़ाज़ा की एक फ़िलिस्तीनी बच्ची ने अपने शहीद पिता से विदाई ली और उनके पैरों को चुमते हुए "मैं आपसे प्यार करती हूँ" कहा जिसने विश्वभर में सोशल मीडिया पर व्यापक प्रतिक्रिया पैदा की।

हाल ही में ग़ाज़ा की एक बच्ची का वीडियो सामने आया, जिसने सोशल मीडिया पर भारी प्रतिक्रिया और दुनिया भर में लोगों के गुस्से को जन्म दिया। पार्स टुडे के अनुसार इस प्रभावशाली वीडियो में खान यूनूस क्षेत्र की बच्ची अपने शहीद पिता से विदाई ले रही है और उनके पैरों को चूम रही है। पिता भोजन लेने गए थे, लेकिन वे अब लौटे नहीं और शहीद हो गए।

 

ग़ाज़ा पट्टी में बढ़ती भुखमरी के कारण, इस क्षेत्र में रोटी का एक टुकड़ा ढूँढना सीधे मौत के ख़तरे का सामना करना बन गया है। जब ग़ाज़ा के नागरिक मदद पाने के लिए खाद्य वितरण केंद्रों की ओर जाते हैं, तो उन्हें लगातार इस्राइली कब्ज़ेदारों की ओर से गोलीबारी का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति ग़ाज़ा के लोगों की गंभीर समस्याओं और मानसिक पीड़ा को दर्शाती है।

 

इसी संदर्भ में, कुछ अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने इन तस्वीरों को देखकर ग़ाज़ा के लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त की। एक अमेरिकी पूर्व ठेकेदार और अधिकारी ने कहा: कुछ सैन्य और सुरक्षा ठेकेदार ने ग़ाज़ा के नागरिकों पर, जो "ग़ाज़ा ह्यूमनिटेरियन इंस्टिट्यूट" नामक केंद्र में मदद मिलने की प्रतीक्षा कर रहे थे, अपने विवेक से गोलीबारी की।

 

यूनिसेफ़ की निदेशक कैथरीन रसेल ने ज़ोर देकर कहा: जब ग़ाज़ा के लोग भोजन पाने के लिए सहायता वितरण केंद्रों की ओर जाते हैं, तो उन पर गोलीबारी की जाती है, जबकि ग़ाज़ा के बच्चे कई महीनों से पर्याप्त भोजन नहीं पा रहे हैं और उनके पास अब रोने की भी शक्ति नहीं बची है।

 

फिलिप लाज़िनी, संयुक्त राष्ट्र की फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए राहत और रोजगार एजेंसी UNRWA के महानिदेशक ने कहा: भुखमरी ग़ाज़ा के लोगों की अंतिम त्रासदी और इस पट्टी के लोगों के लिए पूर्ण नरक है और इस तथ्य को नकारना मानवता की कमी की सबसे ख़राब अभिव्यक्ति है।

 

इसी बीच अंतरराष्ट्रीय संदर्भों के बावजूद, ज़ायोनी शासन ग़ाज़ा में भुखमरी के अस्तित्व को नकार रहा है, जबकि संबंधित अंतरराष्ट्रीय समितियों ने इस पट्टी में भुखमरी की मौजूदगी की रिपोर्टें प्रकाशित की हैं।

 

सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने भी ग़ाज़ा में भुखमरी पर व्यापक प्रतिक्रिया दी है और इसे मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया है।

 

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है: चाहे इसे ग़ाज़ा का संकट कहें या त्रासदी, कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि यह एक पूर्ण अपराध है; ग़ाज़ा में भुखमरी पूरी दुनिया की आंखों के सामने हो रही है और हम इसे वीडियो और टिप्पणियों में देख रहे हैं, लेकिन वास्तव में नहीं देख पा रहे हैं।

 

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि ग़ाज़ा में भुखमरी की ज़िम्मेदारी सबकी है; ज़ायोनी अपराधी शासन दुनिया की निगाहों के सामने ग़ाज़ा के लोगों को भूखा रखता है और जो भी चुप रहे, वह इन अपराधों में साझेदार है। बच्चे, बुज़ुर्ग और वे लोग जो रोटी का एक टुकड़ा ढूँढ रहे हैं, उसे नहीं पा रहे हैं; इस अपराध के लिए पूरी दुनिया जिम्मेदार है, चाहे लोग चाहें या न चाहें। mm