विस्फोटक रोबोट: गज़ा में ज़ायोनी शासन के नए अपराध का औज़ार
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पार्स टुडे: गज़ा के खिलाफ 23 महीने से जारी ज़ायोनी शासन के युद्ध के दौरान, इजरायली सेना ने हर तरह के प्रतिबंधित और विनाशकारी हथियारों का इस्तेमाल किया है। इन हमलों का नया तरीका 'बम से लैस रोबोट' हैं, पुराने बख्तरबंद वाहन जो लगभग पाँच टन विस्फोटकों से भरे होते हैं और जिन्हें रिमोट से आबादी वाले इलाकों में भेजा जाता है।
(last modified 2025-09-04T11:27:09+00:00 )
Sep ०२, २०२५ १८:५७ Asia/Kolkata
  • विस्फोटक रोबोट: गज़ा में ज़ायोनी शासन के नए अपराध का औज़ार
    विस्फोटक रोबोट: गज़ा में ज़ायोनी शासन के नए अपराध का औज़ार

पार्स टुडे: गज़ा के खिलाफ 23 महीने से जारी ज़ायोनी शासन के युद्ध के दौरान, इजरायली सेना ने हर तरह के प्रतिबंधित और विनाशकारी हथियारों का इस्तेमाल किया है। इन हमलों का नया तरीका 'बम से लैस रोबोट' हैं, पुराने बख्तरबंद वाहन जो लगभग पाँच टन विस्फोटकों से भरे होते हैं और जिन्हें रिमोट से आबादी वाले इलाकों में भेजा जाता है।

फिलिस्तीन इंफॉर्मेशन सेंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार: टारगेटेड क्षेत्र में ये बम रोबोट या तो आटोमैटिक तरीक़े से या ड्रोन द्वारा विस्फोटित किए जाते हैं और लगभग 300 वर्ग मीटर के दायरे को तबाह कर देते हैं। पार्स टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध के शुरुआती महीनों में इजरायली सेना ज्यादातर F-16 लड़ाकू विमानों और निर्देशित बमों का इस्तेमाल करती थी, लेकिन स्मार्ट हथियारों के भंडार घटने के बाद अब वह विस्फोटक रोबोटों का इस्तेमाल कर रही है, यह एक सस्ता तरीका है जिसमें ज्यादा विनाश की क्षमता है।

 

सैन्य विशेषज्ञ वासिफ ओरैक़ात का कहना है: यह तरीका 'बर्न सिटी' नीति का हिस्सा है जिसका मकसद डर पैदा करना और आबादी वाले इलाकों को जबरन खाली कराना है। सिर्फ गज़ा के दक्षिण-पश्चिम में अल-ज़ैतून इलाके में, अगस्त 2025 में इसी तरह से 1500 से ज्यादा घरों को नष्ट किया जा चुका है।

 

विनाशकारी रोबोट और विस्फोटक ड्रोन की क़िस्में

 

ओरैक़ात इन रोबोटों के दो प्रकार बताते हैं: बड़े ट्रैक वाले रोबोट जो चलते-फिरते बम का काम करते हैं, और छोटे रोबोट जो गलियों और सुरंगों में घुसने के लिए बनाए गए हैं। इसके अलावा, इजरायली सेना द्वारा 'क्वाडकॉप्टर' ड्रोन का इस्तेमाल कर घरों पर विस्फोटक पैकेज फेंकने की खबरें भी सामने आई हैं, जिससे तबाही का दायरा और बढ़ गया है।

 

अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञ इन रोबोटों को गैर-कानूनी हथियार मानते हैं, क्योंकि ये नागरिकों और सैनिकों में कोई फर्क नहीं करते और आबादी पर इसका गहरा मानसिक और शारीरिक असर पड़ता है। इन तरीकों का इस्तेमाल जबरन विस्थापन की उस साजिश का हिस्सा है जो लोगों को लगातार डर में रखकर उन्हें अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर रही है, जबकि गज़ा पट्टी में कोई सुरक्षित जगह बची ही नहीं है।

 

सैन्य मकसद और मानवीय नतीजे

 

सैन्य शोधकर्ता रामी अबू ज़ैदा इजरायली शासन के इन रोबोटों के इस्तेमाल के तीन मुख्य मकसद गिनाते हैं: अपने सैनिकों के नुकसान को कम करना, सुरंगों और रक्षा ढांचों को उड़ाना, और इलाकों की बड़े पैमाने पर तबाही के जरिए सदमा पैदा करना।

 

पहली बार मई 2024 में जेबालिया में इन रोबोटों का इस्तेमाल किया गया था, और फिर उनके इस्तेमाल का दायरा गज़ा के उत्तर और दक्षिण तक फैल गया, यहाँ तक कि अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों के आसपास भी। विस्फोटक रोबोटों से लेकर बमबारी करने वाले ड्रोन तक, हत्या के तरीकों की variety यह दिखाती है कि इजरायली शासन ऐसे जुर्म अंजाम दे रहा है जिन्हें नरसंहार और सभ्यता के विनाश के तौर पर देखा जाना चाहिए। (AK)

 

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