राजनीतिक विश्लेषक: "ग्रेटर इज़राइल" परियोजना नरसंहार पर आधारित है
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पार्स टुडे - एक राजनीतिक विश्लेषक और अमेरिका व जायोनी शासन की नीतियों के आलोचक ने गज़ा संकट के विभिन्न पहलुओं और इसमें इज़राइल और अमेरिका की भूमिका की जांच की।
(last modified 2025-11-02T11:34:12+00:00 )
Nov ०१, २०२५ १४:०६ Asia/Kolkata
  • राजनीतिक विश्लेषक जैमी मूर
    राजनीतिक विश्लेषक जैमी मूर

पार्स टुडे - एक राजनीतिक विश्लेषक और अमेरिका व जायोनी शासन की नीतियों के आलोचक ने गज़ा संकट के विभिन्न पहलुओं और इसमें इज़राइल और अमेरिका की भूमिका की जांच की।

गज़ा में दो साल तक चले युद्ध और नरसंहार का जिक्र करते हुए, उन्होंने जोर देकर कहा कि इस मानवीय त्रासदी ने दुनिया के लोगों को जायोनिज्म का असली चेहरा और इज़राइली शासन की प्रकृति को बेहतर ढंग से समझने में मदद की है।

 

पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक विश्लेषक जैमी मूर का मानना है कि "ग्रेटर इज़राइल" परियोजना नरसंहार और जातीय सफाई पर आधारित है और इसका उद्देश्य क्षेत्र में जायोनी वर्चस्व को बढ़ाना है।

 

मूर ने कहा कि इस संकट से पहले, अमेरिका के कई लोग नकबा और बालफोर घोषणापत्र जैसी अवधारणाओं से अनजान थे, लेकिन अब खुले अपराधों को देखकर, इज़राइल के प्रति उनका दृष्टिकोण बदल गया है और वे इसे एक युद्ध-बिदक और आतंकवादी शासन के रूप में देखते हैं।

 

गज़ा संकट में अमेरिका की भूमिका

 

इस पश्चिमी राजनीतिक विश्लेषक ने आगे इज़राइली शासन को अमेरिकी समर्थन की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में अमेरिका ने तेल अवीव को लगभग 30 अरब डॉलर की वित्तीय और सैन्य सहायता प्रदान की है। मूर के अनुसार, यह समर्थन गज़ा में नरसंहार जारी रहने का मुख्य कारण रहा है और इसके बिना, इज़राइल इन कार्यों को जारी रखने में सक्षम नहीं होता।

 

जैमी मूर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि ट्रंप इज़राइल के सैन्य वित्तपोषण को काटकर नरसंहार को रोक सकते थे, लेकिन बेंजामिन नेतन्याहू और जायोनी लॉबी के प्रति उनकी राजनीतिक और वित्तीय निर्भरता के कारण ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह रिश्ता ऐसा है कि इज़राइल कमांडर की भूमिका में है और अमेरिकी राष्ट्रपति एक अधीनस्थ की भूमिका में हैं।

 

जायोनी लॉबी और अमेरिकी नीति पर नियंत्रण

 

मूर ने अमेरिकी घरेलू नीति में AIPAC (अमेरिकन इज़राइल पब्लिक अफेयर्स कमेटी) की भूमिका का भी हवाला दिया और कहा कि यह संगठन अरबों डॉलर खर्च करके राजनेताओं को इज़राइली शासन की मांगों का पालन करने के लिए मजबूर करता है।

 

ईरानोफ़ोबिया और झूठे ऑप्रेशन

 

अमेरिका और जायोनी शासन की नीतियों के इस राजनीतिक विश्लेषक और आलोचक ने ईरान के खतरे के बारे में नेतन्याहू के हालिया दावों का भी उल्लेख किया और इसे अमेरिका के भीतर एक झूठे ऑपरेशन की तैयारी करार दिया। उन्होंने कहा कि इज़राइली शासन का इस तरह के ऑपरेशन करने का एक लंबा इतिहास रहा है और इसका उद्देश्य जनता का ध्यान भटकाना और बनावटी तनाव पैदा करना है।

 

अमेरिका का आंतरिक संकट और वैश्विक आतंकवाद

 

अंत में, जैमी मूर ने अमेरिका की आंतरिक स्थिति पर बात करते हुए कहा कि ट्रंप ने शहरों में सेना के उपयोग से एक गृहयुद्ध जैसा माहौल बनाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि असली आतंकवादी इज़राइल और अमेरिका हैं और आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे समूहों को तेल अवीव और वाशिंगटन के वित्तीय और सैन्य समर्थन से बढ़ावा मिला है। उनका निष्कर्ष है कि "ग्रेटर इज़राइल" परियोजना कब्जे, नरसंहार और जनता को गुमराह करने पर आधारित है और दुनिया को इसका विरोध करना चाहिए। (AK)

 

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