क्या सीरिया दूसरा लीबिया बन जाएगा?
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पार्स टुडे - बश्शार अल-असद के बाद सीरिया संकटों के एक ऐसे दौर में प्रवेश कर गया है, जो कुछ क्षेत्रीय मामलों के विश्लेषकों की नजर में, इस देश के लिए लीबिया जैसी तकदीर भी ला सकता है।
(last modified 2025-11-02T11:34:14+00:00 )
Nov ०१, २०२५ १४:११ Asia/Kolkata
  • क्या सीरिया दूसरा लीबिया बन जाएगा?
    क्या सीरिया दूसरा लीबिया बन जाएगा?

पार्स टुडे - बश्शार अल-असद के बाद सीरिया संकटों के एक ऐसे दौर में प्रवेश कर गया है, जो कुछ क्षेत्रीय मामलों के विश्लेषकों की नजर में, इस देश के लिए लीबिया जैसी तकदीर भी ला सकता है।

एक दशक से अधिक समय तक विनाशकारी युद्ध में घिरा रहा सीरिया, दिसंबर 2024 में बश्शार अल-असद के पतन के बाद एक संक्रमणकालीन और जोखिम भरे दौर में प्रवेश कर गया है। पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, 'हैयअत तहरीर अल-शाम' के पूर्व प्रमुख 'अबू मोहम्मद अल-जूलानी' अब सीरिया के शासक के रूप में एक केंद्रित और स्थिर सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, बढ़ते असुरक्षा के संकेत, जनजातीय प्रतिस्पर्धा और विदेशी हस्तक्षेप, सीरिया के भविष्य की तस्वीर लीबिया के 'मुअम्मर गद्दाफी' के बाद के परिदृश्य जैसी बना रहे हैं।

 

गद्दाफी के 2011 में पतन के बाद लीबिया दो प्रतिद्वंद्वी सरकारों में बंट गया और आज तक आंतरिक संघर्ष, तेल संसाधनों को लेकर लड़ाई और विदेशी ताकतों के दखल से जूझ रहा है। यह देश अब सीरिया के लिए एक चेतावनी भरा उदाहरण बन गया है।

 

संरचनात्मक समानताएं

 

लेबनानी अखबार 'अल-अखबार' ने एक रिपोर्ट में सीरिया में सुरक्षा संबंधी चुनौतियों की एक लंबी सूची पेश की है, जिससे सरकार जूलानी की सुरक्षा संरचना की कार्यक्षमता पर गंभीर संदेह पैदा हो गया है। यह संरचना, जो इदलिब में हयअत तहरीर अल-शाम के मॉडल से प्रेरित है, युद्ध के दौरान और बश्शार अल-असद के पतन से पहले काम करती दिख रही थी, जब इस ग्रुप्स ने दर्जनों सशस्त्र गुटों को एकजुट करने, इदलिब को चलाने और उत्तरी सीरिया में एक प्रभावी शक्ति बनने में सफलता पाई थी।

 

लेकिन मौजूदा हालात में, जब अब सक्रिय युद्ध मोर्चे नहीं हैं, यह मॉडल विफल साबित हो रहा है। आज सशस्त्र गुट आर्थिक परियोजनाओं से लेकर तस्करी मार्गों के नियंत्रण तक, वित्तीय संसाधनों पर कब्जे के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और उनके गठजोड़ कमजोर हो गए हैं। वाशिंगटन का कुर्द मुद्दे पर बातचीत पर जोर, स्वेडा में ड्रूज लोगों को इज़राइल का समर्थन, और व्यापक युद्ध की चुनौती का अभाव - इन सबने जूलानी के सुरक्षा मॉडल को अप्रभावी बना दिया है।

 

इसी बीच, 'अल-जजीरा' ने "सीरिया में लीबिया परिदृश्य की पुनरावृत्ति की चेतावनी क्यों दी जा रही है?" शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में लिखा है: जिस तरह लीबिया में, 'अब्दुल हमीद अल-दबीबा' के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय एकता सरकार त्रिपोली पर नियंत्रण रखती है और 'खलीफा हफ्तर' पूर्व और दक्षिण को नियंत्रित करते हैं, उसी तरह सीरिया भी एक समान बंटवारे की ओर बढ़ रहा है। एक अंतरिम सरकार दमिश्क पर शासन कर रही है, लेकिन सीरियाई लोकतांत्रिक बलों (एसडीएफ) ने तेल और गैस भंडार वाले उत्तर-पूर्वी इलाके पर कब्जा कर रखा है। अल-जजीरा याद दिलाता है कि हफ्तर को 'अल-जफरा' और 'अल-खादिम' अड्डों के साथ रूस का समर्थन हासिल है, जबकि सीरियाई लोकतांत्रिक बलों को 'रमीलान' और 'कूनिको' अड्डों में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति और समर्थन प्राप्त है। लीबिया की तरह, संसाधनों का यह बंटवारा भविष्य में टकराव की जमीन तैयार कर रहा है।

 

जर्मन मीडिया 'डॉयचे वेले' ने भी "संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि: सीरिया के लीबिया बनने का खतरा" शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में, संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत 'गीर पीटरसन' के हवाले से चेतावनी दी है कि सीरिया "बहुत नाजुक दौर" से गुजर रहा है। पीटरसन ने जोर देकर कहा है कि जूलानी को एक अधिनायकवादी और बंद शासन के उभरने से रोकने के लिए अपना रास्ता सुधारना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अंतरिम सरकार, कुर्दों और दुरूज़ लोगों के बीच विश्वास की कमी देश को फिर से आंतरिक संघर्ष की ओर धकेल सकती है। (AK)

 

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