आईएमएफ की ओर से सऊदी अर्थव्यवस्था का मूल्यांकन
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने घोषणा की है कि सऊदी परिवार की कुछ आर्थिक नीतियां, सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालेंगी।
पिछले दो वर्षों से सऊदी अरब का आर्थिक संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है। आईएमएफ ने अपनी हालिया रिपोर्ट में घोषणा की है कि सऊदी अरब को अपने वार्षिक बजट में 13 प्रतिशत के घाटे का सामना है। सऊदी शासन ने आर्थिक संकट से बचने के उद्देश्य से कुछ कठोर आर्थिक नीतियां अपनाई हैं जिनमें विदेशियों से टैक्स लेना भी शामिल है। सऊदी शासन ने कई विकास योजनाओं को बंद कर दिया है साथ ही श्रम नियमों में परिवर्तन करके विदेशी मज़दूरों की मज़दूरी घटा दी और उनकी छुटटियां भी कम कर दी हैं। आईएमएफ का मनना है कि इस प्रकार की नीतियां, सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालेंगी। जानकारों का कहना है कि इस प्रकार की नीतियां हो सकता है कि अल्पावधि में सऊदी अरब के लिए लाभदायक हो किंतु निश्चित रूप में दीर्घावधि में इसके सकारात्मक परिणाम नहीं निकलेंगे। उनका मानना है कि आर्थिक संकट के बढ़ने के साथ ही सऊदी अरब को सामाजिक और सुरक्षा संबन्धी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा।
आईएमएफ की रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि सऊदी अरब और फ़ार्स की खाड़ी की सहकारिता परिषद के कुछ देश अपने यहां काम करने वाले विदेशियों द्वारा भेजे जाने वाले पैसों पर 5 प्रतिशत कर लगाना चाहते हैं। आईएमएफ के अनुसार इस प्रकार की नीति से सऊदी अरब को नई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
आर्थिक विशलेषकों का कहना है कि नई आर्थिक नीतियों को लागू करने के स्थान पर सऊदी अरब यदि आतंकवादियों को दिये जाने वाले धन और दूसरे देशों में हस्तक्षेप के लिए युद्ध के माध्यम से ख़र्च होन वाले पैसे को नियंत्रित करे तो उसको किसी नई आर्थिक नीति के लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। उनका मानना है कि जितना धन युद्ध करने और आतंकवादियों के समर्थन पर ख़र्च किया जा रहा है यदि उसे रोककर देश के विकास और जनता की भलाई के मार्ग में प्रयोग किया जाए तो इससे सऊदी अरब का भी भला होगा और इससे उसके आर्थिक संकट को समाप्त करने में सहायता मिलेगी।