Dec २८, २०१६ १८:०४ Asia/Kolkata

लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के प्रमुख ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि आज इस्लामी जगत को चरमपंथ नामक ख़तरनाक समस्या का सामना है, कहा है कि हमें उन लोगों का मुक़ाबला करना चाहिए जो इस्लामी मतों के बीच फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने लेबनान के वरिष्ठ सुन्नी धर्मगुरू शैख़ अब्दुन्नासिर जब्री को श्रद्धांजली अर्पित किए जाने के कार्यक्रम में कहा कि तकफ़ीर या इस्लामी मतों को मानने वालों को काफ़िर ठहराना, इस्लामी समुदाय में प्रवेश करने वाली सबसे ख़तरनाक समस्या है। ज्ञात रहे कि शैख़ अब्दुन्नासिर जब्री का 22 दिसम्बर को निधन हो गया था। वे  एक प्रतिरोधकर्ता धर्मगुरू और इस्लामी मतों के बीच एकता व निकटता के ध्वजवाहकों में से एक थे। हिज़्बुल्लाह संगठन के प्रमुख ने उन्हें श्रद्धांजली देने के कार्यक्रम में कहा कि कुछ शिया हल्क़ों में, जिन्हें ब्रिटेन के इशारों पर चलने वाले शिया कहा जाता है, तकफ़ीरियों जैसी ही शैली अपनाई जाती है और सम्मानीय हस्तियों का अनादर किया जाता है। अमरीका ने शीत युद्ध के बाद अपनी पोज़ीशन और वर्चस्ववादी हितों की रक्षा के लिए ज़ायोनी शासन के साथ मिल कर मध्यपूर्व के क्षेत्र में, कि जो इस्लामी जगत का दिल समझा जाता है, हस्तक्षेप शुरू कर दिया और इस क्षेत्र के देशों को विभाजित करने के लिए सैन्य हथकंडों के साथ ही धार्मिक व जातीय मतभेद फैलाना भी आरंभ कर दिया।

 

एेसा प्रतीत होता है कि तकफ़ीरी गुट, मुसलमानों की एकता को तार-तार करने और विश्व साम्राज्यके लक्ष्यों को पूरा करने का अच्छा साधन हैं। इन गुटों से संघर्ष के लिए एक तर्कसंगत कार्यक्रम की तैयारी और इन गुटों की सही व सटीक पहचान ज़रूरी है। सभी सलफ़ी व तकफ़ीरी आतंकी गुटों की प्रवृत्ति एक समान नहीं है इस लिए उनसे निपटने की शैली भी एक जैसी नहीं हो सकती। दूसरी ओर इन गुटों में कुछ धोखा खाए हुए लोग भी होते हैं, इस आधार पर इन गुटों की अलग-अलग पहचान करके उनसे निपटने के लिए तर्कसंगत कार्यक्रम बनाना बहुत ज़रूरी है। (HN)

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