यमन पर सऊदी आक्रमण का तीसरा वर्ष आरंभ
पिछले 24 महीनों के दौरान यमन युद्ध हज़ारों लोगों की हत्या का कारण बना है।
सऊदी अरब ने यमनी जनता के विरुद्ध जो युद्ध आरंभ कर रखा है उसका तीसरा साल ऐसी स्थिति में आरंभ हुआ है जब यमन में मानवीय संकट विषम रूप धारण कर गया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस पर चिंता जताई जा रही है।
इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफेम ने यमन में मानवीय संकट के जारी रहने के संबंध में अपनी विशेष रिपोर्ट में चेतावनी दी है।
ऑक्सफेम एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है और वह 30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों व कल्याणकारी संस्थाओं से मिलकर बनी है। ऑक्सफेम की रिपोर्ट इस बात की सूचक है कि पिछले 24 महीनों के दौरान यमन युद्ध हज़ारों लोगों की हत्या का कारण बना है।
ऑक्सफेम की रिपोर्ट में बल देकर कहा गया है कि सऊदी अरब के अतिक्रमणकारी सैनिक बंदरगाहों, मार्गों, पुलों और अन्न भंडारों, खेतों और बाज़ारों पर बमबारी करते हैं। ऑक्सफेम ने बल देकर कहा है कि यमन के लगभग 60 प्रतिशत लोग यानी एक करोड़ 70 लाख लोगों को भूखमरी व अकाल का सामना है।
सऊदी अरब ने अमेरिका और कुछ पश्चिमी व अरब देशों के समर्थन से 26 मार्च 2015 को आरंभ किया था जो अब तक जारी है। इसी तरह सऊदी अरब ने यमन का हवाई, जमीनी और समुद्री परिवेष्टन कर रखा है जिसके कारण यमनी जनता को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों व समस्याओं का सामना है।
सऊदी अरब ने यमन के अपदस्थ राष्ट्रपति मंसूर हादी को दोबारा सत्ता में वापस लाने के बहाने पर यमन पर हमला किया है जिसमें अब तक दसियों हज़ार व्यक्ति हताहत व घायल हो चुके हैं। इसी प्रकार सऊदी अरब के पाश्विक हमलों के कारण यमन की 80 प्रतिशत से अधिक आधारभूत संरचनाएं तबाह हो चुकी हैं।
यमन के दो करोड़ चालिस लाख लोगों में से दो करोड़ 10 लाख से अधिक लोगों को मानवता प्रेमी सहायताओं की आवश्यकता है जबकि एक करोड़ चालिस से अधिक लोगों को खाद्य पदार्थों में कमी का सामना है।
इस मध्य यमनी बच्चों की स्थिति अधिक विषम है। यमन में संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानवता प्रेमी मामलों के समन्वयकर्ता के कथनानुसार यमन के 70 लाख बच्चों को भयानक भूखमरी का सामना है और यमन के हर 10 बच्चे में से आठ बच्चों को कुपोषण का सामना है।
बहरहाल यमन युद्ध के जारी रहने से इस देश में मानवीय त्रासदी प्रतिदिन भयावह रूप धारण करती जा रही है और अनुभवों ने दर्शा दिया है कि सैनिक हमलों और आम लोगों की हत्या करके राजनीतिक लक्ष्यों को व्यवहारिक नहीं बनाया जा सकता और ये केवल संकट के जटिल होने का कारण बनेगा। MM