सीरिया संकट को लेकर रूस और अमेरिका आमने- सामने
अगर सीरिया संकट के संबंध में अमेरिका और उसके घटकों के क्रिया कलापों पर ध्यान दिया जाये तो यह बात स्पष्ट हो जायेगी कि उन्होंने सीरिया संकट की आग भड़काने, उसे फैलाने और उसे जारी रखने में मुख्य भूमिका निभाई और निभा रहे हैं।
27 अप्रैल को युद्धग्रस्त देश सीरिया में मानवीय स्थिति की समीक्षा करने के उद्देश्य से न्यूयार्क में सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। इस बैठक में राष्ट्रसंघ में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने रूस पर दबावों को अधिक किये जाने की मांग की।
उन्होंने बल देकर कहा है कि समस्त ध्यान और दबाव रूस पर होना चाहिये। क्योंकि यह देश केवल वह पक्ष है अगर चाहे तो वह इस विवाद को रोक सकता है। इस बयान के मुकाबले में राष्ट्रसंघ में रूसी राजदूत पीटर इलीचोफ ने सीरिया संकट के संबंध में पश्चिम के क्रिया कलापों पर सवाल उठाया और बल देकर कहा कि पश्चिम ने इस युद्धग्रस्त देश की स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में कुछ नहीं किया।
सुरक्षा परिषद की बैठक में सीरिया संकट को लेकर रूस और अमेरिका एक बार फिर आमने- सामने थे।
अमेरिका ने जारी अप्रैल महीने में सीरिया पर प्रक्षेपास्त्रिक हमला किया था और उसने खुल्लम खुल्ला सीरिया के घटकों विशेषकर रूस के विरुद्ध दृष्टिकोण अपनाया था इन सब बातों की अनदेखी करते हुए अमेरिकी सरकार ने मॉस्को पर आरोप लगाया है कि वह सीरिया संकट के समाधान के मार्ग में बाधायें उत्पन्न कर रहा है।
अगर सीरिया संकट के संबंध में अमेरिका और उसके घटकों के क्रिया कलापों पर ध्यान दिया जाये तो यह बात स्पष्ट हो जायेगी कि उन्होंने सीरिया संकट की आग भड़काने, उसे फैलाने और उसे जारी रखने में मुख्य भूमिका निभाई और निभा रहे हैं।
वास्तव में पश्चिम और उनके क्षेत्रीय व अरब घटकों ने सीरिया में अपने लक्ष्यों को साधने के लिए आतंकवादी गुटों को नाना प्रकार के रासायनिक हथियारों को भी देने और उनके प्रयोग में किसी प्रकार के संकोच से काम नहीं लिया है और बड़े दुस्साहस और निर्लज्जता के साथ पश्चिम दावा करता है कि सीरिया की सेना ने रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया है और आज तक वह अपने इस दावे को सिद्ध नहीं कर सका।
जानकार हल्कों का मानना है कि अगर लेशमात्र भी पश्चिम के दावे में सच्चाई होती तो बहुत पहले यह बात सिद्ध हो गयी होती। MM