फ़ार्स की खाड़ी की सहकारिता परिषद और अमरीका
फ़ार्स की खाड़ी की सहकारिता परिषद के महासचिव ने बताया है कि क्षेत्र की सुरक्षा के उद्देश्य से अमरीका के साथ सहयोग में विस्तार हुआ है।
अब्दुल लतीफ़ ने कहा है कि दोनों पक्ष, परस्पर संबन्धों को रक्षा के क्षेत्र में सुदृढ़ करना चाहते हैं। फ़ार्स की खाड़ी की सहकारिता परिषद के महासचिव ने बल देकर कहा कि अमरीका के साथ फ़ार्स की खाड़ी की सहकारिता परिषद का सहयोग, क्षेत्र के हित में है। उन्होंने कहा कि इससे ईरान की जलक्षेत्र में की जाने वाली गतिविधियों को रोका जा सकेगा।
फ़ार्स की खाड़ी की सहकारिता परिषद के महासचिव के बयान में कुछ बातें ध्यान योग्य हैं। इससे एक बात तो यह स्पष्ट हो जाती है कि फ़ार्स की खाडी की सहकारिता परिषद के सदस्य यह दर्शाना चाहते हैं कि मानो ईरान एक क्षेत्रीय ख़तरा है। यहां पर एक सवाल यह पैदा होता है कि अमरीका को क्षेत्र में आने का निमंत्रण देखकर फ़ार्स की खाड़ी की सहकारिता परिषद का उद्देश्य क्या है? अमरीका एेसा देश है जो आतंकवादियों का समर्थन करता है और उसने ही दाइश जैसे आतंकी संगठन को अस्तित्व दिया है। आतंकवाद के बारे में अमरीका की नीति सदैव दोहरे मानदंडों पर आधारित रही हैं।
अब अमरीका, यह आरोप लगा रहा है कि ईरान, क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ख़तरा है। अमरीका की यह नीति अब सऊदी अरब के रक्षामंत्री मुहम्मद बिन सलमान के बयान का साथ दे रही है। उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में ईरान को धमकाने का प्रयास किया। इन बातों से यह पता चलता है कि फ़ार्स की खाड़ी की सहकारिता परिषद के महासचिव का हालिया बयान वास्तव में अमरीकी और सऊदी अरब के समर्थन से दिया गया है। टीकाकारों का कहना है कि थोड़े से अंतराल में अमरीका, सऊदी अरब और फ़ार्स की खाड़ी की सहकारिता परिषद की ओर से इस्लामी गणतंत्र ईरान को ख़तरे में रूप में दर्शाना एक बहुत गहरे षडयंत्र का पता देता है। इसी बीच अमरीका और ब्रिटेन के अधिकारियों की जल्दी-जल्दी मध्यपूर्व क्षेत्र की यात्राएं इस षडयंत्र की पुष्टि करती हैं।
 
							 
						 
						