अमरीका के सेना प्रमुख की इस्राईल यात्रा
ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री ने अमरीकी सेना प्रमुख के साथ भेंट में इस्राईल और अमरीका के बीच सहकारिता की सराहना की।
नेतनयाहू ने जनरल जोज़फ़ डानफोर्ड को संबोधित करते हुए कहा कि अमरीका और इस्राईल के बीच बहुत अच्छा गठबंधन है। इस भेंटवार्ता में अमरीकी सेना प्रमुख ने ज़ायोनी शासन के भरपूर समर्थन पर पुनः बल दिया।
अमरीकी सेना प्रमुख का प्रयास है कि तेलअवीव और वाशिंग्टन के संबन्धों को और अधिक सुदृढ़ किया जाए। हालांकि इस्राईल और अमरीका के संबन्ध सदैव ही मैत्रीपूर्ण रहे हैं। इसके बावजूद अमरीका में जो भी व्यक्ति वाइट हाउस पहुंचकर इस देश की सत्ता संभालता है उसका यही प्रयास होता है कि अपने पूर्ववर्ती की तुलना में वे इस्राईल से अधिक निकट हो। यही काम ट्रम्प ने भी किया। उन्होंने तो वाइट हाउस पहुंचे से पहले ही इस्राईल का खुलकर समर्थन करना आरंभ कर दिया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने तो यहां तक कह डाला कि वे अमरीकी दूतावास को तेलअवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करेंगे। उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं भी आई थीं।जब टम्प ने यह देखा कि उनके बयान पर इस्लामी जगत से बहुत तेज़ प्रतिक्रियाएं आ रही हैं तो उन्होंने यह कहा कि फिलहाल एेसा कोई इरादा नहीं है और इस विषय की समीक्षा की जा रही है।
ट्रम्प सरकार, ने इस्राईल को दी जाने वाली सहायता राशि को बढ़ाने का मन बना लिया है। अब इस्राईल को सालाना 4 अरब डालर की अमरीकी सहायता मिला करेगी। पिछले कुछ वर्षों से इस्राईल को अमरीका से लगभग तीन अरब डालर की सालाना मदद मिल रही है। अमरीका अबतक इस्राईल की 118 अरब डालर की मदद कर चुका है। अमरीकी अधिकारियों का यह मानना है कि इस्राईल की अधिक से अधिक सहायता करके उसे मध्यपूर्व में अधिक शक्तिशाली किया जाए ताकि वह क्षेत्र में जो कुछ करना चाहे करे।
राजनैतिक टीकाकारों का कहना है कि अमरीकी सेना प्रमुख इस्राईल के खुल समर्थन के संदेश के साथ तेलअवीव पहुंचे। टीकाकारों के अनुसार जनरल जोज़फ़ डानफोर्ड की अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन की यात्रा, वास्तव में अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प की आगामी इस्राईल यात्रा की भूमिका है। एेसा लगता है कि यह यात्राएं, पश्चिमी एशिया में ज़ायोनी शासन की हिंसक गतिविधियों में वृद्धि का कारण बनेंगी।