इमारात को मिल गया संदेश, अगला चरण क्या होगा?
(last modified Mon, 04 Dec 2017 15:27:14 GMT )
Dec ०४, २०१७ २०:५७ Asia/Kolkata
  • इमारात को मिल गया संदेश, अगला चरण क्या होगा?

विश्व मीडिया में 3 दिसम्बर को यह ख़बर आई कि यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन ने अबू ज़हबी के परमाणु केन्द्र पर हमला मिसाइल हमला किया है।

अंसारुल्लाह से संबंधित अलमसीरह टीवी चैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मिसाइल बड़े सटीक रूप से अपने लक्ष्य पर लगा है। इमारात की सरकारी न्यूज़ एजेंसी ने इस रिपोर्ट का खंडन किया और कहा कि बराकह परमाणु केन्द्र पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन अंसारुल्लाह ने साबित कर दिया है कि वह ग़लत दावा नहीं करते।

इमारात क्यों बना निशाना?

यमन के ख़िलाफ़ सऊदी अरब के नेतृत्व में अरब देशों के गठजोड़ ने जब से हमला शुरू किया है उस समय से इमारात ने यमन के भीतर संकट उत्पन्न करने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जब यमन संकट शुरू हुआ तो संयुक्त अरब इमारात ने कोलम्बियाई सैनिक यमन भेजे। यह सैनिक ब्लैक वाटर से संबंध रखते थे। न्यूयार्क टाइम्ज़ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इमारात ने लगभग 1800 अमरीकी सैनिकों को यमन भिजवाया जो वहां जाकर इमारात के हितों के अनुरूप विध्वंसक कार्यवाहियां करें। इमारात ने दक्षिणी यमन के शहरों पर इसी प्रकार के सैनिकों की मदद से क़ब्ज़ा करने की कोशिश की जहां तेल और गैस के भंडार, खदानें और फिशरी उद्योग पाया जाता है। दक्षिणी शहर अदन की बंदरगाहें इमारात की नज़र में बड़ी महत्वपूर्ण हैं और वह चाहता है कि इस बंदरगाह की मदद से बाबुल मंदब स्ट्रेट पर अपना नियंत्रण बनाए।

दूसरी बात यह है कि इमारात तारिक अफ़्फ़ाश नामक चरमपंथी संगठन की मदद कर रहा था जो राजधानी सनआ में गड़बड़ी फैलाने में लिप्त था। इमारात ने अली अब्दुल्लाह सालेह को अपने साथ मिलने और अंसारुल्लाह के विरुद्ध साज़िशें रचने की कोशिश की। इस तरह इमारात ने सनआ पर क़ब्ज़ा करने का रास्ता खोलने का प्रयास किया। अंसारुल्लाह आंदोलन ने मिसाइल हमला करके संदेश दे दिया है कि सनआ रेडलाइन है।

तीसरी चीज़ यह है कि अनेक साक्ष्यों से यह बात साबित हो चुकी है कि इमारात ने यमन में शांति स्थापना के प्रयासों को बार बार नाकाम बनाया। हाल ही में वाशिंग्टन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में भी लिखा कि इमारात यमन में शांति स्थापना के रास्ते में रुकावट बन रहा है क्योंकि उसकी कोशिश है कि यमन पर उसके नियंत्रण का दायरा बढ़ जाए।

चौथी चीज़ यह है कि इमारात की कोशिश यह है कि यमन कई विभाजित कर दे। यमन ने अपनी साज़िश से दक्षिणी यमन को देश के अन्य भागों से दूर कर दिया है और अब वह सनआ में भी यही विभाजन दोहराने की कोशिश में था।

अंसारुल्लाह आंदोलन ने मिसाइल हमला करके संदेश दे दिया है और निश्चित रूप से इमारात को अच्छी तरह से यह संदेश समझ में भी आ गया है। यदि इमारात ने यमन में अपनी विध्वंसक गतिविधियां जारी रखीं तो इमारात के महत्वपूर्ण केन्द्र सुरक्षित नहीं रहेंगे।

साभार अलवक़्त