बहरैन में गिरफ़्तारियों की आलोचना
(last modified Tue, 10 Apr 2018 10:08:40 GMT )
Apr १०, २०१८ १५:३८ Asia/Kolkata

बहरैन के मानवाधिकार केंद्र ने एक बयान जारी करके आले ख़लीफ़ा शासन के सुरक्षा बलों के हाथों 21 सरकार विरोधियों की गिरफ़्तारी की निंदा की है। केंद्र ने इस बयान में पिछले एक महीने के दौरान सुरक्षा बलों के हाथों 24 शांतिपूर्ण जुलूसों को कुचले जाने की भी निंदा की है।

आले ख़लीफ़ शासन ने बहरैनी जनता के विरोध को कुचलने के लिए बड़ी संख्या में विरोधियों और राजनैतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया है। बहरैनी शासन इसी तरह जेलों में क़ैद राजनैतिक बंदियों से उनके परिजनों को मिलने की भी अनुमति नहीं दे रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन और मानवाधिकारों का खुला हनन है। बहरैन से मिलने वाली रिपोर्टों से पता चलता है कि इस देश की तानाशाही सरकार की  ओर से मानवाधिकारों के हनन के अंतर्गत लोगों को अत्याचारपूर्ण ढंग से जेलों में  ठूंस दिया जाता है, घरों पर हमले किए जाते हैं, अन्यायपूर्ण ढंग से मुक़द्दमे चलाए जाते है, शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को कुचला जाता है और लोगों की नागरिकता रद्द कर दी जाती है।

 

बहरैन की आले ख़लीफ़ा सरकार ने इस देश के लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण विरोध और राजनैतिक दलों व गुटों के गठन जैसे मूल अधिकारों से भी वंचित कर रखा है। यह सरकार हर हथकंडे, चाल और साज़िश के माध्यम से लोगों के आंदोलन को नियंत्रित करके अपने विरोधियों को देश के राजनैतिक व सामाजिक मंच से हटाना चाहती है। लोगों की नागरिकता रद्द करने की नीति को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।

 

वास्तव में आले ख़लीफ़ा शासन से बहरैनी जनता की सबसे मुख्य व मूल समस्या इस देश का वर्तमान राजनैतिक ढांचा है जो तानाशाही और दमन पर आधारित है। एक विशेष परिवार के हाथों में सत्ता का सीमित होना और उस परिवार की ओर से देश के लोगों के ख़िलाफ़ व्यापक रूप से सीमितताएं लगाना भी एक मुख्य कारण है जिसके चलते पिछले कुछ बरसों में बहरैनी जनता का संयम जवाब दे गया है। (HN)