स्वेज़ नहर के बारे में दस महत्वपूर्ण तथ्य
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स्वेज़ नहर को बहुत महत्वपूर्ण जलमार्ग माना जाता है। समय बीतने के साथ साथ  इस नहर का स्ट्रैटेजिक महत्व लगातार बढ़ता रहा। स्पैनिश मैगज़ीन मूए इंट्रैस्टी में प्रकाशित होने वाले वरिष्ठ लेखक नाट्शो ओतारो के लेख में इस नहर के बारे में दस महत्वपूर्ण तथ्य बयान किए गए हैं।
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Nov २६, २०१८ २०:३८ Asia/Kolkata
  • स्वेज़ नहर के बारे में दस महत्वपूर्ण तथ्य

स्वेज़ नहर को बहुत महत्वपूर्ण जलमार्ग माना जाता है। समय बीतने के साथ साथ  इस नहर का स्ट्रैटेजिक महत्व लगातार बढ़ता रहा। स्पैनिश मैगज़ीन मूए इंट्रैस्टी में प्रकाशित होने वाले वरिष्ठ लेखक नाट्शो ओतारो के लेख में इस नहर के बारे में दस महत्वपूर्ण तथ्य बयान किए गए हैं।

  1. दुनिया की सबसे लंबी नहर

स्वेज़ नहर वह मानव निर्मित जलमार्ग है जो भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ता है और इसके चलते यूरोप और एशिया के बीच व्यापारिक मार्ग बहुत छोटा गया तथा पूरे अफ़्रीक़ा महाद्वीप का चक्का लगाकर एशिया पहुंचने की ज़रूरत नहीं रही। स्वेज़ नहर की लंबाई 193 किलोमीटर है यह पोर्ट सईद से शुरू होती है और स्वेज़ तक पहुंचती है।

  1. यह नहर मिस्र के फ़िरऔन पहले भी खोद चुके थे

लेखक का कहना है कि लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ने का विचार नया नहीं है बल्कि यह 2000 वर्ष ईसा पूर्व का विचार है। फ़िरऔन नहर के नाम से इस नहर के निर्माण का विचार सन 2181 ईसापूर्व में भी पेश कर दिया गया था। इसके बाद तीसरे फ़िरऔन रमसीसी द्वितीय ने इस नहर की लंबाई बढ़ाने का काम किया और इसे 100 किलोमीटर लंबा कर दिया।

 

  1. ईरानियों और सम्राट त्राजान ने इस नहर की ख़ूबसूरती बढ़ाई

ईरान के डेरियस प्रथम सम्राट ने लगभग 500 साल ईसा पूर्व इस नहर की सफ़ाई और सजावट का काम किया। उस समय इस नहर की चौड़ाई 45 मीटर कर दी गई थी अतः इससे दो बड़े जहाज़ एक साथ ग़ुज़र सकते थे। रोमानिया और मिस्र के युद्ध के बाद यह नहर नज़रअंदाज़ कर दी गई मगर बाद में सम्राट त्राजान ने इस नहर पर काम किया और इसका नाम अपने नाम पर कर दिया।

  1. इंजीनियर डी लेसेप्स.. स्वेज़ नहर से पनामा नहर तक

लेखक का कहना है कि वर्ष 1799 में नेपोलियन बोनापार्ट के काल में स्वेज़ नहर का विचार फिर उठाया गया मगर इस योजना को पूरा नहीं किया जा सका। आख़िरकार फ़्रांसीसी इंजीनियर फ़र्डीनैन्ड डी लेसेप्स ने नेपोलियन के भांजे नेपोलियन त्रितीय की आर्थिक सहायता से और मिस्र की अनुमति लेकर इस योजना को व्यवहारिक बनाया। स्वेज़ नहर के निर्माण का काम लेसेप्स के हाथों 1859 से 1869 तक दस साल चला और बाद में उन्हें पनामा नहर के निर्माण की ज़िम्मेदारी सौंपने का फ़ैसला भी किया गया।

  1. स्वेज़ नहर की खुदाई मज़दूरों के हाथों और यंत्रों दोनों से हुई।

स्वेज़ नहर की खुदाई का काम जब शुरू हुआ तो उस समय खुदाई की मशीनें नहीं थीं अतः मिस्र के किसानों को इस काम पर लगाया गया। प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण दस हज़ार मज़दूरों की जान गई। बाद में खुदाई के उपकरणो का आविष्कार हुआ तो उनकी मदद से नहर की खुदाई का काम पूरा किया गया।

  1. स्वेज़ नहर का उद्घाटन

स्वेज़ नहर का औपचारिक रूप से उद्घाटन 17 नवम्बर 1869 को किया गया जबिक इससे पहले 1867 से कई जलयानों को इस मार्ग से गुज़ारने का अनुभव पूरा किया गया।

  1. नहर पर ब्रिटेन का कब्ज़ा

इसमाईल पाशा ने विदेशी क़र्ज़ा चुकाने के लिए स्वेज़ नहर में मिस्र के शेयरों को बेचने का एलान कर दिया और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बिंजमिन डिज़राईली ने आनन फ़ानन में मिस्र के सारे शेयर ख़रीद लिए। ब्रिटेन की नज़रें बहुत पहले से स्वेज़ नहर पर लगी हुई थीं क्योंकि वह तीव्र गति से भारत पहुंचने के लिए इस मार्ग को बहुत उपयोगी समझता था। बाद में 1956 में मिस्र के राष्ट्रपति जमाल अब्दुन्नासिर ने स्वेज़ नहर के राष्ट्रीयकरण की घोषणा कर दी।

  1. स्वेज़ नहर का राष्ट्रीयकरण और बीसवीं शताब्दी के युद्ध

मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति जमाल अब्दुन्नासिर ने वर्ष 1956 में स्वेज़ नहर के राष्ट्रीयकरण की घोषणा कर दी। वह असवान बांध बनाना चाहते थे जिसके लिए उन्हें बजट की ज़रूरत थी और ब्रिटेन तथा अमरीका ने यह बजट उन्हें देने से इंकार कर दिया था। मिस्री राष्ट्रपति के इस फ़ैसले से ब्रिटेन और फ़्रांस नाराज़ हो गए और 1956 का युद्ध शुरू हो गया।

  1. स्वेज़ मैक्स

स्वेज़ नहर से गुज़रने वाले जहाज़ों में कुछ बातों का होना शर्त है।  उस जहाज़ की ऊंचाई 20 मीटर हो और उस पर लदा सामान लाख चालीस हज़ार टन से अधिक नहीं होना चाहिए। इसकी ऊंचाई 68 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। जिन जहाज़ो में यह विशेषताएं हों उन्हें स्वेज़ मैक्स जहाज़ कहा जाता है।

  1. वर्ष 2015 में स्वेज़ की नई शाखा का उद्घाटन

वर्ष 2015 में स्वेज़ नहर की नई शाखा का उद्घाटन किया गया। इसकी लंबाई 72 किलोमीटर है। मिस्री सरकार ने एक साल में इसका निर्माण पूरा कर लिया। मिस्री सरकार चाहती है कि दोनों मार्गों का उपयोग हो।

साभार अलजज़ीरा अरबी