सेंचुरी डील और फिलिस्तीनियों के लिए छड़ी और गाजर!
अमरीकी सरकार सेंचुरी डील में फिलिस्तीनियों के लिए ,कैरेट एंड स्टिक की नीति को लागू करने का प्रयास कर रही है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सन 2016 में चुनावी प्रचार में ही पश्चिमी एशिया और विशेषकर फिलिस्तीन के बारे में अमरीका की विदेश नीति का विरोध करते रहे हैं और हमेशा दावा किया कि इस क्षेत्र के बारे में उनके पास प्रभावी योजना है। वाइट हाउस में जाने के बाद ट्रम्प ने अपनी उस योजना को " द डील आफ सेंचुरी " का नाम दिया और पिछले दो वर्षों से अपने दामाद जे कुशनर के साथ मिल कर इसे लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि यह कहा जा रहा है कि इस डील का ब्योरा जल्द ही सामने लाया जाएगा लेकिन मीडिया में जो कुछ अब तक सामने आया है उसके आधार पर इस योजना में कहा गया है कि हमास को हथियार डालना होगा। फिलिस्तीनी सरकार, पश्चिमी तट और गज़्ज़ा पट्टी में होगी और दोनों हिस्सों को पुल द्वारा जोड़ा जाएगा लेकिन इन क्षेत्रों में जहां जहां इस्राईल ने अवैध रूप से कालोनियों का निर्माण कर लिया है वह सारे इलाक़े इस्राईल से जुड़ जाएंगे। इस डील का सब से रोचक पहलु यह है कि इसमें फिलिस्तीनियों को सेना रखने का अधिकार नहीं दिया गया है बस पुलिस होगी जिसके पास हल्के हथियार होंगे। डील के अनुसार बैतुलमुक़द्दस का बंटवारा नहीं होगा और इस्राईल इस नगर के अधिकांश भाग पर क़ब्ज़ा जमाए रखेगा। गज़्ज के फिलिस्तीनी, पड़ोस में स्थित मिस्र की कुछ भूमियों को बिना स्वामित्व के अधिकार के प्रयोग कर सकते हैं। यह डील का वह भाग है जिसे छड़ी कहा जा सकता है। इस डील का दूसरा हिस्सा जो गाजर की भांति लोभ दिलाने वाला है यह है कि अमरीका , फिलिस्तीनियों को धन का लालच देकर इस डील को स्वीकार करने पर तैयार करना चाह रही है। अमरीका ने पश्चिमी तट और फिलिस्तीनियों की बुरी आर्थिक दशा की वजह से एसा सोचा है। फिलिस्तीनियों को लुभाने के लिए धन की व्यवस्था, अमरीका, युरोपीय संघ और विशेष रूप से फार्स की खाड़ी के देश करेंगे। वैसे कैरेट एंड स्टिक नीति वाली इस डील का फिलिस्तीनी जनता और संगठन व्यापक रूप से विरोध कर रहे हैं और पीएलओ और हमास दोनों ने भी खुल कर इस का विरोध कर दिया है।(Q.A)