... तो सऊदी अरब पर अंसारुल्लाह का क़ब्ज़ा होता...
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ईरान की नौसेना के कमान्डर एडमिरल अली फ़दवी का कहना है कि हम यमन में मौजूद नहीं हैं और यदि हम यमन में होते तो रियाज़ पर अंसारुल्लाह का क़ब्ज़ा होता।
(last modified 2023-11-29T09:15:15+00:00 )
Jun ०१, २०१९ १५:४१ Asia/Kolkata
  • ... तो सऊदी अरब पर अंसारुल्लाह का क़ब्ज़ा होता...

ईरान की नौसेना के कमान्डर एडमिरल अली फ़दवी का कहना है कि हम यमन में मौजूद नहीं हैं और यदि हम यमन में होते तो रियाज़ पर अंसारुल्लाह का क़ब्ज़ा होता।

पिछले चार वर्षों से अधिक समय से यमन में जो कुछ भी हो रहा है वह सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात के पाश्विक हमले और अपराध हैं। इन दोनों सरकारों और इनके घटकों के पास जो कुछ भी है, हथियारों से लेकर किराए के पिट्ठु तक सभी यमन की मज़लूम जनता के विरुद्ध प्रयोग कर रहे हैं।

यह बात सही है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात ही यमन के विरुद्ध व्यापक युद्ध शुरु करने वाले हैं किन्तु इनको अमरीका, ज़ायोन शासन और कुछ पश्चिमी देशों का सामरिक, रणैनतिक, आर्थिक और इन्टेलीजेंस शेयरिंग समर्थन जारी है।

अमरीका, ज़ायोनी शासन और कुछ पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन के बावजूद सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात यमन में अपने उस किसी एक लक्ष्य को भी हासिल करने में सफल नहीं हुआ जिसके लिए उसने इस निर्धन अरब देश के विरुद्ध व्यापक युद्ध आरंभ किया था।  

सऊदी अरब के गठबंधन ने यमन का व्यापक परिवेष्टन भी कर रखा है किन्तु इन सबके बावजूद उंगली पर गिने हुए युवा ऐसे प्रतिरोध का प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे सऊदी गठबंधन की नींदें उड़ गयी हैं।

हां एक महत्वपूर्ण आयाम यह है कि सऊदी अरब को अमरीका तथा कुछ अन्य पश्चिमी देशों से हथियार तो ख़ूब मिल रहा है लेकिन यमन युद्ध को जीतने में यह हथियार उसकी मदद नहीं कर रहे हैं। यही नहीं यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों की ओर से जवाबी हमले तेज़ हो गए हैं। यमनी सेना ने हालिया दिनों में सऊदी अरब पर कई ड्रोन और मिसाइल हमले किए जबकि अबू धाबी एयरपोर्ट पर ड्रोन हमले की वीडियो भी जारी कर दी है।

यमन के ताक़तवर अंसारुल्लाह आंदोलन के एक नेता मुहम्मद बुख़ैती का कहना है कि हम रियाज़ और अबू धाबी के इंटरनैशनल एयरपोर्ट बंद करवा देने की क्षमता रखते हैं। 27 जुलाई 2018 को अबू धाबी के इंटरनैशनल एयरपोर्ट के भीतर ड्रोन हमले की वीडियो की ओर संकेत करते हुए मुहम्मद बुख़ैती ने कहा कि यह वीडियो साबित करती है कि इमारात के पास सच बोलने की हिम्मत नहीं है। इमारात ने हमले के समय कहा था कि कोई हमला नहीं हुआ है।

इस तरह अगर देखा जाए तो सऊदी अरब और इमारात का एलायंस यमन में केवल आम नागरिकों को नुक़सान पहुंचाता रहा है यमन की प्रतरोधक शक्ति में इस गठजोड़ के हमलों से कोई कमी नहीं आई है बल्कि उनकी प्रतिरोधक ताक़त लगातार बढ़ती जा रही है।

पूरी दुनिया जानती है कि सऊदी अरब, यमन में प्राक्सी युद्ध नहीं कर रहा है बल्कि वह सीधे रूप से इस युद्ध में शामिल है और उसने इस निर्धन देश के विरुद्ध अपनी सारी सेना और सारे संसाधन झोंक रखे हैं। यही नहीं इसके लिए अमरीका और ज़ायोनी शासन भी उसकी खुलकर मदद कर रहे हैं।

दुनिया यह भी जानती है कि ईरान न तो सीधे और न ही अप्रत्यक्ष रूप से यमन में किसी युद्ध में शामिल हैं बल्कि यह यमनी जनता है जो पिछले चार से अधिक साल से अत्याचारियों से लोहा ले रही है।

जैसा कि ईरान की नौसेना के वरिष्ठ कामन्डर एडमिरल फ़दवी ने इसी वास्तविकता की ओर संकेत किया है और सऊदी अरब तथा अमरीका के चेहरे से झूठ की नक़ाब उतार ली है क्योंकि यह दोनों देश और ज़ायोनी शासन ईरान पर यमन में प्राक्सी युद्ध में शामिल होने का राग अलापते रहते हैं। इन लोगों को पता है कि यदि ईरान चाहता तो जंग का नक़्शा ही बदल चुका होता, यमन का चारों ओर से परिवेष्टन है, यह परिवेष्टन केवल सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात की ही ओर से नहीं है बल्कि अमरीका, ज़ायोनी शासन, कुछ अरब और अफ़्रीक़ी देशों की ओर से भी है।

सऊदी अरब अंधाधुंध हमले कर रहा है जिसमें आम नागरिक निशाना बना रहे हैं। इस बात पर सऊदी अरब की आलोचना उन देशों में भी हो रही है जो सऊदी अरब के घटक समझे जाते हैं मगर इसके जवाब में यमनी सेना  और अंसारुल्लाह आंदोलन ने हमेशा इस बात का खयाल रखा कि उनके हमलों में कोई आम नागरिक निशाना न बनने पाए।

यहां पर ईरानी नौसेना के कमान्डर का यह कथन दोहराना ज़रूरी है कि हम यमन में नहीं हैं और यदि होते तो रियाज़ पर अंसारुल्लाह का नियंत्रण होता। (AK)