बिखर- बिखर गये तूफ़ान जिससे टकरा कर ....
(last modified Thu, 11 Jun 2020 16:57:54 GMT )
Jun ११, २०२० २२:२७ Asia/Kolkata
  • बिखर- बिखर गये तूफ़ान जिससे टकरा कर ....

बश्शार असद के सत्ता में पहुंचने के कुछ साल बाद ही क्षेत्र के राजनैतिक हालात बदलने लगे क्योंकि अमरीकी हमलावरों ने सद्दाम और उसकी सरकार को तबाह कर दिया था और यह देश आतंकवादियों, कट्टरपंथियों और चरमपंथियों का अड्डा बन गया था।

इस प्रकार के आतंकवादियों की इराक़ में उपस्थिति, सीरिया की शांति और सुरक्षा को प्रभावित कर रही थी। ख़ून के प्यासे दरिंदे इराक़ी सीमा से निकलते थे और बेगुनाहों का ख़ून पी कर वापस अपने ठिकानों को लौट जाते थे।

सीरिया के महत्वपूर्ण पड़ोसी लेबनान में भी पूर्व प्रधानमंत्री रफ़ीक़ हरीरी की हत्या कर दी गयी और सीरिया पर उनकी हत्या का आरोप लगाकर इस देश पर अंतर्राष्ट्रीय घेरा तंग कर दिया गया।

सऊदी अरब ने जिसे पूरा विश्वास था कि रफ़ीक़ हरीरी की हत्या में सीरिया और हिज़्बुल्लाह का हाथ है, सीरिया के साथ अपने संबंधों के स्तर को कम कर लिया और इस संकटमयी स्थिति से लाभ उठाने और बश्शार असद से बदला लेने के लिए हाथ पैर मारने लगा।

इसी बीच बश्शार असद ने क्षेत्रीय संबंधों विशेषकर ईरान से अपने संबंधों को बढ़ाने के लिए वार्ताओं का क्रम शुरु किया और उनके अनुभव की वजह से ही वह इन कठिन परिस्थितियों से निकलने में सफल रहे।

बहरहाल सीरिया में अपने मुहरों को बुरी तरह पिटते देखकर दुश्मनों ने एक नई चाल चली। अरब राष्ट्रों को पश्चिमी एजेंटों के चंगुल से मुक्ति दिलाने के लिए अरब बसंत की बयार चली जिसकी चपेट में कई अरब देश आए। यहां पर इस बात का उल्लेख ज़रूरी है कि इस अरब बसंत में इस्राईली लाबी पूरी तरह सक्रिय हो गयी और उसने विशेषकर उन देशों को निशाना बनाना शुरु किया जो इस्राईली के क़ब्ज़े के विरुद्ध कभी कभी आवाज़ बुलंद कर दिया करते थे।

अरब बसंत की बात करें तो इसमें फ़ार्स की खाड़ी का कोई भी अरब देश निशाना नहीं बना, ये वही अरब देश हैं जो इस्राईल के साथ संबंधों के विस्तार के लिए पूरी तरह बांहें खोले हुए हैं।

सीरिया अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति की वजह से हमेशा से दुश्मनों की आंखों में खटकता रहा है। इसकी वजह यह है कि यह देश हिज़्बुल्लाह और हमास को मदद पहुंचाने वाला एक महत्वपूर्ण देश समझा जाता है। यही वह देश है जो इस्राईल के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट है।

अब यहां से सीरिया की बर्बादी का इतिहास लिखा जाने लगा। सीरिया में जनता को उकसा कर सरकार विरोधी प्रदर्शन कराए गये। सबसे पहले तो सरकार से जनता की नाराज़गी के लिए यह प्रदर्शन हो रहे थे जो शांतिपूर्ण थे धीरे धीरे प्रदर्शनकारियों में हथियारबंद लोग शामिल होने लगे और उन्होंने आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले शुरु कर दिया और फिर सीरिया में वह गंदा खेल शुरु हुआ जो 9 साल के बाद भी ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

प्रदर्शन शुरु हुए तो पश्चिमी देशों, अरबों और अमरीका ने सीरिया सरकार के विरोधियों को हथियार और डालरों से भर दिया। जब किसी के पास पैसे और हथियार हो जाए तो वह अपने ज़माने का फ़िरऔन हो जाता है, सीरिया सरकार के विरोधियों ने भी सरकारी संस्थाओं पर हमले किए, लूटपाट की और सरकारी कार्यालयों पर क़ब्ज़ा कर लिया।

सीरिया को ज़्यादा से ज़्यादा तबाह करने का ख़ेल शुरु हो चुका था लेकिन बश्शार असद ने बहुत ही समझदारी का प्रदर्शन किया और अमरीका, अरबों और इस्राईल की सारी साज़िशों को विफल बना दिया। अमरीका और इस्राईल चाहते थे कि इस्राईल के रास्ते के इस कांटे को निकाल कर फेंक दिया जाए और प्रदर्शनों की लहर बश्शार असद को उनकी सत्ता से फेंक देगी लेकिन यहां पर यह शेर याद आ रहा है कि बिखर बिखर गये तूफ़ान जिससे टकराकर... दयारे ज़ुल्म में किस अज़्म की चटान था वह.... (AK)