अमरीका और तुर्की, सीरिया में दोस्त, लीबिया में दुश्मन!
(last modified Fri, 04 Sep 2020 16:08:38 GMT )
Sep ०४, २०२० २१:३८ Asia/Kolkata
  • अमरीका और तुर्की, सीरिया में दोस्त, लीबिया में दुश्मन!

अफ़्रीक़ा में अमरीकी कमान ने कांग्रेस को भेजी गई अपनी तिमाही रिपोर्ट में तुर्की पर लीबिया में चरमपंथियों व लुटेरों को भेजने का आरोप लगाया है।

जेरुसलम पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि तुर्की ने अपने सीरियाई पिट्ठुओं को इस्तेमाल किया है और उनमें से पांच हज़ार को अज्ञात शर्तों के साथ लीबिया में लड़ाई के लिए भेज दिया है। यह उन प्रतिबंधों का उल्लंघन है जो लीबिया में आंतरिक युद्ध को रोकने के उद्देश्य से लगाए गए हैं। तुर्की के ये सीरियाई पिट्ठू, जो किसी भी किसी भी नियम और अनुशासन को नहीं मानते, संभावित रूप से लीबिया में सुरक्षा की स्थिति को और बिगाड़ देंगे क्योंकि उन पर चोरी, बलात्कार और आतंकियों से संपर्क के आरोप लग रहे हैं।

 

अमरीका ने ऐसी स्थिति में लीबिया में तुर्की की नीति की आलोचना की है जब इससे पहले सीरियाई संकट के दौरान वह तुर्की के साथ मिल कर दाइश के आतंकियों को ट्रेनिंग व हथियार दे रहा था और उन्हें सीरियाई क्षेत्र में भेज रहा था। अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में लीबिया में अमरीका व तुर्की के बीच एकजुटता कमज़ोर हो गई है? या यह कि तुर्की, नेटो के एक सदस्य के रूप में इस संगठन की नीतियों के परिप्रेक्ष्य में काम कर रहा है? हालांकि जेरुसलम पोस्ट के अनुसार विदेशी युद्धों के लिए शरणार्थियों को किराए के सैनिकों के रूप में इस्तेमाल करना नेटो के सदस्यों के लिए एक प्रचलित क़दम नहीं है। दूसरी तरफ़ अगर सच में लीबिया में अमरीका व तुर्की के बीच एकजुटता कमज़ोर पड़ चुकी है तो क्या अन्कारा की ओर से लीबिया में आतंकियों को भेजना, इन दोनों देशों के पिछले सहयोग व एकजुटता का परिणाम नहीं है? और क्या वाइट हाउस से कहा जाता है कि अपनी की हुई ग़लती का कोई इलाज नहीं होता?

 

सच्चाई यह है कि क्षेत्र में किराए के सैनिकों या दूसरे शब्दों में आतंकियों को इस्तेमाल करने का काम सबसे पहले अमरीका ने शुरू किया था। अमरीका की इस रिपोर्ट के अनुसार तुर्की ने सीरिया के बहुत से ग़रीब व बेघर लोगों को उत्तरी अफ़्रीक़ा में अपने हितों की रक्षा के लिए युद्ध व रक्तपात के लिए भेज दिया है। हालांकि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि तुर्की, लीबिया में हस्तक्षेप कर रहा है लेकिन अमरीका व उसके यूरोपीय घटक भी तो यही काम कर रहे हैं और लीबिया के संकट में उनकी भूमिका पूरी तरह से स्पष्ट है।

 

सीरिया पर हथियारों के प्रतिबंध के अनुसार इस देश को हथियार निर्यात करने, बचे, आपूर्ति करने या सैन्य तकनीक स्थानांतरित करने पर रोक है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस प्रतिबंध के खुले उल्लंघन की कड़ी आलोचना की है। तुर्की नेटो का सदस्य है लेकिन इस देश के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान विदित रूप से एक ऐसे एजेंडे पर काम कर रहे हैं जो तुर्की को यूनान, फ़्रान्स, इस्राईल, इराक़, सीरिया, अमरीका व कई अन्य देशों के लिए एक ख़तरा बना देगा। तुर्की और नेटो के कुछ सदस्यों के बीच मतभेद हैं लेकिन यह बात आसानी से नहीं कही जा सकती कि तुर्की, नेटो की नीतियों के ख़िलाफ़ काम कर रहा है। अमरीका ने कहा है कि तुर्की ने सीरियाई पिट्ठुओं के अलावा अपने सैकड़ों सैनिकों को भी लीबिया में तैनात किया है। ये तुर्क सैनिक, ट्रेनर, सलाहकार और एयर डिफ़ेंस सिस्टमों के ऑप्रेटर हैं। (HN)

 

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