ईरानी परमाणु वैज्ञानिक की हत्या से छिड़ सकता है तीसरा विश्व युद्ध... क्या इस्राईल जीतेगा अगला युद्ध? अब्दुलबारी अतवान का धमाका
अरब जगत के प्रसिद्ध पत्रकार अब्दुलबारी अतवान ने ईरानी वैज्ञानिक की हत्या के कई पहलुओं और ईरानी जवाब का जायज़ा लिया है।
ईरान के परमाणु वैज्ञानिक प्रोफेसर मोहसिन फ़ख्रीज़ादे की हत्या ईरान के लिए मानसिक अघात है लेकिन सब से अहम यह है कि उसकी सुरक्षा का घेरा तोड़ कर यह हत्या की गयी है इसी लिए इस हत्या का करारा जवाब दिया जाना ज़रूरी है क्योंकि ईरान के मोर्चे का दबदबा तेज़ी से कम हो रहा है और ईरान, इराक़ या सीरिया में इस्राईल व अमरीका की ओर से भड़काऊ कार्यवाहियों में वृद्धि हो रही है जबकि उनका उचित उत्तर नहीं दिया जा रहा है।
फिलहाल तो ईरान में, इस हत्या के जवाब की शैली पर व्यापक स्तर पर चर्चा हो रही है और मूल रूप से दो प्रकार के विचार सामने आ रहे हैं। एक पक्ष के लोगों का मानना है कि इस हत्या का उद्देश्य, ईरान को तत्काल जवाबी कार्यवाही के जाल में फंसा कर अमरीका के साथ युद्ध की ओर घसीटना है और इसकी योजना ट्रम्प और उनके मित्र नेतेन्याहू ने तैयार की है। दूसरे पक्ष का यह मानना है कि इस हत्या का तत्काल और मज़बूत जवाब दिया जाना चाहिए और इसके लिए ट्रम्प के अंतरिम सत्ताकाल के अंत का इंतेज़ार नहीं किया जा सकता क्योंकि सब्र का पैमाना भर चुका है। इस पक्ष के विचार में इस्राईल के भीतर या बाहर जवाबी कार्यवाही की जा सकती है और यही वजह है कि इस्राईल ने पूरी दुनिया में अपने दूतावासों की सुरक्षा बढ़ा दी है। ईरान में इस प्रकार का विचार रखने वाला पक्ष अधिक मज़बूत है।
अब दुनिया में चर्चा इस बात पर हो रही है कि ईरान इस हत्या का जवाब कैसे देगा, कब देगा और किस तरह से देगा? क्या इस जवाबी कार्यवाही की ज़िम्मेदारी, आईआरजीसी पर अकेले होगी? जैसाकि उसने फार्स की खाड़ी में आयल टैंकरों पर क़ब्ज़ा किया था और अमरीका के ड्रोन विमान ग्लोबर हाक को मार गिराया था? या फिर ईरानी सेना यह काम करेगी जैसा कि उसने जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के बाद अमरीकी छावनी पर मिसाइल बरसा कर किया था। बहुत से लोगों का यह कहना है कि जवाब तो ईरान ज़रूर देगा।
कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ईरान की जवाबी कार्यवाही कई तरह की एक साथ हो सकती है क्योंकि इस कार्यवाही में ईरान लेबनान के हिज़्बुल्लाह, यमन के अंसारुल्लाह, इराक़ के स्वंय सेवी बल और फिलिस्तीन के हमास और इस्लामी जेहाद संगठनों जैसे अपने घटकों को प्रयोग कर सकता है। सऊदी अरब के न्यूम नगर में नेतेन्याहू, पोम्पियो और बिन सलमान की मुलाकात के दौरान यमन के अंसारुल्लाह द्वारा जद्दा पर मिसाइल हमला उसका एक उदाहरण है।
हम पिछले 40 बरसों के अनुभव और इलाक़े के हालात की समझ के आधार पर यह कह रहे हैं कि इस हत्या का जवाब न देने या देर करने से जवाब देने वालों का दबदबा कम होगा और दुश्मनों को फायदा पहुंचेगा।
इस्राईल और अमरीका में हमेशा ही नुक़सान को बहुत महत्व दिया जाता है चाहे वह उनका अपना नुकसान हो या फिर उनके घटकों का या फिर नागरिकों का या मूलभूत ढांचे का। अर्थात वह अपने सामने वाले पक्ष के नुकसान को महत्व नहीं देते हैं लेकिन अपने नुकसान को बहुत महत्व देते हैं, अफगानिस्तान में सोवियत संघ और वियतनाम व इराक़ व अफगानिस्तान में अमरीका की दशा और अंजाम इस विचार की पुष्टि करता है। इन का नुकसान जितना बड़ा होगा उतने ही जल्दी यह मैदान छोड़ कर भाग खड़े होंगे।
यह पक्की बात है कि प्रोफेसर फख्रीज़ादे की हत्या से ईरान का परमाणु कार्यक्रम रुकने वाला नहीं है बल्कि उसके में विस्तार की प्रक्रिया मे तेज़ी आ जाएगी और परमाणु हथियारों तक पहुंच और निकट हो जाएगी क्योंकि हर वैज्ञानिक का एक विकल्प होता है और ईरान के 10 परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या इस सच्चाई का सुबूत है और अमरीकियों और इस्राईलियों को यह बहुत अच्छी तरह से मालूम है और यही वजह है कि इस प्रकार की हत्याओं के प्रतिकूल परिणाम निकलते हैं।
एक हफ्ते पहले इस्राईली सेना ने कई देशों से इस्राईल पर मिसाइल हमले को रोकने का अभ्यास किया है जबकि अमरीका के घटकों अर्थात मिस्र, सऊदी अरब, यूएई और जार्डन ने भी इसी प्रकार के युद्धाभ्यास किये हैं , हमें नहीं लगता कि यह एक संयोग है बल्कि यह वास्तव में युद्ध की तैयारी है।
हमने पिछले हफ्ते ही कहा था कि इस्राईल प्रतिरोध मोर्चे की किसी बड़ी हस्ती की हत्या की योजना बना रहा है और अब एसा लग रहा है कि पिछले हफ्ते माइक पोम्पियो का इस्राईल का दौरा इसी लिए था क्योंकि इस प्रकार की हत्या का अंजाम इलाक़े में भयानक युद्ध हो सकता है।
पहला विश्व युद्ध, आस्ट्रिया के क्राउन प्रिंस की हत्या के बाद शुरु हुआ था और हमें लगता है कि फख्रीज़ादे ही हत्या से पूरे मध्य पूर्व बल्कि दुनिया में ही विश्व युद्ध छिड़ सकता है क्योंकि नेतेन्याहू और ट्रम्प अपने अपने संकटों से बचने के लिए दुनिया को युद्ध की आग में ढकेलने के लिए तैयार हैं।
सन 2020 मध्य पूरव् के लिए बहुत बुरा साल रहा है, उसकी शुरुआत इस्राईल से अरब देशों के संबंध बनाने से हुई और अब अंत कोरोना से हो रहा है लेकिन लगता है कि सन 2021, मध्य पूर्व के लिए मिसाइलों का साल रहेगा और बहुत सी गलतियों को सुधार होगा क्योंकि यह बहुत पुराना है जो यहां पर यथार्थ होता है कि इलाक़े के लोगों के पास अब खोने को कुछ नहीं लेकिन अमरीका और इस्राईल और उनके अरब घटकों के पास खोने को बहुत कुछ है, इसी लिए आने वाले देनों में चौंका देने वाली घटनाएं सामने आएंगी। इस्राईल के पूर्व रक्षा मंत्री एविग्डोर लेबरमैन ने स्वीकार किया है कि इस्राईल को सन 1967 के बाद से किसी भी युद्ध में सफलता नहीं मिली है। इस लिए हम यह कहते हैं कि अगले किसी युद्ध में भी इस्राईल को कोई सफलता मिलने वाली नहीं है, क्योंकि समय बदल चुका है और उसके नये दुश्मन , उसके पुराने दुश्मनों की तरह नहीं हैं, सच्चाई बस सामने आने वाली है, जिसे सब देखेंगे।Q.A.
साभार, रायुलयौम, लंदन।