तुर्की में धार्मिक संविधान की मांग
तुर्क संसद सभापति ने कहा है कि उनके देश को धार्मिक संविधान की ज़रूरत है इसलिए नए चार्टर से सेक्यूलरिज़्म को हटाना चाहिए।
इस्माईल क़हरमान ने सोमवार को इस्तंबूल में एक कान्फ़्रेंस में कहा, “एक मुसलमान देश के रूप में हम ऐसी स्थिति में क्यों हों कि धर्म से दूरी अपनाएं।”
अनातोली न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्माईल क़हरमान ने कहा, “तुर्की एक मुसलमान देश हैं इसलिए हमारा संविधान धार्मिक नियमों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेक्यूलरिज़्म का नए संविधान में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।”
उधर फ़्रांस प्रेस के अनुसार, संविधान में बदलाव के विरोधियों का मानना है कि तुर्की के राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाला दल, न्याय व विकास पार्टी उस सेक्यूलरिज़्म को ख़त्म करना चाहता है जिसे आधुनिक तुर्की के संस्थापक कमाल अतातुर्क ने इस देश के संविधान में शामिल कराया था।
ज्ञात रहे कि पिछले दो साल के दौरान, तुर्की के ज़्यादातर मुसलमानों की मांग के कारण इस देश में स्कूलों व कार्यालयों में हेजाब पर लगी रोक, ख़त्म कर दी गयी है।
अर्दोग़ान सरकार ने इसी प्रकार शराब की बिक्री को सीमित किया है। इसी प्रकार यह सरकार तुर्की में यूनिवर्सिटियों के लड़कियों और लड़कों के हॉस्टलों को अलग करने का भी संकल्प रखती है। (MAQ/N)